MP Govt Shikshak Issue: मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नवंबर महीने में हाफ ईयरली एग्जाम है और इधर विभाग परीक्षा की तैयारियां से कहीं ज्यादा शिक्षकों को इधर से उधर करने में ज्यादा व्यस्त दिखाई दे रहा है।
बिना तैयारी अतिशेष प्रक्रिया कराने के साइड इफैक्ट ये हैं कि हाफ ईयरली एग्जाम से एक महीने पहले तक सवा लाख स्टूडेंट को कौन शिक्षक पढ़ाने वाला है अभी ये ही तय नहीं हो पाया है।
बीच सत्र में पता चला अतिशेष हैं शिक्षक
ऐसे स्कूल जहां स्वीकृत पद से ज्यादा शिक्षक हैं, उन अतिरिक्त शिक्षकों को अतिशेष कहा जाता है। ऐसे अतिशेष शिक्षकों को समय समय पर चिन्हित कर उन स्कूलों में भेजा जाता है, जहां पोस्ट खाली हो।
बिना तैयारी अतिशेष प्रक्रिया के साइड इफैक्ट: नवंबर में हाफ ईयरली Exam, सवा लाख छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक ही तय नहीं
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— Bansal News (@BansalNewsMPCG) October 17, 2024
सामान्यत: ये प्रक्रिया शैक्षणिक सत्र शुरु होने से पहले की जाना चाहिए ताकि पढ़ाई पर इसका असर न पड़े, लेकिन इस बार इसे बीच सत्र में शुरु किया गया। जो शिक्षक दो से तीन महीने स्टूडेंट को पढ़ा चुके थे, उन्हें एक से डेढ़ महीने पहले अचानक पता चला कि वे अतिशेष हैं।
सवा लाख स्टूडेंट की पढ़ाई पर असर
अतिशेष प्रक्रिया शुरु से विवादों में रही। 15 हजार अतिशेष शिक्षकों ने नये स्कूलों में अपनी आमद दे दी है, लेकिन करीब 5 हजार ऐसे अतिशेष शिक्षक है, जिन्होंने बीच सत्र में इस तरह की कार्रवाई पर आपत्ति उठाई है।
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 30 स्टूडेंट पर 1 शिक्षक और नई शिक्षा नीति के तहत 25 स्टूडेंट पर 1 शिक्षक की अनिवार्यता पर जोर दिया है। इस अनुसार यह कहा जा सकता है कि 5 हजार अतिशेष शिक्षकों की प्रक्रिया अधर में लटकी होने से सवा लाख स्टूडेंट की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, वह भी तब जब नवंबर में हाफ ईयरली एग्जाम होना है।
अतिशेष की प्रक्रिया के विरोध की मुख्य वजह
अतिशेष की प्रक्रिया के विरोध की दो मुख्य वजह बताई जा रही है। शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र कौशल का कहना है कि यदि विभाग को अतिशेष की प्रक्रिया करनी थी तो सत्र के शुरुआत में कर लेते, हाफ ईयरली एग्जाम से पहले इसे करने की क्या जरुरत थी।
शिक्षक का भी अपना परिवार है। बीच सत्र में अतिशेष प्रक्रिया के कारण उसका ट्रांसफर कहीं और हो जाता है तो वह अपने बच्चे का एडमिशन दूसरी जगह कहां से कराएगा।
अतिशेष प्रक्रिया में ये विसंगति
1. पोर्टल को अपडेट नहीं किया। जिससे जहां अतिशेष शिक्षक नहीं थे, वहां भी अतिशेष बता दिया गया। कुछ अतिशेष शिक्षक जिन स्कूलों में ज्वाइनिंग करने पहुंचे वहां पद ही खाली नहीं थे।
2. शिक्षक संगठनों का आरोप है कि सीनियर्स शिक्षक को जानबूझकर टारगेट कर अतिशेष की श्रेणी में डाल दिया गया। जबकि नियमानुसार जूनियर्स को ही अतिशेष शिक्षक माना जाता है।
3. पोर्टल की विसंगति पर जब उंगली उठी तो विभाग के अधिकारियों ने ये कह दिया कि अतिशेष की प्रक्रिया ऑफलाइन की गई, जबकि जिला शिक्षा अधिकारियों के अनुसार ये ऑनलाइन ही हुई है।
18 से 20 अक्टूबर तक होगी सुनवाई
अतिशेष शिक्षकों से दावा आपत्ति बुलाई गई थी कि आखिर वे क्यों अन्य स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते। इन दावा आपत्तियों को संभागवार ज्वाइंट डायरेक्टर 18 से 20 अक्टूबर तक करेंगे।
इसके बाद भी यदि किसी कि समस्या का समाधान नहीं हो पाता है तो फिर उनकी सुनवाई लोक शिक्षण संचालनालय करेगा। सुनवाई के लिए विभाग ने अधिकारी भी नामांकित कर दिये हैं।