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MP Govt Promotion Policy Case:HC में दिल्ली के 2 दिग्गज वकीलों से पैरवी कराने सरकार ने मांगा समय,9 सितंबर कोअगली सुनवाई

Madhya Pradesh MP Promotion Reservation Case Hearing Update: मध्यप्रदेश के सरकारी विभागों में अफसर-कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण के मामले में गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया।

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sanjay warude
MP Govt Promotion Policy Case

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हाइलाइट्स

  • 2002 में किया था प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान
  • 2026 में प्रमोशन नियम 2002 को खारिज कर दिया
  • राज्य सरकार के एससी में चुनौती के बाद लगी रोक
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Madhya Pradesh MP Promotion Reservation Case Hearing Update: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सरकारी विभागों में अफसर-कर्मचारियों की पदोन्नति (Promotion) में आरक्षण (Reservation) के मामले में गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को हाई कोर्ट (High Court) में सुनवाई हुई, जिसमें राज्य सरकार (State Government) ने अपना जवाब पेश किया।

हाई कोर्ट (High Court) में शुक्रवार 14 अगस्त को इस केस की सुनवाई के दौरान सरकार (State Government) ने विभागों में कर्मचारियों के वर्ग वार आंकड़े पेश किए। मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) की ओर से वकील (Advocate) ने स्पष्ट किया कि पुरानी और नई प्रमोशन पॉलिसी (new promotion policy) समान नहीं है, बल्कि इसमें अंतर है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट (High Court) के चीफ जस्टिस (chief Justice) सरकार (Madhya Pradesh Government) द्वारा पेश किए गए चार्ट पर असंतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि चार्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि आंकड़े जनगणना (सेंसर) पर आधारित हैं या सरकारी सेवाओं में कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व पर हैं।

आबादी और नौकरी की मांगी तुलनात्मक रिपोर्ट

राज्य सरकार (State Government) से विस्तृत जवाब मांगते हुए आबादी (population) और सरकारी नौकरियों (government jobs) में प्रतिनिधित्व की तुलनात्मक (comparative)  स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इसके साथ ही, कोर्ट (High Court) ने यह भी पूछा है कि क्या नई पॉलिसी (new promotion policy) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों का पालन किया गया है या नहीं ? कोर्ट ने राज्य सरकार (State Government) से विस्तृत जवाब मांगते हुए अगली सुनवाई 9 सितंबर को निर्धारित की है।

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अगली सुनवाई में पेश होंगे ये दिग्गज वकील

केस में अगली राज्य सुनवाई के दौरान सरकार (State Government) ने दिल्ली (Delhi) के दो दिग्गज वकीलों को पैरवी के लिए बुलाया है। इस मामले में सरकार (Madhya Pradesh Government) की ओर से पैरवी करने के लिए दिल्ली सुप्रीम कोर्ट (Delhi Supreme Court) के पूर्व अटार्नी जनरल सीएस वैद्यनाथन (Former Attorney General CS Vaidyanathan) और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) को नियुक्त किया गया है।

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अब 9 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

दिल्ली के इन दो दिग्गज वकीलों को प्रमोशन में आरक्षण (reservation in promotion) के पूरे मामले तैयारी के लिए सरकार (Madhya Pradesh Government) ने कोर्ट (High Court) से समय मांगा। अगली सुनवाई अब 9 सितंबर को होगी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Delhi Supreme Court) के सीनियर वकील (senior lawyer) सरकार की ओर से पैरवी करेंगे।

पिछली सुनवाई और याचिकाकर्ता का पक्ष

इस मामले की पिछली सुनवाई 9 जुलाई को हुई थी, जहां हाई कोर्ट (High Court) ने राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। तब महाधिवक्ता प्रशांत सिंह (Advocate General Prashant Singh) ने यह आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक नई पॉलिसी (new policy) के तहत किसी को प्रमोशन (promotion) नहीं दिया जाएगा।

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शाब्दिक बदलाव कर पुराने नियम फिर लागू

भोपाल (Bhopal) की याचिकाकर्ता डॉ. स्वाति तिवारी (Dr. Swati Tiwari) की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु (Advocate Suyash Mohan Guru) ने तर्क दिया था कि वर्ष 2002 के नियमों को हाई कोर्ट (High Court) ने आरबी राय केस (RB Rai case) में पहले ही समाप्त कर दिया था। इसके बावजूद, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मामला लंबित होने और यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद, केवल कुछ शाब्दिक बदलावों के साथ उन्हीं नियमों को फिर से लागू कर दिया है। इसी कारण इन नियमों को हाई कोर्ट (High Court) में चुनौती दी गई है।

प्रमोशन कब लागू हुआ, फिर क्यों लगी रोक

आरक्षित का प्रमोशन, अनारक्षित पिछड़े

साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाए थे, जिसमें प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गए और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए।

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अनारक्षित वर्ग पहुंचा हाई कोर्ट

प्रमोशन नहीं मिलने से अनारक्षित वर्ग के अफसर-कर्मचारियों में आक्रोश फूटने लगा और जब विवाद बढ़ा तो कर्मचारी हाई कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया।

2016 को कोर्ट ने खारिज किया नियम

अनारक्षित वर्ग के अफसर-कर्मचारियों ने कोर्ट को तर्क दिया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। इन तर्कों के आधार पर हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया।

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सरकार की चुनौती के बाद लगी रोक

हाई कोर्ट में प्रमोशन नियम 2002 को खारिज करने के आदेश के खिलाफ मप्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जहां कोर्ट ने नियम को यथास्थिति रखने का आदेश दिया। तभी से प्रमोशन पर रोक लगी है।

ऐसे तय हुई सुनवाई की तारीख

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने पहले सुनवाई के लिए 12 अगस्त 2025 की तारीख तय की थी। हालांकि, फिर चीफ जस्टिस की बेंच के उपलब्ध नहीं होने पर सुनवाई की तारीख 14 अगस्त 2025 तक बढ़ाई गई थी। गुरुवार को कोर्ट ने मामले की सुनवाई की।

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