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MP Contract-Outsourced Employees Relief: मध्यप्रदेश के संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। लंबे समय से कार्य समय और वेतन को लेकर उठ रही शिकायतों के बीच श्रम विभाग ने अब सख्त कदम उठाया है। राज्य के श्रम आयुक्त ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी किए हैं कि संविदा और आउटसोर्स श्रेणी में काम करने वाले कर्मचारियों से 8 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें तय न्यूनतम वेतन देना भी अनिवार्य होगा।
यह फैसला राज्यभर में काम कर रहे एक लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारियों और 10 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मियों को सीधा लाभ पहुंचाएगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि नियमों के पालन की मासिक रिपोर्ट हर महीने की 5 तारीख तक श्रम विभाग को भेजनी होगी।
शिकायतों के बाद हुई कार्रवाई
दरअसल, म.प्र. संविदा कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने श्रम विभाग से शिकायत की थी कि शिक्षा विभाग और उससे जुड़े कई संस्थानों में कर्मचारियों से निर्धारित समय से कहीं अधिक काम लिया जा रहा है। शिकायत में खास तौर पर राज्य शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और बालिका छात्रावासों का उल्लेख किया गया था।
महासंघ ने आरोप लगाया कि यहां सहायक वार्डनों और अन्य संविदा कर्मचारियों से पूरे साल 24 घंटे काम करवाया जाता है। इन कर्मचारियों को न तो साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है और न ही किसी अर्जित अवकाश का अधिकार मिलता है। गर्मियों की छुट्टियों में भी इन्हें छात्रावासों में ही रुकने के लिए कहा जाता है, जबकि उस समय छात्राएं वहां मौजूद भी नहीं होतीं।
श्रम कानूनों का हवाला
श्रम आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों में साफ कहा गया है कि कर्मचारियों से अधिक समय तक काम लेना न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, भुगतान अधिनियम 1936 और संविदा श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम 1970 का उल्लंघन है। इन अधिनियमों के तहत कर्मचारियों को न केवल उचित वेतन बल्कि तय समय के अनुसार काम करने और आराम का अधिकार भी है।
निर्देश में विभागों को यह चेतावनी दी गई है कि यदि कहीं से नियम उल्लंघन की शिकायत मिलती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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कर्मचारियों को मिलेगी दोहरी राहत
- इस आदेश के बाद संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को दोहरी राहत मिली है।
- कार्य समय पर नियंत्रण – अब किसी भी विभाग या संस्था में उनसे 8 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकेगा।
- न्यूनतम वेतन की गारंटी – हर कर्मचारी को श्रम आयुक्त द्वारा तय न्यूनतम वेतन मिलना अनिवार्य होगा।
- इससे कर्मचारियों पर अनावश्यक काम का बोझ कम होगा और आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
11 लाख से ज्यादा परिवारों पर असर
यह फैसला केवल कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके परिवारों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। संविदा और आउटसोर्सिंग व्यवस्था में काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आते हैं। लंबे समय तक काम लेने और उचित वेतन न मिलने से वे मानसिक और शारीरिक तनाव झेल रहे थे। अब नियम लागू होने के बाद वे अपने परिवार को अधिक समय दे पाएंगे और आय की निश्चितता भी बनी रहेगी।
क्या होगी अगली प्रक्रिया?
सभी विभागाध्यक्षों को आदेश जारी कर दिए गए हैं। प्रत्येक माह की 5 तारीख तक मासिक रिपोर्ट श्रम विभाग को भेजनी होगी। रिपोर्ट में यह स्पष्ट करना होगा कि विभाग ने संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को निर्धारित समय और न्यूनतम वेतन दिया है या नहीं। यदि किसी भी विभाग में शिकायत मिलती है तो श्रम विभाग मौके पर जांच करेगा और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
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