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MP Women Helpline Number
MP Women Helpline Number 2025: मध्यप्रदेश में सरकारी और निजी कार्यस्थल पर अब महिलाओं से भेदभाव करना महंगा पड़ सकता है।
दरअसल, महिलाओं को भेदभाव से बचाने और समान अवसर दिलाने के उद्देश्य से लेबर विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ऐसी किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए लेबर विभग ने टोल फ्री नंबर जारी किए हैं। समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 के पालन को सुनिश्चित करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें शिकायत दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराए गए हैं।
महिलाएं यहां कर सकती हैं शिकायत
- सीएम हेल्पलाइन पोर्टल: WhatsApp नंबर 07552555582 पर संपर्क किया जा सकता है।
- टोल-फ्री नंबर: 18002338888 पर कॉल करके भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
- श्रम अधिकारी या उपयुक्त प्राधिकारी के पास शिकायत दर्ज करा सकती है।
लैंगिक भेदभाव रोकना मुख्य उद्देश्य
श्रम विभाग द्वारा जारी इस एडवाइजरी का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी महिला कर्मचारी के साथ कार्यस्थल पर लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव न हो, उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन मिले। यह कदम महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षित कार्य वातावरण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
भेदभाव पर सजा और जुर्माना
समान कार्य के लिए असमान वेतन: यदि एम्पलॉयर (Employer) समान प्रकृति के कार्य के लिए पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग पारिश्रमिक (वेतन) देता है, तो यह अधिनियम का उल्लंघन है।
रोजगार के अवसरों में भेदभाव: भर्ती प्रक्रिया में या सेवा शर्तों (जैसे पदोन्नति, प्रशिक्षण, स्थानांतरण) में लैंगिक आधार पर भेदभाव करना दंडनीय है।
पहली बार उल्लंघन पर जुर्माना:अधिनियम की धारा 10 के तहत, पहली बार उल्लंघन करने पर नियोक्ता को ₹10,000 से ₹20,000 तक का जुर्माना हो सकता है।
बार-बार उल्लंघन पर सजा: यदि एम्पलॉयर बार-बार अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो उसे एक माह से एक वर्ष तक का कारावास हो सकता है, साथ ही ₹10,000 से ₹20,000 तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
लैंगिक उत्पीड़न पर सजा और जुर्माना
लैंगिक उत्पीड़न की परिभाषा:यह अधिनियम यौन उत्पीड़न को शारीरिक संपर्क, यौन संबंध बनाने की मांग, अश्लील टिप्पणी, अश्लील सामग्री दिखाना या यौन प्रकृति के अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण है।
भेदभावपूर्ण माहौल: लैंगिक उत्पीड़न एक शत्रुतापूर्ण या अपमानजनक कार्य वातावरण बना सकता है, जिससे महिलाओं को समान अवसर नहीं मिल पाते। अधिनियम इसे रोकने का प्रावधान करता है।
नियोक्ता की जिम्मेदारी: सभी नियोक्ताओं (10 या अधिक कर्मचारी वाले) के लिए आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य है। समिति न होने पर ₹50,000 का जुर्माना हो सकता है।
झूठी शिकायत पर कार्रवाई: यदि यह पाया जाता है कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण थी या झूठे सबूत दिए गए थे, तो समिति शिकायतकर्ता के खिलाफ सेवा नियमों के अनुसार कार्रवाई की सिफारिश कर सकती है, जिससे महिलाओं को प्राप्त सुरक्षा का दुरुपयोग न हो।
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