MP HC Teacher Recruitment: मध्य प्रदेश में हाई स्कूल शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट (जबलपुर) ने एक अहम आदेश सुनाया है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भर्ती के लिए सेकंड डिवीजन क्राइटेरिया पर अपना आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि पात्रता परीक्षा में 45 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक अंक प्राप्त करने वालों को सेकंड डिवीजन माना जाएगा।
इससे पहले सेकंड डिवीजन को लेकर विभिन्न विश्वविद्यालयों के अलग-अलग क्राइटेरिया के कारण विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
कोर्ट ने कहा- अंकों से प्रतिशत तय किया जाए
स्कूल शिक्षा विभाग ने 45 प्रतिशत अंक वाले कैंडिडेट्स को सेकंड डिवीजन मानकर चयनित किया था, जबकि 49 प्रतिशत अंक हासिल वालों को थर्ड डिवीजन मानकर उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। इसके खिलाफ कई कैंडिडेट्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए माना कि पात्रता के लिए डिवीजन के बजाय अंकों का प्रतिशत तय किया जाना चाहिए। इसलिए, कोर्ट ने सेकंड डिवीजन का मानक 45 से 60 प्रतिशत के बीच निर्धारित किया है।
आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स को 5% छूट ना देने पर सरकार से जवाब मांगा
साथ ही हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के कैडिडेट्स को अंकों में 5 प्रतिशत की छूट नहीं देने पर राज्य सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग से जवाब भी मांगा है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तारीख तय की है।
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने नहीं दिया ध्यान
याचिकाकर्ता के वकील रामेश्वर सिंह ने बताया कि यह सुनवाई 2018 से संबंधित हाई स्कूल शिक्षक भर्ती के नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हो रही है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि भर्ती के नियमों में असमानताएं दूर की जाएं और याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति दी जाए, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
इसलिए हाईकोर्ट पहुंचे कैंडिडेट्स
असल में, हाई स्कूल शिक्षक भर्ती में कैंडिडेट्स के सेकंड डिवीजन क्राइटेरिया को लेकर शुरू से ही विवाद था। शिक्षा विभाग ने 448 ऐसे कैडिडेट्स को सेकंड डिवीजन मानकर भर्ती किया है, जिनके ग्रेजुएशन में अंक 45 से 50 प्रतिशत के बीच थे। वहीं कुछ उम्मीदवारों के अंक 49 प्रतिशत थे, लेकिन उन्हें थर्ड डिवीजन मानकर भर्ती से बाहर कर दिया गया। इन कैडिडेट्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कम प्रतिशत वालों को नियुक्ति, ज्यादा वाले वंचित
वकील रामेश्वर सिंह ने कोर्ट को बताया कि कुछ कैडिडेट्स की मार्कशीट पर 47, 48, 49 प्रतिशत अंक थे, लेकिन उन्हें थर्ड डिवीजन दिखाया गया और नियुक्ति से वंचित किया गया। वहीं कुछ कैडिडेट्स को 45, 46 प्रतिशत अंक होने के बावजूद सेकंड डिवीजन मानकर नियुक्ति दी गई। इस पर अलग-अलग विश्वविद्यालयों के पैमानों से विरोधाभास भी उत्पन्न हो रहा था।
शिक्षा विभाग की भर्ती सवालों के घेरे में आई
वकील ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के नियमों के अनुसार कैडिडेट्स की पात्रता अंकों के प्रतिशत से तय होनी चाहिए, न कि डिवीजन के आधार पर। शिक्षा विभाग ने केवल डिवीजन के आधार पर भर्ती की, जो कि सवालों के घेरे में आ गई थी।
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6 हजार पदों पर नहीं हो सकी शिक्षक भर्ती
वर्तमान में, हाई स्कूल शिक्षक भर्ती के 18 हजार पदों में से 6 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। बहरहाल, शुक्रवार को हुई सुनवाई में आरक्षित वर्ग को 5 प्रतिशत की छूट न देने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
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