MP Soybean Procurement: सोयाबीन को लेकर प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन का बढ़ा असर हुआ है। मध्य प्रदेश में पहली बार MSP पर सोयाबीन की सरकारी खरीदी होने वाली है।
किसी भी वक्त इसका आदेश जारी होने वाला है। मोहन सरकार ने इसे लेकर केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है। स्वीकृति मिलने की औपचारिकता भर रह गई है।
इन दो स्कीमों में खरीदा जाएगा सोयाबीन
केंद्र सरकार प्राइज सपोर्ट स्कीम और प्रधानमंत्री आशा स्कीम के तहत मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खरीदी करेगी। इन दोनो ही स्कीम में किसानों को दिया जाने वाला पूरा पैसा केंद्र सरकार की ओर से जारी होगा।
हालांकि इन स्कीम में खरीदी की लिमिट तय होगी। यानी सरकार ये तय करेगी कि 1 हेक्टेयर में कुल उत्पादन में से उसे कितना खरीदना है।
शिवराज सिंह ने कहा- हम तत्काल अनुमति देंगे
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी बयान सामने आ गया है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दो स्कीम में से किसी भी स्कीम में मध्य प्रदेश सरकार सोयाबीन खरीदने की तैयारी करेगी। हम तत्काल अनुमति देंगे।
ये मोदी सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को उसके उसके उत्पादन का सही दाम मिले। फसल आने में देर है। मध्य प्रदेश सरकार से हमारे अधिकारी संपर्क में है।
मोहन सरकार ने भेजा प्रस्ताव
मोहन सरकार ने केंद्र को सोयाबीन खरीदी के लिए प्रस्ताव भेज दिया है। कैबिनेट मीटिंग के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जानकारी देते हुए बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
बता दें कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 है। अभी देश में सिर्फ महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में केंद्र सरकार सोयाबीन की खरीदी कर रही है।
किसान संगठनों के आंदोलन का बड़ा असर
किसान संगठन मध्य प्रदेश में सोयाबीन के रेट को लेकर आंदोलन छेड़े हुए है। इसे लेकर 30 अगस्त को डिजिटल प्रोटेस्ट कर सोयाबीन के रेट की मांग जिम्मेदारों तक पहुंचाई।
सोयाबीन को लेकर बड़ा फैसला: किसानों से सोयाबीन खरीदेगी मोहन सरकार, केंद्र को प्रस्ताव भेज बनाया ये प्लान!#soybeans #Farmers #CMMohanGovt #MPNews #CMMohanYadav @CMMadhyaPradesh @MP_MyGov @ChouhanShivraj @NEYU4INDIA @MPYuvaShakti
पूरी खबर पढ़ें : https://t.co/akGEF4B1Te pic.twitter.com/IhK8KvfBY3
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 10, 2024
1 से 7 सितंबर तक हर पंचायत में ज्ञापन दिये गए, वहीं जगह-जगह रैलियां निकाली गई। इसके बाद एमएसपी पर खरीदी का होने वाला निर्णय किसानों को काफी हद तक राहत देगा।
तिलहन संघ करता था खरीदी
मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की सरकार खरीदी करने वाली है। करीब 30-35 साल पहले प्रदेश में तिलहन संघ जरुर खरीदी किया करता था, लेकिन वो खरीदी मार्केट रेट पर होती थी।
उसके बाद अब ऐसा मौका आया है जब सरकार सोयाबीन की खरीदी करने वाली है।
एक वीडियो बना आंदोलन की चिंगारी
सोशल मीडिया पर सबसे पहले 18 अगस्त को मंदसौर जिले के गरोठ गांव के किसान कमलेश पाटीदार का ही फसल पर टैक्टर चलाने का वीडियो सामने आया। कमलेश पाटीदार ने ही पुष्टी की कि उनके ही गांव के कुछ और किसानों ने अपनी सोयाबीन की फसल पर ट्रेक्टर चला दिया है।
ऐसे में जो फसल घाटा देगी ही उसे दो महीने तक और क्यों खेत में खड़ा रखा जाए। पाटीदार ने सोयाबीन की फसल बखर दी है, वह अब इसमें कोई दूसरी फसल लगाएंगे। इसी तरह कई और किसानों ने अपनी खड़ी सोयाबीन की फसल पर टैक्टर चला दिया। इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया।
किसान के विरोध की ये है वजह
एक एकड़ में सोयाबीन लगाने की लागत 20 हजार रुपये है। उत्पादन 5 क्विंटल के आसपास होगा तो ऐसे में 3500 के रेट पर उसे मंडी में मात्र 17500 रुपये ही मिलेंगे, यानी अपनी लागत से 2500 रुपये कम।
यही कारण है कि किसान ने सोयाबीन के कम रेट को लेकर आंदोलन (Soybean Producing Kisan Protest) की राह पकड़ ली।
ये भी पढ़ें: भोपाल में अतिथियों का हुजूम: हाथों में तिरंगा और दिल में नियमतिकरण की मांग, सड़कों पर हजारों अतिथि शिक्षकों का सैलाब!
6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की मांग
सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन मंडियों में ये 1000 रुपये तक कम रेट पर बिक रहा है। समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाने से किसान सोयाबीन की फसल से दूरी बना रहे हैं।
अब किसान संगठनों ने मांग की है कि प्रदेश में सोयाबीन का रेट कम से कम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए।