हाइलाइट्स
- न्यूनतम प्रति क्विंटल 640 रुपए में केला नीलाम
- बिचौलिए क्वालिटी घटिया बताकर गिरा रहे दाम
- भोपाल तक पहुंचा केला उत्पादकों का मामला
MP Sasta Kela: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में किसानों से खेतों में एक केला 50 पैसे में खरीदा जा रहा है ! जबकि रिटेल बाजार में एक केला 5 रुपए तक बिक रहा है ! आखिर किसानों से मिट्टी के मोल खरीदा गया केला बाजार में इतना महंगा कैसे हो रहा है। बिचौलिए प्रति केले पर 4.50 रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। आखिर क्या है कि इसके पीछे की वजह।
बुरहानपुर जिले में करीब 25 हजार हेक्टेयर में केला फसल की खेती हो रही है। यहां का केला एक ऐसा फल है जो 12 महीने लगाया और बेचा जाता है। मध्यप्रदेश में बुरहानपुर केले का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है। देशभर में कुल 50 हजार मीट्रिक टन से अधिक केले का उत्पादन होता हैं, इसमें से करीब 20 फीसदी केले का उत्पादन अकेले बुरहानपुर में हो रहा हैं।
माटी के मोल बेचना किसानों की मजबूरी
गुरुवार, 4 सितंबर को मंडी में केला 640 रुपए प्रति क्विंटल यानी प्रति केला 60 पैसे में नीलाम हुआ। 1 सितंबर को प्रति क्विंटल 425 रुपए यानी 40 पैसे तक मांगा गया। हालांकि, केला उत्पादकों ने फसल काटने से इनकार कर दिया, लेकिन जब उनकी फसल पकने का समय आया तो और दाम गिरा दिए। ऐसे में मजबूरन किसानों को माटी के मोल केला फसल बेचना पड़ी। पिछले करीब कुछ महीने से ऐसी स्थिति बनी हुई है। हर साल अगस्त और सितंबर में ऐसी स्थिति बनती है। जिसको लेकर किसानों में भारी आक्रोश है।
भोपाल मंडी बोर्ड पहुंचा मामला
जिले के केला उत्पादकों के लिए पहली पहली बार केला उत्पादक संगठन का गठन किया गया है। केला उत्पादक संगठन अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि प्रशासन को 10 मांगों का पत्र सौंपा है। बहुत जल्द सीएम मोहन यादव से भी भोपाल में मुलाकात करेंगे। जिले में बड़े स्तर पर केला उत्पादकों से की जा रही मनमानी पर बात करेंगे। यह मामला भोपाल मंडी बोर्ड कार्यालय पहुंचा है। बोर्ड ने एक जांच अधिकारी रामवीर किरार को भेजा है।
किसानों से मिलेंगे जांच अधिकारी
भोपाल मंडी बोर्ड से जांच अधिकारी को केले के घटते दामों, दलालों की मनमानी और मंडी प्रबंधन की खामियों को लेकर जांच की जाना है। पहले दिन जांच अधिकारी मंडी के अधिकारियों से मिले। केला उत्पादकों से मिलकर उनकी समस्या को सुनेंगे। रिपोर्ट मंडी बोर्ड एमडी को देंगे।
कीमत घटने की ये बड़ी वजह
– पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और दिल्ली के आसपास बाढ़ जैसे हालात है। ऐसे में आपत स्थिति की वजह से यहां की डिमांड पहले से कुछ कम है।
– बारिश की वजह से बिचौलियों ने क्वालिटी पर सवाल खड़े कर दिए है, जिससे केले की कीमतों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि यह पूरा सच नहीं है।
– कुछ दलाल नीलामी के बाद किसानों से परसपर केला फसल का सौदा कर रहे हैं। जिन्हें वो किसान केला बेच रहे हैं, जिनकी फसल पकने की स्थिति में है।
– कुछ किसानों का केला नीलामी से पहले दलालों द्वारा सौदा किया जा रहा है। मंडी के रिकार्ड में दर्ज करने सिर्फ नीलामी में शामिल होने के लिए ला रहे हैं।
– जिन किसानों की केला फसल मंडी में जिस कीमत में नीलाम हो रही। खेत में दलाल या हम्मालों का सीडिकेट क्वालिटी कमजोर बताकर कम दाम में उसे काट रहे हैं।
– केला कटाई के वक्त हम्मालों का ग्रुप किसानों से प्रति गाड़ी 5 से 10 हजार रुपए अतिरिक्त वसूल रहे हैं। इस पर अब तक प्रशासन लगाम नहीं लगा पाया है।
बुरहानपुर में देश का 20% उत्पादन
- देशभर में कुल 50 हजार मीट्रिक टन से अधिक केले का उत्पादन होता हैं,
- इसमें से करीब 20 फीसदी केले का उत्पादन अकेले बुरहानपुर में हो रहा हैं।
- बुरहानपुर जिले में करीब 25 हजार हेक्टेयर में केला फसल की खेती हो रही है।
- यहां का केला एक ऐसा फल है जो 12 महीने लगाया और बेचा जाता है।
- मध्यप्रदेश में बुरहानपुर केले का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है।
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70% उत्तर भारत में एक्सपोर्ट हो रहा
जिले के कुल उत्पादन में से करीब 70% केला उत्तर भारत में निर्यात हो रहा है। इसमें मप्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर तक यहां का केला जाता है। बुरहानपुर का केला सबसे ज्यादा मीठा है। उत्तर भारत सहित अधिकांश जगह सबसे ज्यादा यही पसंद किया जाता है।
अरब कंट्री में जा रहा 30% केला
पिछले कुछ वर्षों से अंतरराष्ट्रीय निर्यातकों का बुरहानपुर के केले की ओर रूझान बढ़ा हैं। यही कारण है कि दुबई, इरान, इराक और कजाकिस्तान में केले का निर्यात 30% तक बढ़ गया है। विशेषज्ञ कहते हैं यहां के फल की क्वालिटी और सुधर जाए तो विदेशों में 40% तक निर्यात बढ़ सकता है। दिल्ली से मुंबई तक के बड़े-बड़े निर्यातक यहां का केला खरीदने को तैयार बैठे हैं।
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