हाइलाइट्स
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मध्यप्रदेश में 9 साल बाद शुरू होंगे प्रमोशन
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सरकार ने जारी किए नए नियम
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MP सरकार ने जारी किया गजट नोटिफिकेशन
MP New Promotion Rules 2025: मध्यप्रदेश में 9 साल के लंबे इंतजार के बाद अब प्रमोशन होंगे। MP कैबिनेट के फैसले के बाद सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने प्रमोशन से जुड़े नए नियम जारी कर दिए हैं। वहीं नए नियमों को लेकर प्रदेश के मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ और तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने विरोध जताया है। कर्मचारी संघ का कहना है कि वो नए नियमों के खिलाफ कोर्ट जाएंगे।
प्रमोशन के लिए गजट नोटिफिकेशन
मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम, 2025
सीधी भर्ती के पदों में SC-ST को आरक्षण
मध्यप्रदेश सरकार ने प्रमोशन के नए नियमों (MP New Promotion Rules 2025) में रिजर्व कैटेगरी को प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता और योग्यता को महत्व दिया है। सीधी भर्ती के पदों में SC-ST वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को 16 से 20 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। सरकार प्रमोशन में भी इन्हें इसी आधार पर आगे बढ़ने का मौका देने के लिए प्रतिबद्ध है। गजट नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही सरकार के प्रमोशन के नियम प्रभावी हो गए हैं।
विभागीय प्रमोशन कमेटी बनेगी
सरकार की ओर से प्रमोशन से भरे जाने वाले हर कैडर के पद अलग से तय होंगे। इसके लिए विभागीय प्रमोशन कमेटी फैसला लेगी। कमेटी के अध्यक्ष विभाग के सचिव और विभाग के अध्यक्ष सचिव होंगे। कमेटी में उपसचिव या उससे ऊंचे पद का GAD का एक ऑफिसर भी शामिल होगा।
कमेटी में शामिल होगा एक सेकंड क्लास अधिकारी
अगर कमेटी में तीनों सदस्यों में से कोई एक सदस्य SC वर्ग का नहीं हुआ तो SC वर्ग का एक सेकंड क्लास अधिकारी भी कमेटी में शामिल किया जाएगा। पहले 3 मेंबर में से कोई सदस्य ST वर्ग का नहीं होने पर सेकंड क्लास कैटेगरी का ST वर्ग का एक अधिकारी भी कमेटी में शामिल किया जाएगा। अगर विभागीय कमेटी किसी मामले में अलग फैसला लेती है तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी। इसमें विभाग के सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव शामिल होंगे।
2028 तक के लिए कमेटी
GAD के नियमों में कहा गया है कि कमेटी साल 2024 से 2028 तक की विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) के लिए लागू मानी जाएगी। 5 साल के बाद इस कमेटी को फिर से नए सिरे से बदला जा सकेगा।
कर्मचारी संघ का विरोध, कोर्ट जाएंगे
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि वे नए नियमों से सहमत नहीं हैं। जो पुराने नियम कोर्ट ने निरस्त किए थे। ये नए नियम भी बिल्कुल वैसे ही हैं। हम इसका विरोध करेंगे और कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ की आपत्तियां
मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार के राजपत्र में प्रकाशित लोकसेवा पदोन्नति नियम-2025 में लागू किए गए कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने बंसल न्यूज को बताया कि नए नियमों में कई प्रावधान अव्यवहारिक और असमानता बढ़ाने वाले हैं।
1. तीनों वर्गों की सूची अलग-अलग बने
सरकारी विभागों में पदोन्नति के नए नियमों के अनुसार हर विभाग में वरिष्ठता क्रम से कॉमन विचारण सूची बनाई जाएगी जबकि तीनों वर्गों की अलग-अलग विचारण सूची बननी चाहिए थी।
2. विभागों में उच्च पदों पर 100% तक आरक्षण
आरक्षण कोटा पूर्ण होने के बाद कॉमन विचारण सूची में शेष बचे आरक्षित वर्ग के शासकीय सेवकों को अनारक्षित माना जाकर अनारक्षित वेकेंसी के लिए विचारण में लिया जाएगा। सर्वाधिक विवादित और आपत्तिजनक बिंदु यही है। इसी कारण से उच्च पदों पर आरक्षण 100% तक पहुंच गया था। मंत्रालय में अवर सचिव के 65 पदों में से 58 पर आरक्षित वर्ग के अधिकारी थे। इसी कारण से लोग कोर्ट गए। 9 सालों तक पदोन्नति बंद रहने की स्थिति निर्मित हुई और अंततः उसी व्यवस्था को नये नियमों में बरकरार रखा गया है बल्कि और मजबूत किया गया है।
3. आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को कृपांक क्यों ?
आरक्षित वर्ग का शासकीय सेवक पदोन्नति के लिए आवश्यक अंक नहीं ला पाता है तो उसे एक अतिरिक्त कृपांक दिया जाएगा। मतलब हर स्टेज पर बैसाखी। यही कारण है कि सामान्य ज्ञान, हिंदी मुद्रलेखन और हिंदी शार्ट हैंड तीनों प्रश्न पत्रों में बाकायदा 0 नंबर पाने वाले लोगों को मंत्रालय सेवा में जॉइन करा लिया गया, उसी तारीख से वरिष्ठता भी दे दी गई और बाद में पदोन्नति भी दी गई।
4. अनारक्षित वर्ग की सूची में आरक्षित क्यों ?
दूसरी ओर सामान्य वर्ग के अनेक लोगों को मुद्रलेखन परीक्षा विलंब से पास करने पर उतने वर्ष की वरिष्ठता नहीं दी गई।आरक्षित वर्ग का शासकीय सेवक दोनों प्रतीक्षा सूचियों में रहेगा- आरक्षित वर्ग की प्रतीक्षा सूची में भी और अनारक्षित वर्ग की प्रतीक्षा सूची में भी।
5. हर साल बदले X और Y की वैल्यू
आरक्षण का कोटा 20X या 16Y रहेगा। X और Y की वैल्यू मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। X और Y की वैल्यू एक बार जो तय हो जाएगी। वह 5 साल तक स्थिर रहेगी। यह आपत्तिजनक है। इसका निर्धारण प्रतिवर्ष होना चाहिए क्योंकि हर वर्ष स्थितियां बदलती हैं। इसका अनुचित लाभ आरक्षित वर्ग को मिलने की आशंका है।
6. उपयुक्त व्यक्ति न मिलने पर खाली रहेंगे पद
किसी वर्ष में आरक्षित वर्ग में उपयुक्त व्यक्ति न मिलने पर वे पद तब तक खाली रखें जाएंगे जब तक भविष्य के किसी वर्ष में उतने उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिल जाते। इसका मतलब है पद खाली पड़े रहेंगे जनता भले परेशान होती रहे। सरकारी काम रुका रहे। जिस साल उपयुक्त व्यक्ति मिलेंगे उस साल में अनारक्षित वर्ग को मिलने वाले पद और कम हो जाएंगे। कुछ पद पिछले सालों का बैकलॉग पूरा करने में चले जाएंगे। 2025 में उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिले थे तो उसका खामियाजा 2030 का व्यक्ति क्यों भुगते। आरक्षित वर्ग में उपयुक्त व्यक्ति न मिलने की सजा अनारक्षित वर्ग के उपयुक्त व्यक्तियों को दी जाएगी। आरक्षण पहले है जनता बाद में।
7. नए नियमों में समायोजन की व्यवस्था नहीं
आरक्षित वर्ग के जो व्यक्ति अनारक्षित पदों पर आ जाते थे। उन्हें समायोजित करने की व्यवस्था पुराने नियमों में थी। यद्यपि किया कभी नहीं गया। लेकिन नए नियमों में उक्त व्यवस्था भी नहीं रखी गई है।
8. पदोन्नति समिति में अनारक्षित वर्ग का सदस्य भी हो
पदोन्नति समिति के सदस्यों में से एक सदस्य अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति का रखा जाना आवश्यक किया गया है। यह इस बात का द्योतक है कि नियम अविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। जब सारा काम नियमों के तहत होना है तो आरक्षित वर्ग के अधिकारी करें या अनारक्षित वर्ग के अधिकारी। और यदि माहौल ऐसा बन गया है कि आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के अधिकारी पर ही भरोसा कर सकते हैं तो फिर नियमों में यह प्रावधान भी किया जाना था कि पदोन्नति समिति के सदस्यों में से एक सदस्य अनिवार्यतः सामान्य वर्ग का होगा। ऐसा भी तो संभव है कि पदोन्नति समिति के सारे सदस्य आरक्षित वर्ग के हों तब अनारक्षित वर्ग को भी तो अविश्वास हो सकता है।
‘प्रमोशन में आरक्षण नहीं होना चाहिए’
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर तिवारी का कहना है कि जो 2002 में था, वही रिपीट हो रहा है। भर्ती में आरक्षण दे दिया जाए लेकिन पदोन्नति में आरक्षण नहीं होना चाहिए। जिस तरह से अभी 20% और 16% को पहले भरा जाएगा, इससे फिर से विवाद की स्थिति बन रही है। इसे लेकर कर्मचारियों में असंतोष पनप रहा है।
अजाक्स कर्मचारी संगठन ने किया प्रमोशन के नियमों का स्वागत
प्रदेश के मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ और तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने एक ओर प्रमोशन के नए नियमों का विरोध किया है। वहीं मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संगठन (अजाक्स) ने प्रमोशन के नए नियमों का समर्थन किया है। अजाक्स संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष जेएन कंसौटिया ने प्रमोशन के नए नियमों का खुलकर स्वागत किया है।
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