हाइलाइट्स
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कई सालों से कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि विद्वान
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अतिथि विद्वान कर रहे नियमित करने की मांग
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2 जून 2024 को होने वाली परीक्षा निरस्त
Assistant Professor Bharti 2024: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा-2022 को एक बार फिर से स्थगित कर दिया है। इस परीक्षा में 8 विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर का चयन किया जाना है।
इसी परीक्षा को लेकर मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वानों का भी विरोध है। अतिथि विद्वान इसको लेकर कई बार पहले ज्ञापन भी दे चुके हैं।
उनका आरोप है कि यह परीक्षा भी 2017 में आयोजित पीएससी परीक्षा (Assistant Professor Bharti 2024) की तरह विवादित होती जा रही है।
इस भर्ती परीक्षा को निरस्त किया जाना चाहिए। नए सिरे से असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती की जा रही है।
जबकि कई सालों से कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि विद्वानों को इस परीक्षा में वरीयता नहीं दी जा रही है। उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है।
जून 2024 में होना थी परीक्षा
सहायक प्राध्यापक भर्ती (Assistant Professor Bharti 2024) परीक्षा-2022 का शेड्यूल पहले भी आगे बढ़ चुका है। इसकी परीक्षा 2 जून 2024 को होनी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते इस परीक्षा को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है।
इस परीक्षा में विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, प्राणीशास्त्र के आवेदक शामिल होंगे।
विवादित होती जा रही परीक्षा
सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा (Assistant Professor Bharti 2024) का अतिथि विद्वान विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर पहले कई बार अतिथि विद्वान महासंघ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए मप्र शासन को ज्ञापन दिया है।
महासंघ के अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह ने कहा कि पीएससी किसी भी सूरत में अतिथि विद्वानों के हित में नहीं है। प्रदेश के मूल निवासी अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित के तरफ सरकार ध्यान दें।
उनका कहना है कि इस परीक्षा में दूसरे राज्यों के आवेदक भी शामिल होते हैं। जो बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा भी पीएससी की 2017 की परीक्षा जैसे ही विवादित हो चुकी है।
PSC परीक्षा के कई मामले कोर्ट में
बता दें कि सहायक प्राध्यापक भर्ती (Assistant Professor Bharti 2024) प्रक्रिया लगातार विवादित होती जा रही है। इस परीक्षा के कई मामले कोर्ट में भी हैं।
इसके चलते सरकार अभी कोई निर्णय नहीं ले पाई है। इसके बाद लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लग चुकी है।
हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी अतिथि विद्वानों के लिए अच्छी खबर के संकेत दिए हैं।
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विद्वानों को नियमित करने मांग
अतिथि विद्वान महासंघ का कहना है कि मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में कई सालों से अतिथि विद्वान अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
अब नए सिरे से पीएससी की परीक्षा (Assistant Professor Bharti 2024) आयोजित कर सहायक प्राध्यापकों की भर्ती की जा रही है, लेकिन कई विद्वान अब रिटायर की उम्र तक पहुंच गए हैं, उनके हित में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
महासंघ का कहना है कि अतिथि विद्वानों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। विद्वानों की पहले की कई मांगों का निराकरण नहीं किया गया है।
अतिथि विद्वान महासंघ ने इन मांगों के बाद परीक्षा आयोजित करने की मांग की है-
- पहले MP के मूल निवासी अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाए। इसके बाद MPPSC असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती की परीक्षा कराई जाए।
- अतिथि विद्वानों की उम्र 50 से 55, 58 वर्ष तक हो गई है, इस उम्र में PSC परीक्षा क्यों ?
- अतिथि विद्वानों का कहना है कि उनके पास PHD, NET है, अब क्या योग्यता चाहिए?
- अतिथि विद्वानों के हित की पहले की घोषणा आज तक पूरी नहीं हुई है।
- अतिथि विद्वानों को 50 हजार रूपए फिक्स वेतन दिया जाए।
- अतिथि विद्वानों को बाहर नहीं किया जाए।
- अतिथि विद्वानों को सरकारी कर्मचारियों की तरह लाभ दिया जाए।
अतिथि विद्वान उच्च शिक्षा की रीढ़
अतिथि विद्वान महासंघ के मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पांडेय का कहना है कि अतिथि विद्वानों की समस्या का सिर्फ एक ही हल है नियमितीकरण, स्थाई, कैडर।
अगर सरकार ये करती है तो अपने आप ही अतिथि विद्वानों की समस्याओं का निराकरण हो जाएगा। विद्वानों के साथ सरकार न्याय करें ।
ये कटु सत्य है कि उच्च शिक्षा विभाग को सिर्फ अतिथि विद्वान ही संभाल रहे हैं और उन्हीं का शोषण हो रहा है। उनके साथ सौतेला व्योहार किया जाता है।
अतिथि विद्वान ही उच्च शिक्षा की रीढ़ है, यह बात पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल भी मंच से कह चुके हैं। अतिथि विद्वान संघ की मांग है कि सरकार अब इस रीढ़ को नियमित करके और मजबूत करें।