नई दिल्ली। उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज सौर से हाइड्रोजन तक फैले नए ऊर्जा कारोबार से 2030 तक 10-15 अरब डॉलर की कमाई कर सकती है। हालांकि, उसे प्रौद्योगिकी में अपनी सीमित विशेषज्ञता की भरपाई नए अधिग्रहणों या भागीदारी के जरिये करनी होगी।
सैनफोर्ड सी बर्नस्टीन की रिपोर्ट
सैनफोर्ड सी बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। स्वच्छ ऊर्जा (सौर, बैटरी, इलेक्ट्रोलाइजर और फ्यूल सेल) 2050 तक भारत में 2,000 अरब डॉलर के निवेश के साथ भारत में रिलाायंस के लिए विकास का नया स्तंभ है। भारत 2030 तक 280 गीगावॉट सौर क्षमता और 50 लाख टन हरत एच2 उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट
ब्रोकरेज कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हमारा अनुमान है कि यात्री और वाणिज्यिक वाहन श्रेणी में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या पांच प्रतिशत पर पहुंचेगी, जबकि दोपहिया वाहनों के मामले में यह 21 प्रतिशत होगी। स्वच्छ ऊर्जा का कुल उपलब्ध बाजार (टीएएम) मौजूदा के 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 में 30 अरब डॉलर का हो सकता है।”
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रिपोर्ट के अनुसार, “हमारा इसके 2050 तक 200 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।’’ तेल से लेकर दूरसंचार क्षेत्र तक काम कर रहे रिलायंस समूह ने सौर विनिर्माण के साथ-साथ हाइड्रोजन बाजार में उतरने की घोषणा की है। रिलायंस की योजना 2030 तक 100 गीगावॉट की स्थापित सौर क्षमता पाने की है, जो देश की लक्षित क्षमता 280 गीगावॉट का 35 प्रतिशत है।
टीएएम का लगभग 40 प्रतिशत बैठेगा
बर्नस्टीन ने कहा, “हमें रिलायंस के 2030 तक सौर बाजार का 60 प्रतिशत, बैटरी बाजार का 30 प्रतिशत और हाइड्रोजन बाजार का 20 प्रतिशत हासिल करने की उम्मीद है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, “हमारा अनुमान है कि रिलायंस 2030 में नए ऊर्जा कारोबार से लगभग 10-15 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त कर सकती है जो टीएएम का लगभग 40 प्रतिशत बैठेगा।”
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