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M.S. Swaminathan: राष्ट्रपति मुर्मू, खरगे और राहुल गांधी ने स्वामीनाथन के निधन पर जताया शोक

M.S. Swaminathan: भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन (98) का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण आज चेन्नई में निधन हो गया।

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Bansal News
M.S. Swaminathan: राष्ट्रपति मुर्मू, खरगे और राहुल गांधी ने स्वामीनाथन के निधन पर जताया शोक

M.S. Swaminathan: भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन (98) का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण आज चेन्नई में निधन हो गया, उनके परिवार में तीन बेटियां हैं।

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प्रख्यात वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताते हुये राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी है जो दुनिया को मानवता के लिए एक सुरक्षित और भूख-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी।

मुर्मू ने एक्स पर किया पोस्ट

मुर्मू ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामीनाथन के निधन से मुझे बहुत दुख हुआ। एक दूरदर्शी व्यक्ति, जिन्होंने खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए अथक प्रयास किया, जिसके लिए उन्हें हरित क्रांति का जनक कहा जाता है, जिसने खाद्यान्न में हमारे देश की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की।”

राष्ट्रपति ने कहा, “उन्होंने कृषि विज्ञान में अग्रणी अनुसंधान का नेतृत्व किया जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले - पद्म विभूषण से लेकर प्रतिष्ठित विश्व खाद्य पुरस्कार तक।

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वह अपने पीछे भारतीय कृषि विज्ञान की एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं जो विश्व को मानवता के लिए एक सुरक्षित और भूख-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में मार्गदर्शक के तौर पर काम करेगी।”

एक राष्ट्रीय प्रतीक की भी कमी खलेगी: खरगे

खरगे ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताते हुए कहा, “भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में परिवर्तनकारी योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित स्वामीनाथन को हमेशा याद रखा जाएगा।

भारत को न केवल एक महान वैज्ञानिक की कमी खलेगी बल्कि एक राष्ट्रीय प्रतीक की भी कमी खलेगी जिसने हमारे लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।”

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उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा: राहुल

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता ने हमें एक ऐसे देश में तब्दील कर दिया जो अपनी जरूरत से अधिक खाद्यन्न उत्पादन करता है।

हरित क्रांति के जनक के रूप में उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा। इस दुख की घड़ी में उनके प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।”

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