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Vikramaditya Yojana: विक्रमादित्य योजना के नाम पर मजाक, EWS छात्रों के लिए छलावा, 2500 रुपए में कैसे पूरी होगी पढ़ाई?

Vikramaditya Yojana:  मध्य प्रदेश सरकार की विक्रमादित्य योजना अब सवालों के घेरे में है, योजना में 2500 रुपए सहायता राशि और कठोर पात्रता मानदंडों के कारण छात्रों के लिए छलावा बन गई है। EWS संगठन ने योजना की आलोचना करते हुए इसे छात्रों के साथ मजाक बताया है।

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Vikram Jain
Vikramaditya Yojana: विक्रमादित्य योजना के नाम पर मजाक, EWS छात्रों के लिए छलावा, 2500 रुपए में कैसे पूरी होगी पढ़ाई?

सांकेतिक फोटो।

हाइलाइट्स

  • विक्रमादित्य स्कॉलरशिप योजना को लेकर उठे सवाल
  • EWS वर्ग ने कहा- 2500 रुपए में कैसे पूरी होगी उच्च शिक्षा?
  • सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों के लिए सहायता राशि अपर्याप्त
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Vikramaditya Yojana: मध्य प्रदेश में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए शुरू की गई विक्रमादित्य स्कॉलरशिप योजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं। मध्य प्रदेश सरकार की विक्रमादित्य योजना का उद्देश्य था कि वह गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले सामान्य वर्ग (general category) के छात्रों को मुफ्त उच्च शिक्षा दिलाएगी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कह रही है कि यह योजना एक छलावा है ना इसमें राहत है, ना सम्मान। योजना की राशि, पात्रता मानदंड और प्रशासनिक समस्याएं इसे प्रभावी बनाने में विफल रही हैं।

क्या सिर्फ दिखावा यह योजना है?

मध्य प्रदेश सरकार ने योजना में कहा गया था कि जरूरतमंद छात्र को 2500 रुपए तक की सालाना सहायता राशि मिलेगी, जो शायद आज के समय में एक अच्छे बैग या किताबों का खर्च भी पूरा नहीं कर सकती। तो क्या सरकार यह मान बैठी है कि गरीब छात्रों की पूरी शिक्षा 2500 रुपए में पूरी हो जाती है?, इस योजना की वास्तविकता अब सामने आ रही है, जो गरीब छात्रों के लिए एक बड़ी निराशा बन गई है।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का अपमान

EWS संगठन के अध्यक्ष अधिवक्ता धीरज तिवारी ने योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस योजना का नाम ‘विक्रमादित्य’ जरूर है, लेकिन नीति में कोई महानता नहीं है। ये योजना सिर्फ फोटो में मुस्कुराते चेहरों तक सीमित है, जमीन पर इससे गरीब छात्रों को कुछ नहीं मिलता। 2500 रुपए की मदद देकर सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का अपमान कर रही है। यह नीतिगत भेदभाव और संवैधानिक समानता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

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पात्रता मानदंडों की कठोरता

योजना में इतने कठोर और तंग दायरे की शर्तें रखी गई हैं। योजना के तहत, केवल वही छात्र आवेदन कर सकते हैं जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय 54 हजार से कम हो। जबकि EWS में 8 लाख वार्षिक आय माना गया है। इसके अलावा, छात्र को सरकारी या सहायता प्राप्त कॉलेज में पढ़ाई करनी होगी और 12वीं में 60% अंक प्राप्त करने होंगे। इन कठोर मानदंडों के कारण कई योग्य छात्र योजना से बाहर हो जाते हैं।

सामान्य वर्ग के छात्रों की शिकायतें

रीवा, सतना, मंडला, और छतरपुर जैसे जिलों से सामान्य वर्ग के छात्रों की आई शिकायतें बताती हैं कि योजना की राशि समय पर नहीं मिलती, पोर्टल में त्रुटियाँ हैं, और कॉलेज प्रशासन खुद इसे गंभीरता से नहीं लेता। इससे छात्रों को योजना का लाभ प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

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EWS वर्ग को सिर्फ 2500 रुपए की सहायता क्यों?

छात्रों और EWS संगठन ने सरकार से योजना की राशि बढ़ाने, पात्रता मानदंडों को सरल बनाने और प्रशासनिक समस्याओं का समाधान करने की मांग की है। उनका कहना है कि क्या संविधान की समानता की अवधारणा सिर्फ दिखावे के लिए है? क्या आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के बच्चों को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज किया जा रहा है कि उनके पास कोई 'आरक्षण' की ढाल नहीं? अब वक्त आ गया है कि सरकार सिर्फ EWS वर्ग के लिए योजनाओं की घोषणा न करे, बल्कि उन्हें प्रभावी ढंग से लागू भी करे। वरना ये योजनाएं युवाओं की उम्मीदें तोड़ने वाली घोषणाएं बनकर रह जाएंगी।

EWS वर्ग ने उठाई ये मांगें

  • योजना की राशि कम से कम 25 हजार की जाए
  • निजी कॉलेजों को भी योजना में शामिल किया जाए
  • छात्रावास, किताब, भोजन जैसी आवश्यक सहायता भी जोड़ी जाए
  • सभी EWS छात्रों के लिए 'एकीकृत छात्रवृत्ति योजना' लाई जाए
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MP में 133 साल पुरानी जमीन पर रक्षा मंत्रालय का कब्जा: हाईकोर्ट ने कार्रवाई को बताया गलत, कहा- तुरंत लौटाया जाए कब्जा

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