MP Transfer Policy: मध्य प्रदेश में नई तबादला नीति का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो चुका है। इसमें प्रावधान किया गया है कि अब अफसरों और कर्मचारियों का एक जिले से दूसरे जिले में तबादला विभागीय मंत्री और जिलों के भीतर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से ही होगा।
आपको बता दें कि 20 अगस्त को कैबिनेट की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें नई तबादला नीति को मंजूरी दी जा सकती है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के तबादलों पर से 20 अगस्त से 5 सितंबर तक बैन हटेगा। ऐसी भी संभावना है कि कैबिनेट सिर्फ तृतीय और चतुर्ष श्रेणी के कर्मचारियों के तबादलों को मंजूरी दे।
बता दें कि नई नीति में भी पुरानी नीति के मुताबिक राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, विभागाध्यक्ष और क्लास वन अफसरों के तबादले सीएम की सहमति से संबंधित विभाग ही करेगा। जो अधिकारी जिस जिले में पदस्थ रहा है, उसकी पोस्टिंग उस जिले में नही होगी। सबसे बड़ी खास बात ये है कि शिक्षा विभाग के तबादले इस ड्रॉफ्ट में शामिल नहीं हैं।
चलिए जानते हैं नई तबादला नीति में किस विभाग के लिए क्या…..
पुलिस महकमें में ऐंसी रहेगी प्रोसेस
DSP और उनसे बड़े पुलिस अफसरों के ट्रांसफर के लिए पुलिस स्थापना बोर्ड के दिशा-निर्देश और विभागीय मंत्री का अप्रूवल लेना होगा। इसके बाद मुख्यमंत्री की सहमति लेनी होगी।
वहीं जिले के भीतर DSP से नीचे के पुलिस अफसरों के ट्रांसफर का निर्णय पुलिस स्थापना बोर्ड लेगा। इसके बाद पुलिस अधीक्षक, प्रभारी मंत्री के अप्रूवल के बाद आदेश जारी किए जाएंगे।
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) August 19, 2024
राज्य प्रशासनिक सेवा में ऐसे होंगे ट्रांसफर
राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का ट्रांसफर के लिए मुख्यमंत्री के अप्रूवल के बाद सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) करेगा।
वहीं जिले के भीतर कलेक्टर प्रभारी मंत्री से विचार-विमर्श कर डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर के ट्रांसफर कर सकेंगे।
इसके साथ ही तहसीलदार और नायब तहसीलदार के ट्रांसफर के लिए भी कलेक्टर को प्रभारी मंत्री से अप्रूवल लेना पड़ेगा।
जो क्लास वन और क्लास टू अधिकारी जिलों में 3 साल पूरा कर चुके हैं, उनका दूसरे जिलों में ट्रांसफर राज्य सरकार करेगी।
इसके साथ ही जिले में 3 साल को पूरा कर चुके क्लास थ्री कैटेगरी के कार्यपालिक अधिकारियों और कर्मचारियों का भी ट्रांसफर किया जा सकेगा।
खुद के खर्च पर
खुद के खर्च पर और म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन या फिर कार्यालय प्रमुख को आवेदन करना होगा। स्वयं के खर्च पर खाली पड़े पदों पर किए गए तबादले या प्रशासनिक कारणों के चलते किए गए तबादले के आदेश अलग-अलग जारी किए जाएंगे।
खुद के खर्च पर ट्रांसफर के लिए आवेदन देने वाले लोगों में उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने पिछले तय किए गए टार्गेट पूरे किए हों।
रिटायर होने वाले
ऐसे कर्मचारी या अधिकारी जो एक साल या उससे पहले कम समय में रिटायर हो रहें हैं, उनका तबादला नहीं किया जाएगा।
पति-पत्नी के लिए
इसके अलावा पति-पत्नी एक साथ ट्रांसफर का आवेदन देते हैं, तो उनके तबादले किए जा सकेंगे। लेकिन, प्रशासनिक जरूरत के हिसाब से नियुक्ति की जगह तय होगी।
गंभीर बीमारी वाले कर्मचारी
ऐसे कर्मचारी जिन्हें गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी खराब के कारण डायलिसिस या हार्ट सर्जरी के कारण रेगुलर जांच कराना जरूरी है, उनका ट्रांसफर जहां होगा वहीं ये सुविधाएमं दी जाएंगी। अगर सुविधा नहीं है तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर उनकी चाही गई जगह तबादला हो सकेगा।
40% से ज्यादा दिव्यांग
ऐसे कर्मचारी जो 40% या इससे अधिक दिव्यांग कैटेगरी में आते हैं, उनके ट्रांसफर नहीं किए जाएंगे। अगर वे चाहें तो खुद से ट्रांसफर ले सकेंगे।
नई नीति में ये पॉइंट भी शामिल…
पहले भरे जाएंगे अनुसूचित इलाकों के पद
नई तबादला नीति में सबसे पहले अनुसूचित इलाकों के खाली पदों को भरे जाने के लिए प्राथमिकता दी गई है। अगर सरकारी प्रक्रिया से किसी का ट्रांसफर हो रहा होगा, तो इस आधार पर उसके तबादले में रोक लग सकती है।
वहीं निर्माण और नियामक से जुड़े विभागों के ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने पिछले साल के टारगेट को पूरा नहीं किया है, उनका ट्रांसफर प्रशासनिक आधार पर होगा। ये व्यवस्था बाकी के विभागों में लागू नहीं की जाएगी।
इसके अलावा कोर्ट के फैसले, खाली पदों को भरने, गंभीर शिकायतें, प्रमोशन और प्रतिनियुक्ति से वापसी के मामलों में संबंधित विभाग फैसला करेंगे।
लिंगानुपात कम वाली जगहों पर महिलाओं की पोस्टिंग
नई ट्रांसफर नीति में इस बार प्रमुखता से ये बिंदु शामिल किया गया है कि जिन जिलों में लिंगानुपात कम होगा, वहां महिला अधिकारियों की पोस्टिंग को प्रमुखता दी जाएगी।
स्कूल शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक
स्कूल शिक्षा विभाग में फिलहाल तबादलों को रोक दिया गया है। उच्च पद के प्रभार देने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही विभाग तबादलों पर विचार करेगा। इस समय, बोर्ड परीक्षाओं और स्थानीय परीक्षाओं के चलते पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया गया है। DSP और उनसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड के दिशा-निर्देशों और विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद मुख्यमंत्री की स्वीकृति से किए जाएंगे।
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