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Sawan Somwar: राजसी सवारी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देंगे बाबा महाकाल, 8 राज्यों के कलाकार होंगे शामिल

श्रावण माह के दूसरे सोमवार पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 2:30 बजे भस्म आरती के बाद कपाट खोले गए। आज शाम को बाबा महाकाल की शाही सवारी निकाली जाएगी।

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Vikram Jain
Sawan Somwar: राजसी सवारी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देंगे बाबा महाकाल, 8 राज्यों के कलाकार होंगे शामिल

हाइलाइट्स

  • सावन के दूसरे सोमवार शिवालयों में भक्तों की भीड़।
  • उज्जैन में निकलेगी बाबा महाकाल की राजसी सवारी।
  • शाम को नगर भ्रमण पर निकलेंगे जगतपिता महाकाल।
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Sawan Somwar Baba Mahakal Sawari 2025: आज सावन का दूसरा सोमवार है। सुबह से ही शिवालयों में शिवभक्तों का तांता लगा हुआ है। विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के कपाट तड़के 2:30 बजे भस्म आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले गए। कर्पूर आरती के बाद नंदी का स्नान, ध्यान, पूजन किया गया। इस मौके पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। राजसी

आज निकलेगी बाबा महाकाल की राजसी सवारी

आरती के बाद चलायमान दर्शन व्यवस्था के बीच कई भक्त बिना पूर्व अनुमति के भी महाकाल के दर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं। जिससे मंदिर परिसर शिवभक्ति के जयकारों से गूंज उठा। आज शाम 4 बजे महाकाल की राजसी सवारी नगर भ्रमण के लिए निकलेगी, जिसमें जगतपिता महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सावन की दूसरी शाही सवारी में महाकाल चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देंगे। इस बार श्रावण-भादौ माह में कुल 6 बार बाबा नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सवारी में 8 राज्यों के लोक नृत्य कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करेंगे। आज की इस आध्यात्मिक यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होंगे।

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भस्म आरती के बाद कपाट खुले

सावन के दूसरे सोमवार को भोर से ही मध्यप्रदेश के सभी प्रमुख शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रदेश के शिवालयों में भगवान की विशेष आराधना की जा रही है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण एवं स्वस्तिवाचन के साथ मंदिर के द्वार खोले गए।

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आठ राज्यों के कलाकार होंगे शामिल

उज्जैन में आज सावन के दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से निकलने वाली ऐतिहासिक सवारी भव्य सांस्कृतिक झलक के साथ निकलेगी। इस अलौकिक यात्रा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात और झारखंड से आए पारंपरिक कलाकार अपनी लोककला, वाद्य और नृत्य के माध्यम से सांस्कृतिक रंग बिखेरेंगे।

घर बैठे मिलेगा महाकाल के दर्शन का सौभाग्य

श्रद्धालु जो सवारी में सीधे शामिल नहीं हो पा रहे हैं, उनके लिए मंदिर समिति द्वारा सवारी का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किया जाएगा, ताकि देश-विदेश में बैठे भक्तजन भी इस दिव्य दृश्य के साक्षी बन सकें।

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महाकाल के दो दिव्य रूपों के होंगे दर्शन

इस भव्य सवारी में भगवान महाकाल भक्तों को दो रूपों में दर्शन देंगे।

  • अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में विराजमान होंगे चंद्रमौलेश्वर रूप में।
  • मनमहेश स्वरूप में भगवान शंकर हाथी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे।
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यह होगा सवारी का मार्ग

महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा तट पर पहुंचेगी। शिप्रा तट पर विशेष पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद यात्रा रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार से होती हुई वापस महाकाल मंदिर लौटेगी, जहां संध्या आरती के साथ सवारी का समापन होगा।

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सावन में ये तारीखें रहेंगी विशेष

इस वर्ष महाकाल की शाही सवारी 28 जुलाई, 4 अगस्त, 11 अगस्त और 18 अगस्त को भी निकाली जाएगी, जिनमें हर बार भव्यता और आस्था का नया रंग देखने को मिलेगा।

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बाबा महाकाल का दिव्य पूजन और भव्य श्रृंगार

सावन के दूसरे सोमवार पर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर भक्ति और आस्था का अनुपम संगम देखने को मिला। भगवान महाकाल का पहले पवित्र जल से अभिषेक किया गया, जिसके बाद श्रद्धापूर्वक दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से निर्मित पंचामृत से विशेष पूजन संपन्न हुआ।

शेषनाग का रजत मुकुट-मुंडमाला धारण की

इसके बाद भगवान का अलौकिक श्रृंगार किया गया जिसमें रजत चंद्र, रजत त्रिशूल, भव्य मुकुट, आभूषण, भांग, चंदन और ड्रायफ्रूट का उपयोग किया गया। साथ ही, भस्म अर्पित कर उन्हें त्रिलोक नाथ का वैभव प्रदान किया गया। भगवान ने रजत शेषनाग मुकुट, रजत की मुंडमाला, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों की माला धारण की। अंत में विविध फलों और मिष्ठानों का भोग अर्पित कर श्रद्धालुओं ने पूजन पूर्ण किया।

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ओंकारेश्वर मंदिर में फूलों से विशेष श्रृंगार

उधर, खंडवा में ज्योतिर्लिंग श्री ओंकारेश्वर मंदिर में सुबह 5 बजे मंगला आरती का भव्य आयोजन हुआ। भगवान ओंकार महाराज का फूलों से अत्यंत सुंदर और आकर्षक श्रृंगार किया गया, जिसमें मंदिर परिसर भी पुष्पों की महक से सुगंधित हो उठा।

भक्तों ने श्रद्धा के साथ भगवान को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ तड़के से ही शुरू हो गई थी। भक्त नर्मदा नदी में स्नान कर पवित्र होकर बाबा ओंकारेश्वर के दर्शनों और अभिषेक के लिए मंदिर पहुंचते रहे हैं।

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