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स्विगी से खिचड़ी के ऑर्डर में मिली मरी मक्खी: अब ग्राहक को 15 हजार मुआवजा देगा होटल, भोपाल उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला

Madhya Pradesh (MP) Bhopal Swiggy Butter Khichdi Order Case: भोपाल के गौतम नगर निवासी अभिषेक दीक्षित ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप स्विगी से खाना ऑर्डर किया। खाने में मरी हुई मक्खी मिली थी

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BP Shrivastava
Bhopal Swiggy Controversy

हाइलाइट्स

  • स्विगी के ऑर्डर में मिली थी मरी मक्खी
  • उपभोक्ता फोरम ने ग्राहक के पक्ष में सुनाया फैसला
  • होटल को देना होगा 15,130 रुपए मुआवजा
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Bhopal Swiggy Controversy: भोपाल उपभोक्ता फोरम ने एक अहम फैसले में पीड़ित को बड़ी राहत पहुंचाई है। मामला कुछ यूं था- भोपाल के गौतम नगर निवासी अभिषेक दीक्षित ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप स्विगी से खाना ऑर्डर किया। खाने में मरी हुई मक्खी मिली थी। जब युवक ने होशंगाबाद रोड स्थित होटल वृंदावन और स्विगी से शिकायत की, तो किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली।

इसके बाद मामला भोपाल कंज्यूमर फोरम पहुंचा। जहां फोरम ने ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाया है और होटल वाले को 15 हजार 130 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

[caption id="attachment_807155" align="alignnone" width="890"]publive-image स्विगी से ऑर्डर में निकली थी मरी मक्खी।[/caption]

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पार्सल खोला तो नजर आई मरी मक्खी

ये मामला 25 मार्च 2024 का है। अभिषेक ने रात लगभग 10:35 बजे स्विगी से बटर खिचड़ी और लस्सी का ऑर्डर किया था। जब ऑर्डर आया, तो पार्सल खोलने से पहले ही खिचड़ी की पारदर्शी पैकिंग में एक मरी हुई मक्खी नजर आई।

तब उपभोक्ता फोरम पहुंचा मामला

अभिषेक ने तुरंत स्विगी को ईमेल और चैट के जरिए शिकायत की। स्विगी ने जवाब दिया कि उन्होंने होटल को पैसे चुका दिए हैं और अब यह उनकी जिम्मेदारी नहीं है। जब शिकायत का कोई हल नहीं मिला, तो अभिषेक ने उपभोक्ता फोरम में मामला दायर किया।

मरी मक्खी मिलने के लिए होटल जिम्मेदार

भोपाल उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडेय ने पूरे मामले की सुनवाई की। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि खाने में मरी हुई मक्खी मिलना होटल की लापरवाही है। वहीं, स्विगी केवल खाना पहुंचाने का एक जरिया है, इसलिए उसकी जिम्मेदारी नहीं बनती।

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2 महीने में मुआवजा देने का आदेश

फरियादी अभिषेक दीक्षित के वकील अथर्व मुंझे के मुताबिक उपभोक्ता फोरम ने होटल को आदेश दिया कि वह 2 महीने के अंदर ऑर्डर की राशि 130 रुपए वापस करे। इसके साथ ही 10 हजार रुपए मानसिक कष्ट और सेवा में कमी के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में दे। पेमेंट ना करने पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। इस सब के साथ होटल को 5 हजार रुपए लीगल कॉस्ट के रूप में भी जमा कराने होंगे।

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