MP Transfer News-2025: मध्यप्रदेश में तबादलों के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख में एक हफ्ते का समय बचा है। इसे लेकर अलग-अलग विभागों को 1 मई से 24 मई के बीच ट्रांसफर के 1.5 लाख से ज्यादा आवेदन मिले हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 50 हजार ट्रांसफर होना हैं।
इस स्थिति में विभागीय मंत्री और जिलों में जहां जिले के भीतर ही ट्रांसफर होना है, प्रभारी मंत्री असमंजस में हैं। उज्जैन से सांसद अनिल फिरोजिया समेत अन्य कई मंत्रियों ने बंगलों के बाहर तख्ती लटकवा दी है, जिस पर लिखा है तबादलों के लिए संपर्क न करें। इस दौरान सरकार तबादलों की तारीख 31 मई के बाद एक सप्ताह तक बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। इसकी वजह पिछले तीन साल से ट्रांसफर पर प्रतिबंध होना है।
स्कूल शिक्षा विभाग में आए 35 हजार आवेदन
स्कूल शिक्षा विभाग में ट्रांसफर के लिए सबसे ज्यादा मारामारी है, जहां 35 हजार आवेदन आए हैं। भोपाल में एक पद के लिए 40-40 आवेदन हैं। उच्च शिक्षा में भी यही हाल है, जहां भोपाल में पोस्टिंग के लिए लंबी कतार लगी हुई है। राजस्व विभाग में 8 हजार और स्वास्थ्य विभाग में 4 हजार से ज्यादा आवेदन आए हैं।
तबादलों में फंस रहा यह गणित
तबादला नीति के अनुसार, सीधे उन विभागों के स्तर पर ट्रांसफर होना है जहां राज्य स्तरीय कैडर है। जैसे खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में, जहां कैडर में निरीक्षकों की स्वीकृत पोस्ट 250 हैं, जिनमें से केवल 147 कार्यरत हैं। इसमें 10% के हिसाब से केवल 14 से 15 ट्रांसफर होने हैं। इसके अलावा, स्वेच्छा से ट्रांसफर के लिए आए आवेदन भी शामिल किए जा रहे हैं। इसी तरह, कोऑपरेटिव में भी पद सीमित हैं, लेकिन ट्रांसफर के लिए आवेदन 50% से अधिक हैं।
जनजातीय विभाग में तबादले मंत्री की मंजूरी से ही होंगे। मंत्री के विवादित होने के कारण यहां भी ट्रांसफर लटके हुए हैं, क्योंकि तबादलों के लिए नाम केवल विभाग के मंत्री की स्वीकृति के बाद ही फाइनल होंगे।
संविदा कर्मियों के लिए यह पॉलिसी
संविदा कर्मियों के ट्रांसफर की एक खास बात यह है कि अगर आप तबादला चाहते हैं, तो जहां आप अभी काम कर रहे हैं, वहां का एग्रीमेंट खत्म करना होगा। इसके बाद, जिस जगह पर आप पदस्थापना चाहते हैं, वहां नया एग्रीमेंट करना होगा। प्रदेश में ढाई लाख संविदा कर्मी हैं। एक दिन पहले ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने संविदा कर्मियों के ट्रांसफर के लिए नीति जारी की है। यह नीति अन्य 20 विभागों में भी लागू होगी। संविदा कर्मियों को 5 साल के लिए अनुबंध करना होगा।
ट्रांसफर में विधायकों की सहमति को अहमियत
क्षेत्र के ट्रांसफर के मामले में विभागीय मंत्री विधायकों की सहमति को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। इसका उद्देश्य यह है कि विधायकों की नाराजगी न हो। इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों के विधायकों की सहमति को महत्व दिया जाएगा।
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इनके ट्रांसफर सीएम समन्वय से ही होंगे
क्लास-1 और क्लास-2 के अधिकारियों के ट्रांसफर मुख्यमंत्री के समन्वय से होने हैं। इसलिए इन ट्रांसफर में ज्यादा हलचल नहीं है। यहां यह देखा जा रहा है कि अधिकारी एक ही जगह पर तीन साल से अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए। स्वेच्छा के आधार पर पति-पत्नी के ट्रांसफर एक ही स्थान पर करने की भी नीति है। इस पर सीएम ने कई बार सहमति जताई है।
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