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उज्जैन का 2 हजार साल पुराना देवी मंदिर: 5 मिनट में 1011 दीपों से जगमगा उठता है मंदिर, राजा विक्रमादित्य से है संबंध

उज्जैन का 2 हजार साल पुराना देवी मंदिर: 5 मिनट में प्रज्ज्वलित होते हैं 1011 दीपक, 60 लीटर तेल, 4 किलो रुई से जगमग

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Preeti Dwivedi
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Ujjain Mahakal Maa Harsidhhi Mandir: शारदीय नवरात्रि चल रही हैं। ऐसे में हम आपके साथ एमपी के फेमस मंदिरों के बारे में बता रहे हैं।

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मैहर और रानगिर मंदिर के बाद आज हम बात करेंगे बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के प्रसिद्ध मां हरसिद्धि मंदिर के बारे में। जिसे लेकर कहा जाता है कि यहां राजा विक्रमादित्य ने 12 बार अपना सिर काटकर चढ़ाया था। इस मंदिर में माता सती का कोहनी गिरी थी।

महाकाल मंदिर से इतनी दूर है मां हरसिद्धि मंदिर

अगर आप भी नौरात्रि में माता के धाम में जाना चाहते हैं तो आपको बता दें ये मंदिर महाकाल मंदिर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है। जहां मां हरसिद्धि विराजित हैं।

सप्त सागर में से एक रूद्र सागर के तट पर बना ये हरसिद्ध मंदिर 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। आपको बता दें उज्जैन एकमात्र ऐसा स्थान है जहां ज्योर्तिलिंग के साथ शक्ति पीठ भी विराजमान हैं।

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शिव शक्ति मिलन का प्रतीक ये मंदिर

ऐसा माना जाता है कि ये मंदिर शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी देखा जाता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि जब शिवजी माता सती का मृत शरीर ले जा रहे थे तो उस दौरान मां सती के शरीर के 51 टुकडों में से माता की कोहनी यहीं पर गिरी थी।

कैसे पड़ा मां हरसिद्धि मंदिर

पौराणिक कथाओं में मां दुर्गा सप्तशति पाठ में वर्णन के अनुसार चण्ड-मुण्ड नाम के जुड़वां राक्षसों का पृथ्वी पर आतंक था। एक बार दोनों कैलाश पर्वत पहुंचे थे। जहां शिव निवास में माता पार्वती और भगवान शंकर विराजमान थे। द्वारपाल और नंदी ने उन्हें अंदर जाने से रोका। इस पर दोनों ने नंदी पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया।

यहां शिव ने क्रोधित होकर मां चण्डी का स्मरण किया था। इसके बाद देवी ने दोनों राक्षसों का वध कर दिया। प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां चण्डी से कहा- देवी तुमने इन दुष्टों का वध कर संसार को इनके आतंक से मुक्ति दिलाई है। अत: अब तुम भक्तों की हर मनोकामना, हर सिद्धि पूर्ण करने के लिए हरसिद्धि के नाम से महाकाल वन में विराजित होकर भक्तों के कष्ट हरो।

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[caption id="attachment_674854" align="alignnone" width="646"]Ujjain Maa Harsidhhi Mandir Rajat Mukhota Darshan Ujjain Maa Harsidhhi Mandir Rajat Mukhota Darshan[/caption]

सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी रही मां हरसिद्धि

इतिहासकारों की मानें तो कहा जाता है कि उज्जैन के इस मंदिर में एक समय सम्राट विक्रमादित्य भी सिद्धि के लिए पूजा किया करते थे। कई तांत्रिक ऐसे हैं जो आज भी यहां सिद्धि प्राप्त के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य को यहीं से श्री यंत्र की सिद्धि प्राप्त हुई थी और इसी सिद्धि के बल पर राजा विक्रमादित्य ने पूरे देश पर राज किया था। जिसके बाद वे न्यायप्रिय राजा कहलाए थे। चूंकि यहां पर लोगों हर तरह का कार्य सिद्ध होने लगे इसलिए ये हर सिद्धि मूलतः मंगल शक्ति चंडी है।

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मंदिर में विक्रमादित्य के सिर होने की मान्यता

हर मंदिर के पीछे कुछ लोक कथा जुड़ी होती है। ऐसे ही उज्जैन की लोक कथाओं के मुताबिक माना जाता है कि मंदिर में जो सिंदूर चढ़े सिर रखे है वो राजा विक्रमादित्य के हैं।

ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि कहा जाता है कि विक्रमादित्य (Ujjain Harsidhhi Mata Mandir in Hindi) ने देवी को प्रसन्न करने के लिए हर 12वें साल में अपना सिर काटकर चढ़ाया था। राजा विक्रमादित्य ने ऐसा 11 बार ऐसा किया और हर बार सिर वापस आ जाता था, लेकिन 12वीं ऐसा नही हुआ और इस बार सिर काटकर चढ़ाने के बाद वापस नहीं आया। इसी साल से उनके 144 वर्ष के शासन का अंत माना जाने लगा।

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2 हजार पुराना है माता मंदिर

जानकारों की मानें तो उज्जैन का मां हरसिद्धि मंदिर (Ujjain Harsidhhi Mata Mandir) करीब 2 हजार साल पुराना है। यहां बना दीप स्तंभ 51 फीट ऊंचाई पर है। ऐसे दो दीप स्तंभ हैं। जिसमें 1011 दीपक हैं।

5 मिनट में प्रज्ज्वलित होते हैं 1011 दीपक

मंदिर में जब​ शाम की आरती होती है तो उसके पहले 6 लोग मंदिर की दीप स्तंभ पर चढ़कर 5 मिनट में इन्हें प्रज्ज्वलित कर देते हैं। जिसके बाद पूरा मंदिर रोशनी से जगमग हो उठता है।

प्रतिदिन मंदिर में लगती है 4 किलो रुई

आपको बता दें इस मंदिर के दीप स्तंभ लगे दीपक को जलाने में 60 लीटर तेल और 4 किलो रुई का उपयोग किया जाता है।

दीप जलाने के लिए दिसंबर तक वेटिंग

मंदिर में दीप जलाने की मान्यता ऐसी है कि इसके लिए लोग बुकिंग करते हैं। अभी यहां भक्तों की आस्था ऐसी है, कि दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए यहां दिसंबर तक वेटिंग चल रही है। दोनों दीप स्तंभों पर दीप जलाने का खर्च करीब 15 हजार रुपए आता है।\

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