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Mughal Emperor: हरम की दासियों को कितनी तनख्वाह देते थे मुगल

Mughal Emperor: हरम की दासियों को कितनी तनख्वाह देते थे मुगल, बहस करने से पहले बढ़ा लीजिए अपना ज्ञान?

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Bansal News
Mughal Emperor: हरम की दासियों को कितनी तनख्वाह देते थे मुगल

Mughal Emperor: इतिहास में जब-जब किसी ने किसी पर राज किया, तब-तब सबसे ज्यादा अत्याचार महिलाओं पर हुए। भारत में मुगल काल की बात करें तो यह इतिहास के संपूर्ण काल का वो कालखंड है जिसे हरम की दृष्टि से इतिहास के पन्नों में काली स्याही से लिखा गया है। उस दौर में महिलाओं पर कई पाबंदियां थीं और अत्यधिक अत्याचार होते थे। कई दफा महिलाओं को किडनैप करके रखा जाता था और कईयों को दासी बनाकर भी रखा जाता था.

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वहीं, जिन महिलाओं को दासी बनाकर महल में रखा जाता था, उन्हें उसके बदले में सैलरी या कोई ना कोई पारिश्रामिक दिया जाता था. कभी आपने सोचा है कि आखिर इन दासियों को कितनी सैलरी दी जाती थी और उस वक्त के हिसाब से आज की सैलरी कितनी है. तो जानते हैं उनसे जुड़ी सैलरी से जुड़ी हर एक बात…

कितनी दी जाती थी सैलरी?

महिलाओं को दी जाने वाली सैलरी के लिए कई रिपोर्ट में जानकारी दी गई है. JSTOR पर पब्लिश्ड एक रिसर्च पेपरके अनुसार, मुगल शासक अकबर के दरबार में सैलरी का रिकॉर्ड भी रखा जाता था. बताया जाता है कि जो उस वक्त दासियों में अहम होने वाली दासी को 1000 से 1500 रुपये तक दिया जाता था. अगर आज के कि हिसाब से देखें तो वो कई गुना ज्यादा है.

मुगल काल से आज के पैसे की वैल्यू का अंदाजा सोने की कीमत से लगाया जाता है और कहा जाता है उस वक्त 1000 रुपये तक में एक किलो सोना आ जाता था और अब एक किलो सोने के लिए 50 लाख से ज्यादा चाहिए. यानी ये सैलरी उस वक्त के हिसाब से भी काफी ज्यादा है.

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रिपोर्ट्स के अनुसार, महिला कर्मचारियों में नौकरानी को 51 से लेकर 400 रुपये माहवार दिए जाते थे, जो आज के ढाई लाख रुपये हो सकते हैं. कई रानियों को महल की ओर से काफी सोना भी दे दिया जाता था, इस वजह से उस दौर में मुगल शासकों की ओर से अच्छे पैसे दिए जाते हैं. जो नौकरी की शुरुआत करते थे, उन्हें दो रुपये तक दिए जाते थे.

मनसबदार किए जाते थे भर्ती

मनसबदारी प्रणाली मुगल काल में प्रचलित एक प्रशासनिक प्रणाली थी जिसे अकबर ने शुरू किया था. मनसब शब्द, शासकीय अधिकारियों और सेनापतियों का पद निर्धारित करता था. सभी सैन्य और असैन्य अधिकारियों की मनसब निश्चित की जाती थी जो अलग-अलग हुआ करती थी. मनसब के आधार पर अधिकारियों के वेतन और भत्ते निर्धारित होते थे.

‘मनसबदार’ उस व्यक्ति को कहते थे जिसकी मनसब निर्धारित की गई होती थी. वहीं, जिस आधार पर वेतन आदि दिया जाता है, उसे ज़ात कहा जाता है.बता दें कि मोटे तौर पर मनसबदारों की तीन श्रेणियां निर्धारित की गईं थीं. वे मनसबदार जिन्हें 500 जात के नीचे का पद मिला था उन्हें सिर्फ मनसबदार कहा जाता था. वे मनसबदार जोकि 500 से ऊपर लेकिन 2500 से नीचे जात पद धारण करते थे उन्हें अमीर की श्रेणी में शामिल किया जाता था.

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