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MP Rivers
MP Rivers: मध्य प्रदेश को अक्सर “नदियों का मायका” (Rivers Origin in Madhya Pradesh) कहा जाता है। वजह साफ है, देश की कई बड़ी और जीवनदायिनी नदियां यहीं से निकलती हैं और अलग-अलग राज्यों को जल देती हैं। ये नदियां न केवल प्रदेश की कृषि, उद्योग और जीवनशैली को सहारा देती हैं, बल्कि धार्मिक आस्था, पर्यटन (Tourism in Madhya Pradesh) और सांस्कृतिक विरासत से भी गहराई से जुड़ी हैं।
नर्मदा
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अमरकंटक (Anuppur) की पहाड़ियों से निकलने वाली नर्मदा नदी लगभग 1312 किलोमीटर लंबी है। इसे ‘जीवन रेखा’ और ‘गंगा की बहन’ कहा जाता है। खास बात यह कि यह पश्चिम की ओर बहने वाली प्रमुख नदियों (West flowing rivers in India) में से है और अंततः अरब सागर में मिलती है। मध्य प्रदेश के अलावा यह महाराष्ट्र और गुजरात से भी गुजरती है। धार्मिक दृष्टि से नर्मदा की परिक्रमा करने की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, जिसे आज भी लाखों श्रद्धालु निभाते हैं।
चंबल
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चंबल नदी का उद्गम इंदौर जिले के जानापाव की पहाड़ियों से होता है। यह यमुना की सहायक नदी (Tributary of Yamuna) है और एमपी के अलावा राजस्थान व उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है। चंबल घाटी अपने दुर्गम इलाकों, गहरी घाटियों और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन मान्यता है कि चंबल नदी द्रोपदी के अपमान के बाद हुए क्रोध से उत्पन्न हुई थी, इसी कारण इसे पवित्र भी माना जाता है।
ताप्ती
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ताप्ती नदी का उद्गम बैतूल जिले के मुलताई से होता है। इसकी खासियत है कि यह भी नर्मदा की तरह पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर (Arabian Sea) में जाकर मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ताप्ती को सूर्य की पुत्री माना जाता है और इसके किनारे बने मंदिर आज भी आस्था का केंद्र हैं। यह नदी एमपी के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात की भूमि को भी सींचती है।
बेतवा
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बेतवा नदी रायसेन जिले की विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलती है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों (Bundelkhand Agriculture) के लिए जीवनदायिनी कही जाती है। बेतवा का पानी न सिर्फ खेती को सहारा देता है बल्कि यह आगे चलकर यमुना में मिल जाती है। इसके किनारे बने कई ऐतिहासिक स्थल जैसे ओरछा के मंदिर और महलों को हर साल हजारों पर्यटक देखने आते हैं।
केन
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केन नदी का उद्गम जबलपुर जिले के पास अहिरगवां गांव से होता है। यह पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) से होकर गुजरती है, जिससे इसका पर्यावरणीय महत्व और बढ़ जाता है। यह भी यमुना की सहायक नदी है और यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है। इसके किनारे कई तरह की वनस्पतियां और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो इसे और खास बनाते हैं।
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MP क्यों कहलाता है नदियों का मायका?
नर्मदा, चंबल, ताप्ती, बेतवा और केन नदियों के अलावा सोन, शिप्रा और महानदी (Other Rivers in Madhya Pradesh) जैसी कई अन्य नदियां भी प्रदेश की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं। नर्मदा परिक्रमा, चंबल घाटी की पौराणिक कथाएं, ताप्ती किनारे बने मंदिर, बेतवा के ओरछा के महल और केन की हरियाली – ये सभी मिलकर एमपी को सच में “नदियों का मायका” बनाते हैं।
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