रिपोर्ट – सौरभ जैन
MP TET 2023 Candidates Protest: मध्यप्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 2023 में चयनित हुए उम्मीदवार भर्ती नहीं होने से धैर्य खोते जा रहे हैं। गुरुवार 30 जनवरी को प्रदेशभर से आए अभ्यर्थियों ने भोपाल में बाल कटाकर और दंडवत होकर प्रदर्शन किया। बंसल न्यूज डिजिटल से बात करते हुए महिला अभ्यार्थियों की आंखों में आंसू थे और हाथ में कटे हुए बाल। कैंडिडेट्स का कहना है कि स्कूलों में हजारों पद खाली पड़े हैं, सरकार उन्हें पूरा क्यों नहीं भर रही ? इसका जवाब देना होगा।
2-2 परीक्षा पास, लेकिन अब भी नियुक्ति का इंतजार
एक और अभ्यर्थी की मां जबलपुर से भोपाल प्रदर्शन में शामिल होने आई थीं। उन्होंने रोते हुए अपनी चयनित बेटी के लिए नियुक्ति की मांग की। उन्होंने कहा मेरी बेटी डेढ़ साल से 2-2 परीक्षा पास करके बैठी हुई है पर नियुक्ति नहीं होने से बहुत परेशान है। आज मैं अपनी बेटी के लिए इंसाफ की मांग करने आई हूं।
कांग्रेस का सरकार पर हमला
तानाशाही का जीता जागता नमूना बन चुकी है मोहन सरकार!
महिलाओं को सबसे प्रिय उनके बाल होते हैं मगर सरकार के झूठे वादों के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए उन्होंने अपने बालों तक की भी कुर्बानी दे दी।
सरकार जवाब दे!
👉🏻इन हजारों प्रतीक्षारत शिक्षकों की नियुक्ति का इंतजार कब खत्म होगा?… https://t.co/HDHtt3A92i pic.twitter.com/WcUh6wG5jc— Umang Singhar (@UmangSinghar) January 30, 2025
मध्यप्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-1 2023 में चयनित उम्मीदवारों के प्रदर्शन को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर हमला बोला। सिंघार ने कहा कि ये सरकार युवाओं के भविष्य से कब तक खिलवाड़ करेगी ? वादाखिलाफी और बेरुखी की राजनीति अब नहीं चलेगी।
नियमित शिक्षकों की कमी से बिगड़ा रिजल्ट
प्रदर्शन कर रहे उम्मीदवारों का कहना है कि साल 2023-24 के 10वीं और 12वीं क्लास का रिजल्ट नियमित शिक्षकों की कमी के कारण पिछड़ा है। इस कारण 12वीं कक्षा के अंग्रेजी में 1.52 लाख, हिंदी में 47 हजार, फिजिक्स में 60 हजार और अर्थशास्त्र में 53 हजार से ज्यादा स्टूडेंट फेल हो गए। यदि इनके स्कूलों में शिक्षक पर्याप्त होते तो ये दिन नहीं देखना पड़ता।
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फिर आंदोलन की नौबत क्यों आई ?
प्रदेश में पदवृद्धि को लेकर वेटिंग शिक्षक लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। भोपाल में भी कई बार आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन भर्ती में पदों को बढ़ाने को लेकर सरकार का कोई रुख अब तक साफ नहीं हो सका है। इसलिए कैंडिडेट्स आंदोलन कर रहे हैं।
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