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हाइलाइट्स
देश की 3 जगहों को रामसर साइट का टैग
मध्यप्रदेश का तवा डैम अब रामसर साइट
सीएम मोहन यादव ने दी बधाई
MP Tawa Dam Ramsar Site: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई। मध्यप्रदेश के तवा डैम को रामसर साइट में शामिल कर लिया गया है। देश के 3 स्थलों को रामसर साइट का टैग मिला है जिसमें तवा डैम भी शामिल है। सीएम मोहन ने ट्वीट करके बधाई दी है।
ये 3 जगहें रामसर साइट में शामिल
मध्यप्रदेश के तवा डैम के अलावा तमिलनाडु के नंजरायन पक्षी अभयारण्य और काजुवेली पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट का टैग मिला है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दी बधाई
https://twitter.com/byadavbjp/status/1823628161944539292
3 स्थलों को रामसर लिस्ट में शामिल किए जाने पर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने खुशी जताई है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि जैसा कि राष्ट्र अपना स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है, वहीं, अपने भारत के रामसर स्थलों की सूची में तीन रामसर साइटें जोड़ी गई हैं। उन्होंने कहा कि ये उपलब्धि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने, हमारी आर्द्रभूमियों को अमृत धरोहर कहने और उनके संरक्षण के लिए लगातार काम करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जोर को दर्शाती है।
सीएम मोहन ने ट्वीट करके दी बधाई
https://twitter.com/DrMohanYadav51/status/1823679068954304695
सीएम मोहन यादव ने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश के लिए एक और उपलब्धि 'तवा जलाशय' बना रामसर साइट। यह भारत के साथ-साथ मप्र के लिए भी गर्व का विषय है कि तवा जलाशय को रामसर साइट घोषित किया गया है, मैं सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ।
रामसर साइट और कन्वेंशन क्या है ?
रामसर साइट दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैले वेटलैंड हैं। 1971 में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए दुनियाभर के वेटलैंड को संरक्षित करने के लिए यूनेस्को ने एक कन्वेंशन किया था। ये कन्वेंशन ईरान के रामसर में हुआ था। यहां इंटरनेशनल वेटलैंड ट्रिटी पर कई देशों ने साइन किए थे। इसके बाद से विश्व के अलग-अलग देशों में जैव विविधता से परिपूर्ण वेटलैंड्स की पहचान करके उन्हें रामसर साइट का टैग देकर संरक्षित किया जाता है।
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रामसर साइट के टैग के फायदे
रामसर साइट का टैग मिलने के बाद वेटलैंड की पूरी निगरानी की जाती है। उसे पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए तैयार किया जाता है। रामसर साइट की घोषणा से पहले ही ये तय कर लिया जाता है कि यहां कितने तरह के पक्षियों की प्रजातियां रह रही हैं और यहां का इकोसिस्टम क्या है। इसके बाद एक तय वैश्विक मानक के तहत वेटलैंड को संरक्षित किया जाता है। रामसर साइट पर ऐसे निर्माणों को रोक दिया जाता है जिससे जैव विविधता प्रभावित होने की आशंका होती है।
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1978 में बना था तवा डैम
तवा डैम इटारसी शहर के पास सतपुड़ा के जंगलों में बना हुआ है। इसे 1978 में बनाया गया था। मालानी, सोनभद्र और नागद्वारी नदी तवा डैम की प्रमुख सहायक नदियां हैं। तवा नदी, बाएं किनारे की एक सहायक नदी है जो छिंदवाड़ा जिले में महादेव पहाड़ियों से निकलती है, बैतूल जिले से होकर बहती है और नर्मदापुरम जिले में नर्मदा नदी में मिल जाती है। ये नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है। इस डैम को सिंचाई के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसका इस्तेमाल बिजली निर्माण और जलीय कृषि के लिए भी किया जाने लगा है।
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