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MP Teacher Attendance Controversy
हाइलाइट्स
- शिक्षक समेत 27 लोगों की समूह याचिका
- 9 अक्टूबर को कोर्ट में हुई पहली सुनवाई
- 30 अक्टूबर को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई
MP Teacher E Attendance Controversy: मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग में ई अटेंडेंस का मामला बढ़ता जा रहा है। जिस पर अब शिक्षक और सरकार आमने-सामने हो गए हैं। मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। प्रदेशभर के शिक्षक ने एप डिलीट अभियान में जुटे है। शिक्षक आफलाइन अटेंडेंस की मांग पर अड़ गई है। दूसरी ओर सरकार 73% ई अटेंडेंस कराने पर अड़ी है।
हाईकोर्ट में अब 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई
दरअसल, 'हमारे शिक्षक' से ई-अटेंडेंस के खिलाफ प्रदेश के शिक्षकों में आक्रोश है। यह मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में प्रदेश सरकार ने 73% उपस्थिति दर्ज कराने का तर्क दिया है। जिसके बाद कोर्ट ने प्रदेश सरकार से 'हमारे शिक्षक' ऐप का रिकार्ड मांगा है। इस पर हाईकोर्ट में अब 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
'हमारे शिक्षक' ऐप अनइंस्टॉल करने का आह्वान
शिक्षक संघ द्वारा शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच 'हमारे शिक्षक' ऐप को मोबाइल से अनइंस्टॉल करने का आह्वान किया गया। आरोप है कि अधिकारी ई-अटेंडेंस का प्रतिशत (73%) बढ़ाकर न्यायालय में पेश करने के लिए डराने-धमकाने वाले आदेश निकाल रहे हैं।
कोर्ट में चल रहा मामला, नहीं काट सकते वेतन
न्यू मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह तिवारी ने कहा कि वकील की ओर से कहा गया है कि शिक्षकों को डीईओ, जेडी, कलेक्टर द्वारा ई-अटेंडेंस के आदेशों से नहीं डरना है। वकील के अनुसार मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण कोई भी वेतन नहीं काट सकता।
जुलाई-अगस्त का कटा वेतन देने के आदेश
यह भी आरोप है कि वेतन कटौती की धमकियों के कारण शिक्षकों को मजबूरन ई-अटेंडेंस लगाने के लिए बाध्य किया गया था, हालांकि अब अतिथि शिक्षकों को रजिस्टर की उपस्थिति के आधार पर जुलाई-अगस्त का कटा हुआ वेतन देने का आदेश जारी किया गया है।
प्रदेश के 26 शिक्षकों की समूह याचिका
ई-अटेंडेंस के खिलाफ, न्यू मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह तिवारी एवं अन्य 26 शिक्षकों ने सामूहिक याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की है। इनके समर्थन में प्रदेशभर के 600 से अधिक शिक्षक और संगठन आगे आए हैं।
शिक्षकों की मुख्य समस्याएं: याचिकाकर्ताओं का कहना हैं कि अधिकांश शिक्षकों के पास अच्छा स्मार्टफोन नहीं है, मासिक डेटा पैक समय पर नहीं कर पाते, बिजली कटौती से मोबाइल चार्जिंग की समस्या होती है।
नेटवर्क कनेक्टिविटी:कई स्कूलों में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है, जिस कारण छत पर या स्कूल के बाहर जाकर उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास करना पड़ता है, ऐप में सर्वर एरर, और चेहरा मिलान न होना।
बायोमेट्रिक मशीन: याचिका में 'हमारे शिक्षक' ऐप को बंद कर बायोमेट्रिक मशीन या पूर्व की भांति कर्मचारी रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज कराने का निवेदन किया गया है।
73% शिक्षकों उपस्थिति दर्ज कराने का दिया तर्क
73% शिक्षकों उपस्थिति दर्ज: याचिका पर पहली सुनवाई 9 अक्टूबर 2025 को हुई थी, जिसमें याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने तर्क दिया कि 73% शिक्षक ऐप से उपस्थिति दर्ज कराने लगे हैं और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है।
कोर्ट का हलफनामा: कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और सभी याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता (अंशुमान सिंह) को नोटरी तस्दीक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
ई-अटेंडेंस पर 27 अक्टूबर को होना था फैसला
15 अक्टूबर 2025 को दोनों पक्षों द्वारा हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। पहले अंतिम फैसला 27 अक्टूबर को होना था, लेकिन अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर 2025 को तय की गई है।
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एमपी टीचर्स ई-अटेंडेंस मामला: टीचर्स ने हाईकोर्ट में कहा-डेटा नहीं खरीद सकते, हमारे पास अच्छा स्मार्टफोन नहीं
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MP Teachers Attendance: मध्यप्रदेश के शिक्षकों की ई-अटेंडेंस का मामला जबलपुर हाईकोर्ट पहुंच गया है। जहां शिक्षकों ने सरकारी ऐप ‘हमारे शिक्षक’ से अटेंडेंस लगाने में आ रही दिक्कतों को कोर्ट में बताया। कहा- कई टीचर्स के पास अच्छा स्मार्टफोन नहीं है। हर महीने डेटा पैक खरीदना पड़ता है। प्रतिदिन मोबाइल की बैटरी चार्ज रखना और ग्रामीण इलाके के स्कूलों में नेटवर्क कनेक्टिविटी की भी समस्या है। एप में सर्वर और चेहरा मिलान की भी परेशानी आ रही है। मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की मुख्य पीठ ने सरकार से एप का रिकॉर्ड मांगा है। अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को नियत की है। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...
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