Bhopal: बिहार के ‘दशरथ मांझी’ ने अपनी पत्नी की याद में हथौड़ा और छैनी से 360 फीट लंबे पहाड़ को काट कर सड़क बना दी थी.. ऐसा ही मामला सीधी में सामने आया है.. जहां के बरबंधा गांव में 40 साल के हरी सिंह ने पहाड़ का सीना चीर कर कुआं खोद दिया.हरी सिंह की पत्नी पानी को लेकर हमेशा चिंता में रहती थी.उसे दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था.पत्नी की ये परेशानी हरी सिंह से देखी नहीं गई.और उन्होंने चट्टानों से बने पहाड़ पर कुआं खोदने का फैसला किया.इस दौरान बीते तीन साल में 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं खोद भी दिया.जहां थोड़ा सा पानी भी निकल आया है.हालांकि खुदाई अभी भी जारी है.
पूरा मामला ये रहा-MP SIDHI DASHRATH MANJHI
मामला सीधी जिले में आया है जहां सीधी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत सिहावल के ग्राम पंचायत बरबंधा में आया है। जहां पत्नी की पानी की विवशता को देखकर पति ने पहाड़ का सीना चीर कर कुंआ खोद डाला। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में लोग अभी भी पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है।पत्नी सियावती की पानी की परेशानी को लेकर वे काफी चिंतित थे उनकी पत्नी को 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता था और उनसे पत्नी की यह परेशानी देखी नहीं जाती है।जिसकी वजह से हरि सिंह ने चट्टानों से घिरे पहाड़ को खोदकर 20 फीट चौड़ा 60 फीट गहरा कुआं खोद डाला ।
सीधी जिले का मांझी हार नहीं मानेगा-MP SIDHI DASHRATH MANJHI
अभी जारी है कुआं खोदने का कार्य,थोड़ा बहुत पानी मिल गया है लेकिन जब तक समुचित उपयोग के लिए पानी नहीं मिल जाता तब तक यह कुआं खोदने का कार्य लगातार जारी रहेगा। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े,3 वर्ष से खोद रहे हैं कुंआ, वही हरि सिंह की माने तो कुंआ खोदने का कार्य विगत 3 वर्ष से जारी है। तब जाकर थोड़ा बहुत पानी मिल पाया अभी और भी कुंआ खुदाई का कार्य जारी,इस कुंआ खुदाई के कार्य में 3 वर्ष से उनकी पत्नी सियावती व दो बच्चे तथा एक बच्ची उनकी मदद में लगे हुए तथा थोड़ा-थोड़ा करके उन्होंने अपनी पत्नी की परेशानी को दूर कर दिया लेकिन शुरू में यह कार्य बहुत कठिन लग रहा था क्योंकि पूरा का पूरा पत्थर खोदना था,मिट्टी की परत एक भी नहीं थी।ऐसे में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा किंतु मन मार कर बैठने की बजाए मन में हठधर्मिता को जागृत किया तथा संकल्प लिया कि इस दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है मैं यहां कुंआ खोदकर ही सांस लूंगा।
वही पंचायत व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग तथा सरकार चाहे लाख दावे कर ले लेकिन गरीबों तक उनकी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण हरिसिंह गोंड हैं उन्होंने बताया है कि मेरे पास 50 डिसमिल जमीन का पट्टा है। इसके बावजूद भी पंचायत कर्मी गुमराह करने का प्रयास करते हैं।
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