जबलपुर। कोरोना महामारी के बाद से लगातार स्कूलों में छात्रों की ऑनलाइन क्लासेस जारी हैं। प्रदेश समेत पूरे देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए आज भी अभिभावकों के मन में डर बैठा है। इसी को देखते हुए छात्रों की ऑनलाइन क्लासेस जारी हैं। वहीं फीस को लेकर भी प्रदेश में काफी विवाद चल रहा है। इसी को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों और राज्य सरकार को एक बड़ा आदेश दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने निर्देश दिया है कि निजी स्कूलों में फीस जमा नहीं करने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लास से वंचित नहीं जाएगा। डिवीजन बैंच ने इस मामले में निजी स्कूल संचालकों को जवाब देने का भी निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की गई है। दरअसल जागरूक पालक संघ समिति इंदौर ने याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2020 को आदेश दिया था कि जब तक स्कूलों में सभी गतिविधियां शुरू नहीं हो जाती हैं, तब तक ट्यूशन फीस ही वसूली जाएगी। निजी स्कूल संचालकों ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए अभिभावकों को फीस संबंधी परेशानी होने पर जिला समिति में जाने का निर्देश दिया है। वहीं दूसरी तरफ सागर के निजी स्कूल संचालकों की ओर से भी फीस वृद्धि को लेकर याचिका दायर की गई है। इस मामले में डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
लंबे समय से चल रही ऑनलाइन क्लासेस…
बता दें कि कोरोना महामारी के बाद से ही लंबे समय से स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही है। हालांकि प्रदेश समेत कई राज्यों में बड़ी कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल खोलने की अनुमति दे दी गई है। इसके बाद भी छात्रों को कोरोना नियमों के पालन के साथ और 50 प्रतिशत क्षमता के साथ स्कूल खोले जा रहे हैं। वहीं छात्रों के अभिभावकों के मन में अभी भी कोरोना की संभावित तीसरी लहर का डर भरा हुआ है। इसको लेकर अभिभावक अभी भी बच्चों को ऑनलाइन कक्षाएं कराने पर ही विचार कर रहे हैं। प्राइमरी कक्षाओं के साथ बड़ी छात्रों की भी कक्षाएं ऑनलाइन संचालित की जा रही हैं। वहीं अब कोर्ट ने स्कूलों को लेकर यह आदेश जारी किया है कि फीस नहीं होने पर भी स्कूल छात्रों को क्लास लेने से नहीं रोक सकते हैं।