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MP RERA Clarification: EOW में चेयरमैन के खिलाफ PE दर्ज होने पर मध्यप्रदेश रेरा का पक्ष आया सामने, कार्रवाई को बताया गलत

MP RERA Clarification: मध्यप्रदेश रेरा चेयरमैन एपी श्रीवास्तव पर लगे पद के दुरुपयोग के आरोप पर रेरा ने सफाई दी है।

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Rahul Garhwal
MP RERA Clarification on allegations of misuse of position against RERA Chairman AP Srivastava

MP RERA Clarification: मध्यप्रदेश रेरा के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ EOW भोपाल में PE दर्ज की गई है। एपी श्रीवास्तव पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। इसे लेकर मध्यप्रदेश रेरा ने सफाई देते हुए कार्रवाई को गलत बताया है।

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मध्यप्रदेश रेरा की सफाई

मध्यप्रदेश रेरा ने रेरा अधिनियम की धारा-90 के उपबंध का हवाला दिया। इसके अनुसार प्राधिकरण में नियुक्त अध्यक्ष, सदस्य, अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्रवाई नहीं हो सकती है।

रेरा चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ EOW में PE दर्ज

मध्यप्रदेश रेरा चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ EOW भोपाल में PE दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री सचिवालय में भी श्रीवास्तव के खिलाफ पद दुरुपयोग के मामले में शिकायत की गई थी। इस मामले में शिकायतकर्ता प्रभाष जेटली ने बंसल न्यूज डिजिटल को बताया कि रेरा में सीधी भर्ती की गई है। ​कुछ पदों पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग रखे गए। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी स्तर पर हुई भर्तियों में शासन की मंजूरी नहीं ली गई।

आकृति मामले के सख्त फैसलों को खूब सराहा

राजधानी भोपाल के बहुचर्चित आकृति बिल्डर (AG8 Group) मामले में रेरा चेयरमेन एपी श्रीवास्तव के सख्त फैसलों को खूब सराहा गया। इस केस में शिकायतों की सुनवाई करते हुए श्रीवास्तव ने आकृति ग्रुप के सभी प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था। सूत्रों के अनुसार राजधानी भोपाल में पलाश गृह निर्माण सहकारी संस्था की कोटरा-नेहरू नगर स्थित जमीन पर पूर्व आईएएस एपी श्रीवास्तव ने डुप्लेक्स बनवाने के लिए 12 अप्रैल 2003 को डेवलपर मेसर्स आकृति डेवलेपिंग प्रा.लि. भोपाल के साथ एग्रीमेंट किया था।

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खुद को सुनवाई से नहीं किया अलग !

रियल एस्टेट के जानकारों के मुताबिक जाहिर सी बात है कि नेहरू नगर इलाके में आकृति गार्डन के प्रोजेक्ट से जुड़े इस एग्रीमेंट को लेकर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन भी हुए होंगे। इस एग्रीमेंट पर एपी श्रीवास्तव के साइन भी हैं। जानकार बताते हैं कि रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) जैसी संवैधानिक संस्था पद पर नियुक्त कोई पदाधिकारी किसी ऐसी संस्था के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई नहीं कर सकता, जिससे उसने कभी किसी प्रकार का वित्तीय लेनदेन किया हो। ये संवैधानिक और न्यायिक पद पर बैठे उस व्यक्ति का कर्तव्य है कि वो इससे खुद को ऐसे मामलों की सुनवाई से अलग कर लें।

एक सदस्य इसी वजह से खुद को कर चुकी थीं अलग

एमपी रेरा में आकृति बिल्डर से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान रेरा के एक न्यायिक सदस्य ने इसी वजह से खुद को अलग कर लिया था। वजह यह थी कि उन्होंने आकृति ग्रुप से एक प्रॉपर्टी खरीदी हुई थी। बताया जाता है कि रेरा के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ पद दुरुपयोग की मुख्यमंत्री सचिवालय को की गई शिकायत में एक आरोप यह भी है कि उन्होंने आकृति गार्डन के एक डुप्लेक्स में इन्वेस्टमेंट करने के बाद भी बतौर रेरा चेयरमैन खुद को आकृति ग्रुप के खिलाफ मामलों की सुनवाई से खुद को अलग नहीं किया।

शिकायत में यह आरोप भी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आकृति बिल्डर्स की ओर से भी यह आरोप लगाया गया है कि आकृति गार्डन प्रोजेक्ट के कामकाज में देरी हुई, जिसमें एपी श्रीवास्तव का भी डुप्लेक्स भी शामिल था। इसी वजह से रेरा ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करते हुए ग्रुप के आकृति एक्वासिटी, आकृति गार्डन समेत 12 प्रोजेक्ट की सुनवाई की और दुर्भावनापूर्वक निर्णय लेते हुए संबंधित प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया।

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3 लोग… 3 बड़े आरोप

1. क्रेडाई के विपिन गोयल

सरकार के अन्य विभागों के जिन अधिकारियों ने मंजूरी दी, उन्हें बार बार जांचा जा रहा है। रेरा कमियां निकालकर मामले को बार-बार अटका रहा है। जो काम 30 दिन में होना चाहिए, उसके लिए 6 से 8 महीने लगाए जाते हैं। रेरा एक्ट बनने के बाद 21 राज्यों के 217 शहरों में 13000 बिल्डर-डेवलपर काम कर रहे हैं। मप्र में परेशानी बढ़ाई जाती है। शासन से बिना अनुमोदन प्राप्त किए गलत सीए सर्टिफिकेट लागू किया गया।

2. एक्टिविस्ट प्रभाष जेटली

रेरा में सीधी भर्ती की गई है। ​कुछ पदों पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग रखे गए। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी स्तर पर हुई भर्तियों में शासन की मंजूरी नहीं ली गई।

3. जीपी गुप्ता

​विधि विरुद्ध प्रोजेक्ट की समय सीमा तय की जाती है। क्रेता और प्रमोटर्स के बीच तय मूल्यों के भुगतान की किस्तों को सीमित किया जा रहा है।

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ये होगी जांच प्रक्रिया

1. ईओडब्ल्यू ने अभी एफआईआर दर्ज नहीं की है, बल्कि प्राथमिक जांच में प्रकरण को लिया है। जांच में यदि पद के दुरुपयोग के मामले की पुष्टि होती है, तब इसमें एफआईआर दर्ज की जाएगी।

2. एफआईआर दर्ज होने के बाद कोर्ट में चालान पेश किया जाएगा, जहां पूरे मामले की सुनवाई होगी। प्रकरण का फैसला आ जाने तक चेयरमैन अपने पद पर बने रहेंगे।

3. कोर्ट के फैसले में यदि पद के दुरुपयोग के आरोप सिद्ध होते हैं तब इन्हें चेयरमैन को पद से हटाने के लिए मामला हाईकोर्ट भेजा जाएगा। जहां इस मामले में मुख्य न्यायाधीश फैसला लेंगे।

4. रेरा एक्ट की धारा-26 चेयरमैन को पद से हटाने की शक्ति तो देता है, लेकिन इसका अधिकार सिर्फ मुख्य न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस के पास ही है।

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एपी श्रीवास्तव का 2 साल का कार्यकाल बचा

एपी श्रीवास्तव (RERA Chairman AP Srivastava) ने रेरा चेयरमैन का पदभार 1 अप्रैल 2021 को ग्रहण किया था। नियमों के मुताबिक चेयरमैन की नियुक्ति 5 साल या 65 साल तक की उम्र में से जो पहले हो, उतने समय के लिए होती है। यानी एपी श्रीवास्तव के पास अभी करीब दो साल का वक्त है।

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