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हार्टफुलनेस संस्थान और विक्रम विश्वविद्यालय के बीच MOU: दोनों संस्थान एक-दूसरे के साथ करेंगे ज्ञान का आदान-प्रदान

Ujjain News:उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में हार्टफुलनेस संस्थान (Heartfulness Institute) और विक्रम विश्वविद्यालय (Vikram University) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस MOU का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच ज्ञान का हस्तांतरण करना है।

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BP Shrivastava
Ujjain News

Ujjain News: उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह के दौरान हार्टफुलनेस संस्थान (Heartfulness Institute) और विक्रम विश्वविद्यालय (Vikram University) के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस MOU का उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच ज्ञान का हस्तांतरण करना है, जिसमें विशेष रूप से हार्टफुलनेस ध्यान और विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षाविदों, शिक्षकों और प्रबंधन के लिए समग्र कल्याण की तकनीकें शामिल हैं, साथ ही कृषि और स्थायित्व संबंधी तकनीकी जानकारी भी शामिल है।

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MOU का उद्देश्य

MOU का उद्देश्य कॉलेज, संस्थान और विश्वविद्यालयों के छात्रों, कर्मचारियों, शिक्षकों और परामर्शदाताओं और प्रशासनिक कर्मचारियों को हार्टफुलनेस संस्थान (Heartfulness Institute) में पाठ्यक्रम और कार्यक्रम प्रदान करना है। हार्टफुलनेस संस्थान द्वारा विकसित किए जाने वाले पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप पर्यावरणीय स्थिरता और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों में शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लक्ष्यों के साथ सूचीबद्ध किए जाएंगे।

MOU पर बात करते हुए हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और श्रीराम चंद्र मिशन के अध्यक्ष कमलेश डी. पटेल 'दाजी' ने कहा, "हमें बहुत खुशी है कि समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करने से दो संस्थान ज्ञान हस्तांतरण और साझा संसाधनों का उपयोग करके एक-दूसरे को सशक्त बनाने में एकसाथ आ गए हैं। यह सहजीवन छात्रों को आगे बढ़ने में अभूतपूर्व तरीके से मदद करेगा।"

[caption id="attachment_789047" align="alignnone" width="1040"]publive-image विक्रम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हार्टफुलनेस संस्थान और विक्रम यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू हुआ।[/caption]

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'ध्यान तनाव से मुक्ति का अंतिम साधन'

विक्रम विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में संबोधित करते हुए दाजी ने कहा, "ध्यान तनाव से खुद को मुक्त करने और मुक्ति प्राप्त करने का अंतिम साधन है। कई ऋषि आए और चले गए, लेकिन बहुत से लोग ध्यान करने का आसान तरीका नहीं समझ पाए। भगवान कृष्ण ने भी ध्यान पर जोर दिया। ध्यान न केवल हमें कर्म के बंधन से मुक्त करता है, बल्कि अपना सर्वश्रेष्ठ करते हुए ईश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण करने का दृष्टिकोण भी पैदा करता है। यह दृष्टिकोण ध्यान के माध्यम से खूबसूरती से विकसित होता है।"

सीएम मोहन यादव और दाजी को मानद डी. लिट की उपाधि

रविवार को उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक और श्री राम चंद्र मिशन के अध्यक्ष दाजी को भी मानद डी. लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया। मानद उपाधि राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने प्रदान की। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री इंद्र सिंह परमार, सांसद बालयोगी उमेशनाथ महाराज, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा और अन्य लोग भी उपस्थित थे।

हार्टफुलनेस संस्थान ने इससे पहले AICTE और ICAR सहित अन्य संस्थानों के साथ इसी प्रकार के ज्ञान और कौशल हस्तांतरण कार्यक्रमों के लिए MOU किए थे, जिससे इन प्रतिष्ठित संगठनों के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों के छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों को लाभ होगा।

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हार्टफुलनेस क्या है ?

हार्टफुलनेस, ध्यान के अभ्यासों और जीवन शैली में बदलाव का एक सरल संग्रह प्रस्तुत करता है। इसकी उत्पत्ति बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में हुई और भारत में 1945 में श्रीराम चंद्र मिशन की स्थापना के साथ इसे औपचारिक रूप दिया गया। जिसका उद्देश्य था एक-एक करके हर हृदय में शांति, खुशी और बुद्धिमत्ता लाना। ये अभ्यास योग का एक आधुनिक रूप हैं। जिनकी रचना एक उद्देश्यपूर्ण जीवन की दिशा में पहले कदम के रूप में संतोष, आंतरिक शांति और स्थिरता, करुणा, साहस और विचारों में स्पष्टता लाने के लिए की गई है।

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वे सरल और आसानी से अपनाए जाने योग्य हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, धार्मिक विश्वासों और आर्थिक स्थितियों के लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिनकी उम्र पंद्रह वर्ष से अधिक है। हार्टफुलनेस अभ्यासों में प्रशिक्षण हजारों स्कूलों और कॉलेजों में चल रहा है, और 100,000 से अधिक पेशेवर दुनिया भर में कॉर्पोरेट निगमों, गैर-सरकारी और सरकारी निकायों में ध्यान कर रहे हैं। 160 देशों में 5,000 से अधिक हार्टफुलनेस केंद्रों का हजारों प्रमाणित स्वयंसेवी प्रशिक्षकों और लाखों अभ्यास करने वालों द्वारा संचालन किया जाता है।

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MP में टीचर को तीन बच्चों की मां बनना पड़ा भारी: छतरपुर में पदस्थ शिक्षिका बर्खास्त, जानें क्या है पूरा मामला

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MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक महिला शिक्षक को तीन बच्चों की मां होना बहुत भारी पड़ गया। तीन बच्चों की मां होने पर शासकीय शिक्षक रंजीता साहू को नौकरी से हटा दिया गया है। महिला शिक्षक शासकीय स्कूल धमौरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं। शिक्षक रंजीता साहू के तीन संतान होने के बाद यह विभागीय कार्रवाई की गई है। मध्यप्रदेश शासन ने 2001 के बाद तीन संतान होने पर शासकीय शिक्षक की सेवा समाप्ति के नियम लागू किया था। जांच के बाद सागर के संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग ने शिक्षक रंजीता साहू का बर्खास्तगी का आदेश जारी किया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

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