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MP Voter List Revision: एमपी में आज से शुरू हुआ SIR, कौन-कौन से डॉक्यूमेंट हैं जरूरी?Voter List से नाम कटने पर क्या करें

MP Voter List Revision: एमपी में आज से वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन शुरू, 65 हजार BLO घर-घर जाकर मतदाता जानकारी जुटाएंगे, दिसंबर में जारी होगी नई लिस्ट।

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Wasif Khan
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हाइलाइट्स

  • एमपी में शुरू हुआ वोटर लिस्ट SIR सर्वे

  • 65 हजार BLO की ट्रेनिंग पूरी

  • 72 हजार बूथों पर घर-घर वेरिफिकेशन

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MP Voter List Revision: मध्यप्रदेश में मतदाता सूची (Voter List) को सटीक और अपडेट करने के लिए आज से विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (Special Intensive Revision- SIR) शुरू हो गया है। बिहार की तर्ज पर यह प्रक्रिया पूरे प्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्रों में एकसाथ शुरू की गई है। चुनाव आयोग (Election Commission) के निर्देश पर पिछले हफ्ते ही सभी 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) को प्रशिक्षण दिया गया था, अब मंगलवार (04 नवंबर) से वे फील्ड पर उतर चुके हैं और 72 हजार से अधिक बूथों पर घर-घर जाकर मतदाताओं से जानकारी जुटा रहे हैं।

प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) संजीव झा ने सभी जिला कलेक्टरों, संभागायुक्तों और बीएलओ को निर्देश दिए हैं कि यह कार्य गंभीरता और पारदर्शिता से किया जाए ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची में कोई त्रुटि न रहे।

27 अक्टूबर से मतदाता सूची फ्रीज

चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर को मतदाता सूची को फ्रीज (Freeze) कर दिया था। इसके बाद राज्य के सभी जिलों में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें बीएलओ को फॉर्म भरने की प्रक्रिया, मतदाताओं से संवाद के तरीके और सत्यापन की गाइडलाइन (Guidelines) बताई गई। अब सभी बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता गणना पत्रक (Enumeration Sheet) बांट रहे हैं।

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यह फॉर्म आधा भरा हुआ और आधा खाली रहेगा। खाली हिस्से में मतदाता को अपनी जानकारी भरनी होगी। बीएलओ एक घर में तीन बार तक जाएंगे ताकि कोई भी मतदाता छूट न जाए। जो मतदाता संदिग्ध पाए जाएंगे, उनसे दस्तावेज मांगे जाएंगे।

[caption id="" align="alignnone" width="1142"]publive-image मध्य प्रदेश चुनाव आयोग।[/caption]

घर-घर सर्वे में दस्तावेज नहीं लिए जाएंगे

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव झा ने स्पष्ट किया है कि घर-घर सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ किसी भी तरह का दस्तावेज नहीं लेंगे। उनका काम सिर्फ फॉर्म देना और भरी हुई जानकारी एकत्र करना है। यदि किसी प्रविष्टि का सत्यापन जरूरी हुआ, तो संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्री अधिकारी (ERO) अलग से सूचना भेजकर दस्तावेज मांगेगा।

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विवाहित महिलाओं के लिए एक विशेष प्रावधान रखा गया है। जो महिलाएं वर्ष 2003 में 18 वर्ष से कम आयु की थीं या उस समय अविवाहित थीं, उन्हें अब वोटर साबित करने के लिए अपने मायके से मतदाता क्रमांक (Voter Serial Number) और मतदान केंद्र क्रमांक (Polling Station Number) मंगवाना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मतदाता सूची में उनका नाम सही तरीके से जोड़ा जा सके।

[caption id="" align="alignnone" width="1200"]publive-image मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव झा ने स्पष्ट किया है कि घर-घर सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ किसी भी तरह का दस्तावेज नहीं लेंगे। उनका काम सिर्फ फॉर्म देना और भरी हुई जानकारी एकत्र करना है।[/caption]

2003 के एसआईआर के आधार पर होगी वोटर की वेरिफिकेशन

मध्यप्रदेश में यह प्रक्रिया 2003 के एसआईआर (SIR 2003) के आधार पर की जा रही है। उस समय देश के सभी राज्यों में विशेष पुनरीक्षण अभियान हुआ था। अब उसी डेटा के सहारे 2025 की मतदाता सूची को और सटीक बनाया जा रहा है।

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चुनाव आयोग ने बताया कि 2003 की सूची और उससे संबंधित डेटा आयोग की वेबसाइट और एमपी सीईओ (CEO MP) की वेबसाइट पर उपलब्ध है। कोई भी मतदाता इस सूची में जाकर अपनी पुरानी जानकारी निकाल सकता है और उसे बीएलओ द्वारा दिए गए फॉर्म में भर सकता है।

नए वोटर्स के लिए फॉर्म 6 भरने की सुविधा

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि जिन घरों में कोई नया सदस्य 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, ऐसे युवाओं का नाम सूची में जोड़ने के लिए बीएलओ फॉर्म 6 उपलब्ध कराएंगे। वहीं जिन परिवारों में किसी सदस्य की मृत्यु हो गई है या वह कहीं और शिफ्ट हो गया है, तो उसकी जानकारी भी बीएलओ को देनी होगी ताकि नाम विलोपित किया जा सके।

यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल रिकॉर्ड से जोड़ी जा रही है ताकि हर मतदाता का डेटा सुरक्षित रहे और भविष्य में किसी भी गड़बड़ी की संभावना न हो।

[caption id="" align="alignnone" width="1200"]publive-image Form 6[/caption]

वोटर्स ऐसे तलाश सकेंगे अपना नाम

जिन मतदाताओं को अपने पुराने या वर्तमान नाम की पुष्टि करनी है, वे चुनाव आयोग की वेबसाइट [https://voters.eci.gov.in/](https://voters.eci.gov.in/) पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

वेबसाइट ओपन करने पर मतदाता को अपने राज्य का चयन करना होगा और उसके बाद संबंधित जिला और विधानसभा क्षेत्र का नाम चुनना होगा। इसके बाद मतदान केंद्र (Polling Booth) या वार्ड की जानकारी डालने पर 2003 की लिस्ट दिखाई देगी। यहां से मतदाता अपना मतदाता क्रमांक और मतदान केंद्र क्रमांक निकाल सकता है।

अगर कोई मतदाता यह जानकारी नहीं दे पाता है, तो उसे आयोग द्वारा सूचीबद्ध 11 वैध दस्तावेजों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा, जिसके आधार पर उसकी पहचान वेरिफाई की जाएगी।

SIR के लिए मान्य दस्तावेज

वोटर पहचान के लिए जिन दस्तावेजों को मान्यता दी गई है, उनमें शामिल हैं –

पेंशनर पहचान पत्र, जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate), पासपोर्ट, 10वीं की मार्कशीट, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) में नाम, परिवार रजिस्टर में नाम, भूमि या मकान आवंटन पत्र और आधार कार्ड (Aadhaar Card)।

इसके अलावा किसी भी सरकारी विभाग द्वारा जारी पहचान पत्र को भी मान्य माना गया है।

[caption id="" align="alignnone" width="1280"]Have not linked your PAN card with Aadhaar? Follow step-by-step guide to do  it on new e-filing portal 2.0 दस्तावेज के रूप में पेंशनर पहचान पत्र, जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, 10वीं की मार्कशीट, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय रजिस्टर में नाम, परिवार रजिस्टर में नाम, भूमि या मकान आवंटन पत्र और आधार कार्ड देने होंगे।[/caption]

परिवार के पुराने रिकॉर्ड से जुड़ेगा नया नाम

एसआईआर प्रक्रिया में यदि किसी मतदाता का नाम 2003 की सूची में नहीं मिलता, तो उसके परिवार के अन्य सदस्यों जैसे पिता, दादा या चाचा के नाम के आधार पर वंशानुगत सत्यापन (Blood Relation Verification) किया जाएगा। अगर परिवार का नाम पहले से दर्ज है, तो नया नाम उसी आधार पर जोड़ा जाएगा।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि जिनका नाम वर्तमान 2025 की सूची में है लेकिन 2003 की लिस्ट में नहीं, उनके लिए परिवारिक संबंधों की जांच की जाएगी। यदि संबंध साबित होता है, तो नया नाम जोड़ा जाएगा।

2003 की लिस्ट कहां मिलेगी और क्या करना होगा

चुनाव आयोग ने 2003 की वोटर लिस्ट ऑनलाइन उपलब्ध कर दी है। मतदाता [https://voters.eci.gov.in](https://voters.eci.gov.in) पर जाकर SIR ऑप्शन पर क्लिक करें, फिर राज्य और विधानसभा क्षेत्र का चयन करें। इसके बाद पोलिंग बूथ या मोहल्ले के आधार पर नाम खोज सकते हैं। यहां पर 2003 की और मौजूदा दोनों सूचियां उपलब्ध हैं, जिनसे पूरी जानकारी ली जा सकती है।

अगर किसी का नाम 2003 और वर्तमान दोनों सूची में नहीं है, तो उसका नाम जोड़ा जा सकता है। इसके लिए फॉर्म 6 भरना होगा और आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।

2003 के बाद पहली बार वोटर लिस्ट का घर-घर सर्वे हो रहा है। जिनका नाम 2003 की लिस्ट में नहीं था, उन्हें बताना होगा कि परिवार में किसका नाम था। बीएलओ उसी आधार पर वेरिफिकेशन करेंगे और जानकारी सही मिलने पर नाम जोड़ा जाएगा।

दिसंबर में जारी होगी प्रारंभिक सूची

एसआईआर के बाद दिसंबर में मतदाता सूची का प्रारंभिक ड्राफ्ट (Preliminary List) जारी किया जाएगा। इसके बाद 3 जनवरी तक आपत्तियां और सुधार लिए जाएंगे। 7 फरवरी को अंतिम सूची प्रकाशित होगी, जो 2025 के चुनावों के लिए आधार बनेगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा है कि सभी कलेक्टर और पर्यवेक्षक खुद भी जांच करें ताकि किसी मतदाता का नाम गलती से हट न जाए। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया राज्य के लोकतांत्रिक ढांचे की पारदर्शिता के लिए बेहद जरूरी है।

FAQs

1: SIR क्या है और इसका पूरा नाम क्या है?

SIR का मतलब है स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (Special Intensive Revision)। यह चुनाव आयोग द्वारा चलाया जाने वाला एक विशेष अभियान है, जिसके तहत मतदाता सूची (Voter List) की पूरी तरह से जांच, सत्यापन और अपडेट किया जाता है। इस प्रक्रिया में बीएलओ (Booth Level Officer) घर-घर जाकर मतदाताओं से जानकारी जुटाते हैं। पुराने रिकॉर्ड, यानी 2003 की वोटर लिस्ट के आधार पर हर मतदाता की पहचान दोबारा वेरिफाई की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में कोई फर्जी नाम न हो, कोई पात्र व्यक्ति छूट न जाए और हर वोटर का डेटा सही तरीके से दर्ज हो।

2: SIR जरूरी क्यों है और इसे अब क्यों शुरू किया गया है?

SIR इसलिए जरूरी है क्योंकि 2003 के बाद से मतदाता सूची में लाखों नए नाम जुड़े, कई पुराने नाम हटे, और बड़ी संख्या में लोगों का पता या स्थिति बदल गई। इतने सालों में जनसंख्या बढ़ी, माइग्रेशन हुआ, और कई लोग ऐसे भी हैं जिनके नाम अब दोहरी सूचियों में हैं। इस वजह से चुनाव आयोग ने फैसला किया कि मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट करने के लिए अब घर-घर जाकर वेरिफिकेशन किया जाए।

मध्यप्रदेश में यह प्रक्रिया बिहार मॉडल पर शुरू की गई है, ताकि 2025 की नई मतदाता सूची सटीक और त्रुटिरहित हो। आयोग चाहता है कि आने वाले चुनावों में हर पात्र नागरिक को मतदान का अधिकार मिले और कोई गलत प्रविष्टि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित न करे।

3: अगर SIR में आपका नाम मतदाता सूची से कट जाता है तो क्या करना चाहिए?

अगर SIR के दौरान आपका नाम मतदाता सूची से हट जाता है या आपको पता चलता है कि नाम गायब है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप फॉर्म 6 (Form 6) भरकर अपना नाम दोबारा जोड़ सकते हैं। यह फॉर्म आपको बीएलओ से मिलेगा या आप इसे ऑनलाइन भी भर सकते हैं, चुनाव आयोग की वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर जाकर। फॉर्म भरते समय आपको अपनी पहचान और निवास का प्रमाण देना होगा। इसके बाद निर्वाचन रजिस्ट्री अधिकारी (ERO) आपकी जानकारी की जांच करेगा। यदि सब कुछ सही पाया गया, तो आपका नाम अगले अपडेट में सूची में जोड़ दिया जाएगा।

4: SIR के दौरान कौन-कौन से दस्तावेज मान्य माने जाएंगे?

SIR के लिए पहचान और निवास की पुष्टि करने हेतु चुनाव आयोग ने 11 प्रमुख दस्तावेजों को मान्यता दी है। इनमें शामिल हैं- आधार कार्ड (Aadhaar Card), पासपोर्ट (Passport), जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate), पेंशनर पहचान पत्र, 10वीं की मार्कशीट, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, परिवार रजिस्टर में नाम, भूमि या मकान आवंटन पत्र, राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) में नाम।

इनके अलावा, किसी भी सरकारी विभाग द्वारा जारी पहचान पत्र को भी मान्य माना जाएगा। ध्यान रहे कि बीएलओ घर-घर सर्वे के दौरान कोई दस्तावेज नहीं लेंगे। दस्तावेज तभी मांगे जाएंगे जब जानकारी में विसंगति पाई जाएगी या किसी मतदाता का नाम सत्यापन में संदिग्ध लगे।

5: चुनाव आयोग यह अभियान क्यों चला रहा है और इसका फायदा क्या होगा?

चुनाव आयोग का उद्देश्य साफ है- मतदाता सूची को पारदर्शी, त्रुटिरहित और अद्यतन बनाना।

पिछले दो दशकों में मतदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है और कई लोगों का नाम गलत विधानसभा क्षेत्र या बूथ में दर्ज है। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां एक ही व्यक्ति का नाम दो सूचियों में दर्ज है या कुछ परिवारों के सदस्यों का नाम छूट गया है। SIR के जरिए आयोग इन सभी खामियों को दूर करना चाहता है। इससे न केवल हर पात्र नागरिक का नाम सूची में जुड़ेगा, बल्कि फर्जी नाम, मृत व्यक्ति या दोहरी प्रविष्टियां हटाई जा सकेंगी। इस प्रक्रिया से लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी और भविष्य के चुनावों में वोटिंग प्रक्रिया अधिक सटीक और निष्पक्ष बन सकेगी।

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