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हाइलाइट्स
- पुलिस ने नकली नोट छापने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया।
- 5 लाख से ज्यादा नकली नोटों समेत पूरा प्रिंटिंग सेटअप जब्त।
- 5 गिरफ्तार, 90 हजार में बनाते थे 3 लाख के नकली नोट।
Ujjain Fake Currency Gang Busted 5 Arrested: उज्जैन पुलिस ने गुरुवार को बड़ी सफलता हासिल करते हुए नकली नोट छापने और उन्हें बाजार में चलाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके कब्जे से 5 लाख 20 हजार के नकली नोट और नोट छापने की पूरी सामग्री बरामद की गई है।
चौंकाने वाली बात यह है कि पकड़े गए आरोपियों में एक आरोपी ट्रैवल एंड वेलफेयर डिपार्टमेंट के सेवानिवृत्त कमिश्नर का बेटा भी शामिल है। पुलिस जांच में सामने आया कि ये आरोपी आपस में नकली नोटों को कोडवर्ड में ‘सैंडविच’ कहते थे ताकि किसी को शक न हो। अब पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों की जांच शुरू कर दी है।
दुकानदार की शिकायत के बाद कार्रवाई
पूरा मामला इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान संचालक की शिकायत के बाद सामने आया। 1 सितंबर को अमरदीप नगर के इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान संचालक होरीलाल प्रजापति ने माधव नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक युवक दुर्गेश ने उनकी दुकान से वॉशिंग मशीन और मोबाइल खरीदने के लिए के लिए जो 23 हजार रुपए दिए है, वह 100 और 200 रुपए के नोट जाली है। दुकानदार बताया कि कुछ समय बाद उसे पता चला कि जो सभी नोट नकली हैं।
सैंडविच कोडवर्ड और 30% कमीशन का खेल
एसपी प्रदीप शर्मा के अनुसार पूछताछ में दुर्गेश ने खुलासा किया कि उसने अपने दोस्त शुभम कड़ोदिया के जरिए कमलेश और प्रहलाद से संपर्क किया था। ये दोनों ढांचा भवन में रहते हैं और 30 प्रतिशत कमीशन पर नकली नोट सप्लाई करते थे। गिरोह में शामिल सदस्य नकली नोटों को “सैंडविच” कोडवर्ड से पहचानते थे। पुलिस ने बताया कि दुर्गेश, शुभम और शेखर ने दो महीने पहले 90 हजार रुपए देकर 3 लाख के नकली नोट खरीदे थे, जिसे आपस में तीनों ने एक-एक लाख में बांट लिया।
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नकली नोट और कलर प्रिंटर जब्त
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से नकली नोट छापने में इस्तेमाल होने वाला अत्याधुनिक उपकरण जब्त किया है। इनमें सीपीयू, कलर प्रिंटर, विशेष प्रकार का कागज, स्केल, केमिकल और मोबाइल फोन शामिल हैं। यह सभी सामग्री नकली नोटों की छपाई और सप्लाई में उपयोग की जा रही थी।
जेल में बनाई योजना, बाहर आकर छापे नकली नोट
एसपी प्रदीप शर्मा के मुताबिक, पुलिस ने जब ढांचा भवन स्थित गोडाउन पर दबिश दी, तो वहां आरोपी कमलेश और प्रहलाद मौजूद मिले। पूछताछ में उन्होंने बताया कि भेरूगढ़ जेल में उनकी मुलाकात सुनील पाटिल से हुई थी, जो नकली नोटों के मामले में पहले से सजा काट रहा था। सुनील ने जेल में ही उन्हें नोट बनाना सिखाया और बाहर आने पर तीनों ने मिलकर यह धंधा शुरू किया। कमलेश ने नकली नोट तैयार कर दुर्गेश, शुभम और शेखर को 30% कमीशन पर एक-एक लाख रुपए के नोट दिए। आरोपी कमलेश और प्रहलाद ने बताया गया कि वह दोनों एनडीपीएस के मामले में जेल बंद थे।
आरोपी शेखर रिटायर्ड कमिश्नर का बेटा
इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी दुर्गेश के दो अन्य सहयोगियों शुभम और शेखर को भी गिरफ्तार किया है। तीनों के खिलाफ माधवनगर थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 178, 179 और 180 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। इन आरोपियों के खिलाफ पहले से कई दर्ज हैं। गिरफ्तार शेखर पेशे से आर्किटेक्ट है और ट्रेवल एंड वेलफेयर डिपार्टमेंट के रिटायर्ड कमिश्नर महेश यादव का बेटा है, जिससे मामले की संवेदनशीलता और अधिक बढ़ गई है।
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आरोपियों के खिलाफ पहले से दर्ज हैं केस
- प्रहलाद: 2018 में STF द्वारा एनडीपीएस एक्ट में पकड़ा गया, इसे 10 साल की सजा मिली थी।
- कमलेश: 2019 में एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार, 10 साल की सजा।
- सुनील: 2020 में नकली नोटों के साथ पकड़ा गया, 10 साल की सजा।
वर्तमान में ये सभी आरोपी जमानत पर हैं और फिर से सक्रिय हो गए थे।
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