MP High School Teacher Recruitment Case: शिक्षक भर्ती मामले में मध्यप्रदेश सरकार की लापरवाही को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि पूर्व आदेश के बावजूद सरकार ने हाईस्कूल शिक्षक भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव नहीं किया। इतना ही नहीं, आदेश के बावजूद नियुक्ति भी नहीं दी। जस्टिस डीडी बंसल की एकलपीठ ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल और लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
भर्ती नियम 2018 असंवैधानिक
हरदा निवासी शिवानी शाह व अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने 17 मार्च 2025 को शिक्षक भर्ती नियम 2018 के तहत हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के लिए योग्यता के नियम को भेदभावपूर्ण बताते हुए उसे असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
आदेश के बाद भी नहीं बदले नियम
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रदेश में हाईस्कूल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के नियम लागू होंगे। कोर्ट ने आदेश दिए थे कि राज्य सरकार एनसीटीई के नियमों को भूतलक्षी प्रभाव (बैकडेट) से लागू कर नियुक्ति प्रक्रिया करें। एनसीटीई नियम के अनुरूप योग्यता 50 प्रतिशत तथा 45 प्रतिशत के आधार पर नियुक्ति दी जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने न तो भर्ती नियमों में बदलाव किया और न ही योग्य उम्मीदवारों को नियुक्त किया। इससे नाराज होकर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना याचिका दायर की।
आरक्षित वर्गों को 5% छूट का भी था आदेश
वहीं एक अन्य मुद्दे पर भी अहम आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने एससी, एसटी, ओबीसी और दिव्यंगों को योग्यता मे 5 प्रतिशत की छूट प्रदान करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने कहा था कि 2018 की चयन प्रक्रिया में नियुक्त हुए उम्मीदवारों को प्रभावित नहीं किया जाए। वहीं 2023 की चयन प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार पूरक चयन प्रक्रिया अपनाए और उन सभी उम्मीदवारों को उसमें शामिल करे जो इस आदेश के तहत लाभ पाने के हकदार हैं।
शिक्षा सचिव और आयुक्त को नोटिस
इस पर जस्टिस डीडी बंसल की एकलपीठ ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल और लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।