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Birsa Munda: MP में जनजातीय विभाग की बड़ी लापरवाही, सरकारी पत्र में भगवान बिरसा मुंडा का नाम गलत लिखने पर मचा हंगामा

भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती से पहले रतलाम में जनजातीय कार्य विभाग की एक बड़ी गलती ने विवाद खड़ा कर दिया। विभाग से जारी पत्र में बिरसा मुंडा का नाम गलत लिखा गया, जिसके बाद आदिवासी संगठन गुस्से में सड़क पर उतर आए।

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Vikram Jain
Birsa Munda: MP में जनजातीय विभाग की बड़ी लापरवाही, सरकारी पत्र में भगवान बिरसा मुंडा का नाम गलत लिखने पर मचा हंगामा

हाइलाइट्स

  • रतलाम में जनजातीय कार्य विभाग की बड़ी लापरवाही।
  • सरकारी पत्र में भगवान बिरसा मुंडा को लिखा गुंडा।
  • आदिवासी समाज में आक्रोश, अधिकारियों के पुतले फूंके।
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MP Ratlam Birsa Munda Name Mistake Controversy: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती से पहले रतलाम में जनजातीय कार्य विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है। यहां बिरसा मुंडा जयंती संबंधी पत्र में उनका नाम गलत लिखने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया। आधिकारिक पत्र में 'बिरसा मुंडा' की जगह 'बिरसा गुंडा' लिख दिया गया। सोशल मीडिया पर पत्र वायरल होते ही आदिवासी संगठनों का गुस्सा भड़क गया और विभाग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया और अधिकारियों का पुतला फूंका।

आधिकारिक पत्र में भगवान बिरसा मुंडा का नाम गलत लिखने पर आदिवासी संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। हंगामा बढ़ने पर विभाग ने इसे टाइपिंग एरर बताया और मामले में माफी मांगी। साथ ही टाइपिस्ट को नोटिस जारी किया है, लेकिन आदिवासी संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि यह भगवान बिरसा मुंडा का अपमान और आदिवासी अस्मिता पर हमला है।

बिरसा मुंडा को लिख दिया ‘बिरसा गुंडा’

दरअसल, रतलाम में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के कार्यक्रम के लिए जारी एक आधिकारिक पत्र में उनका नाम ‘बिरसा गुंडा’ लिख दिया गया। जैसे ही यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, आदिवासी समाज में भारी आक्रोश फैल गया।

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कुछ ही घंटों में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा, आदिवासी समाज के प्रतिनिधि और विभिन्न सामाजिक संगठन एकजुट होकर सड़क पर उतर आए। विभाग कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया और विभागीय अधिकारियों का पुतला दहन कर कड़ी नाराजगी जताई गई।

प्रदर्शनकारियों ने लगाए अपमान के आरोप

विरोध प्रदर्शन के दौरान विभागीय अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। मामले में आदिवासी समाज सदस्य के दिनेश माल और ध्यानवीर डामोर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती बड़े स्तर पर मना रही है, लेकिन रतलाम का विभाग उनके सम्मान पर चोट कर रहा है। उन्होंने इसे आदिवासी अस्मिता का अपमान बताते हुए कहा कि आदिवासी समाज इस तरह गलतियां बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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9 नवंबर को जारी किया था पत्र

बता दें कि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा। साथ ही राज्य और जिला स्तर पर कार्यक्रम होंगे। जिसको लेकर भोपाल से मिले निर्देशों के बाद रतलाम जनजातीय कार्य विभाग ने 9 नवंबर को एक आधिकारिक पत्र जारी किया था। इस पत्र में 15 नवंबर को होने वाली रथ यात्रा के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी निर्धारित की गई थी, लेकिन इस पत्र में गंभीर गलती करते हुए भगवान बिरसा मुंडा के नाम की जगह ‘बिरसा गुंडा’ टाइप कर दिया गया।

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बाद में जब यह गुंडा लिखा हुआ पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो भी विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई और इसे सुधारने की कोशिश नहीं की। यही लापरवाही आदिवासी संगठनों के आक्रोश की बड़ी वजह बनी और लोगों ने विभाग के खिलाफ कड़ा विरोध जताया।

विभाग ने मांगी माफी, टाइपिस्ट को नोटिस जारी

विरोध बढ़ने पर विभाग की सहायक आयुक्त रंजना सिंह ने माफी मांगते हुए कहा कि पत्र में हुई गलती एक टाइपिंग एरर थी, जो अवकाश के चलते हो गई। उन्होंने बताया कि प्रभारी अधिकारी ने पत्र को बिना ध्यान दिए हस्ताक्षर कर आगे भेज दिया। मामले में टाइपिस्ट को नोटिस जारी कर दिया गया है। हालांकि आदिवासी संगठनों का कहना है कि यह केवल टाइपिस्ट की गलती नहीं, बल्कि अधिकारियों की गंभीर लापरवाही है।

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कार्रवाई नहीं हुई तो करेंगे आंदोलन

आदिवासी संगठनों ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की और आंदोलन की चेतावनी दी। आदिवासी संगठनों का कहना है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। उनका कहना है कि भगवान बिरसा मुंडा पूरे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी हैं और उनके नाम का गलत उल्लेख होना किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।

आदिवासी समाज और भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने विभाग से मांग की है कि जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह विवाद पैदा हुआ, उन्हें तुरंत सस्पेंड किया जाए। संगठनों ने कहा कि यदि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ेंगे। फिलहाल विभाग ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस गलती ने सरकारी लापरवाही और संवेदनशील मामलों पर ध्यान की कमी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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