भोपाल। अक्सर देखा गया है स्कूल MP School Bus Rules Big Breaking वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई mp school big breaking जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते। mp hindi news खासकर बस और वेन से जाने life style को लेकर। कहीं एक्सीडेंट या jankari aapke kaam ki कोई दुर्घटना होने पर साफ तौर पर स्कूल वाले पल्ला झाड़ लेते हैं। पर अब ऐसा नहीं होगा। जी हां प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्कूल परिसर के बाहर बच्चों की जिम्मेदारी लेने से मना नहीं कर सकेंगे। खासतौर से स्कूल बस एवं स्कूल वैन में बैठकर जाने वाले बच्चों की जिम्मेदारी के लिए स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिए गए हैं।
नहीं कर पाएंगे मनमानी –
वैन वाली क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाकर स्कूल ले जाते हैं। तो वहीं कई बसों और वैन में सैफ्टी सिस्टम भी नहीं होते हैं। इस कंडीशन में कोई दुघर्टना होने पर स्कूल प्रबंधन बड़ी ही आसानी से अपना पल्ला झाड लेता है। पर वे mp school big breaking अब ऐसा नहीं कर पाएंगे। जी हां प्राइवेट स्कूलों के mp school big breaking संचालक स्कूल परिसर private school के बाहर बच्चों की जिम्मेदारी लेने से मना नहीं कर सकेंगे। खासतौर से स्कूल बस एवं स्कूल वैन में बैठकर जाने वाले बच्चों की जिम्मेदारी के लिए स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिए गए हैं। इसे लेकर सभी निजी स्कूलों को आदेश जारी कर दिए गए है। जिसमें कहा गया है कि वह घर पहुंचने तक के सभी इंतजाम पर निगरानी रखें। रास्ते में असुविधा या दुर्घटना हुई तो सीधे तौर पर स्कूल प्रबंधन को दोषी माना जाएगा। स्कूल वाहनों में गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी भी प्रबंधन की है। ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे 45 मामले चिह्नित करने के बाद लापरवाही पर 2.56 लाख जुर्माना के नोटिस जारी कर रिकवरी की है।
स्कूल संचालक को इस गाइड लाइन का पालन करना होगा जरूरी –
- स्कूलध्कॉलेज बसों को पीले रंग से पेंट किया जाना चाहिए।
- बसों के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। किराए की है तो आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा लिखा जाए।
- बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाएं
- बस में अनिवार्य रूप से फस्र्ट ऐड बॉक्स की व्यवस्था हो।
- खिड़कियों में आड़ी पट्टियां फिट करवाई जाएं।
- अग्नि शमन यंत्र होना जरूरी।
- स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर लिखा हुआ हो।
- दरवाजे पर सिटकनी लगी हों।
- बस्ते रखने सीटों के नीचे जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- बच्चों को लाते.ले जाते समय एक शिक्षक रहे जो एस्कॉर्ट करें।
- सुरक्षा की ²ष्टि से माता.पिताए स्कूल शिक्षक को भी यात्रा कर सुरक्षा मापदंडों को जांचना चाहिए।
- वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का ५ वर्ष का अनुभव हो।
- कोई ड्रायवर वर्ष में दो बार से अधिक ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन का दोषी मिलता है तो ऐसे व्यक्ति को ड्रायवर नहीं रखना चाहिए।
- कोई ड्रायवर वर्ष में एक बार भी ओवरस्पीडिंग और नशे का दोषी है तो ड्रायवर नहीं रखना चाहिए।
- स्कूल बसों एवं लोक परिवहन यानों में स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता।
- बसों में 02 कैमरे चालू होंए एक कैमरा आगे की ओर तथा एक कैमरा बस में पीछे की ओर होना आवश्यक है।
- जीपीएस सिस्टम अनिवार्य रूप से चालू हालत में लगा हुआ होना चाहिए।
- स्कूल बस में सफर करने वाले छात्रध्छात्राओं की सूची मय नामध्पताए ब्लड गु्रप एवं बस स्टॉप जहां से छात्रध्छात्राओं को पिकअप एवं ड्राप करते हैए की सूची चालक अपने पास रखेगा।
प्रबंधन नहीं कर सकता किनारा –
आपको बता दें करीब 45 स्कूल वाहन मालिक ऐसे हैं जिन पर मनमानी करने पर प्रकरण दर्ज किया गया है तथा इसके अलावा 2ण्56 लाख जुर्माना भी वसूला गया है। डीसीपी ट्रैफिक पुलिस हंसराज द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन कराने की जवाबदेही से प्रायवेट स्कूल प्रबंधन किनारा नहीं कर सकते हैं। मनमानी करने वाले 45 मामलों में जुर्माना लगाया गया है।