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MP Promotion Policy 2025
हाइलाइट्स
- 17 जून 2025 को जारी हुआ थी न्यू प्रमोशन पॉलिसी
- 23 अक्टूबर तक तैयार होगी एमपी की वर्गवार रिपोर्ट
- 27 और 28 अक्टूबर को हाईकोर्ट करेंगी सुनवाई
Madhya Pradesh Promotion Policy Reservation 2025 Update: मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर तैयारियां तेज हो चुकी है। प्रदेश सरकार अब 5 लाख कर्मचारियों की वर्गवार प्रमोशन और आरक्षण रिपोर्ट तैयार कर रही है। जिसे 28 अक्टूबर, 2025 तक एकजाई कर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।
मध्यप्रदेश मंत्रालय में शुक्रवार, 17 अक्टूबर, 2025 को प्रमोशन को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। जिसमें प्रदेश के सरकारी विभागों के कर्मचारियों की वर्गवार प्रमोशन और आरक्षण रिपोर्ट तैयार करने पर चर्चा की गई। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सभी डिपार्टमेंट के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभाग प्रमुखों से 23 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी है।
एमपी में वर्तमान प्रमोशन की स्पष्ट होगी स्थिति
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने स्पष्ट किया हैं कि रिपोर्ट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा समेत अन्य वर्गों के प्रमोशन की वर्तमान स्थिति का स्पष्ट डेटा तैयार करेंगे। इसके अलावा एक संयुक्त रिपोर्ट भी बनाई जाएगी, जिसमें वर्गवार आरक्षण की स्थिति स्पष्ट की जाएगी। जिसमें संख्यात्मक रूप से स्पष्ट करना होगा कि किस वर्ग को कितना आरक्षण दिया गया है और कितना आरक्षण अभी दिया जाना है। इससे स्पष्ट होगा कि किसी वर्ग का वर्तमान में कितना प्रतिनिधित्व है।
हाईकोर्ट में संख्यात्मक रिपोर्ट पेश की जाएगी
मुख्य सचिव अनुराग जैन के मुताबिक, पूरे डेटा को एकजाई कर एक मुख्य रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसे 28 अक्टूबर, 2025 तक मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। यह रिपोर्ट संख्यात्मक रूप से प्रस्तुत की जाएगी। जिस पर विचार कर हाईकोर्ट प्रमोशन को लेकर अपना फैसला देंगी।
संयुक्त रिपोर्ट पर आगे बढ़ेगी प्रमोशन प्रोसेस
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि यह पूरी कार्रवाई उच्च न्यायालय के गुरुवार को दिए गए निर्देशों के अनुरूप की जा रही है। कोर्ट ने विभागवार ऑडिट रिपोर्ट मिलने तक डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) को अनुमति देने से इनकार किया है। राज्य सरकार इस संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर ही पदोन्नति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
17 जून 2025 तक की तैयार की जाएगी रिपोर्ट
प्रदेश के सभी विभागों के अधिकारियों को 17 जून 2025 को जारी किए गए नए पदोन्नति नियमों और प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
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जानें क्यों लगी थी प्रमोशन पर रोक ?
आरक्षण का प्रावधान: तत्कालीन राज्य सरकार ने साल 2002 में पदोन्नति के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था लागू की थी।
परिणाम: इस प्रावधान के चलते आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति मिलती रही, जबकि अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पीछे छूट गए।
कोर्ट में चुनौती: जब इस असंतुलन और विवाद ने तूल पकड़ा, तो कर्मचारी अदालत पहुँचे और उन्होंने प्रमोशन में आरक्षण को समाप्त करने की मांग की।
कर्मचारियों का तर्क: कोर्ट में यह तर्क दिया गया कि पदोन्नति का लाभ केवल एक ही बार दिया जाना चाहिए (न कि हर स्तर पर)।
हाईकोर्ट का निर्णय: इन तर्कों पर विचार करते हुए, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को अमान्य (खारिज) कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में अपील: राज्य सरकार ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
वर्तमान स्थिति: शीर्ष कोर्ट ने मामले में ‘यथास्थिति बनाए रखने’ का आदेश दिया, जिसके कारण तब से लेकर अब तक (2016 से) प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी हुई है।
ये है प्रमोशन की नई पॉलिसी
पदों का वर्गीकरण: उपलब्ध रिक्त पदों को अनुसूचित जाति (SC – 16%), अनुसूचित जनजाति (ST – 20%), और अनारक्षित वर्ग के हिस्सों में आनुपातिक रूप से विभाजित किया जाएगा।
भर्ती प्राथमिकता: पद भरने की प्रक्रिया में सबसे पहले SC और ST वर्ग के पद भरे जाएंगे।
शेष पदों के लिए: इन आरक्षित पदों को भरने के बाद, बचे हुए पदों के लिए सभी वर्गों के दावेदारों को मौका दिया जाएगा।
लिस्ट बनाने का आधार (श्रेणी 1): क्लास-1 स्तर के अधिकारियों (जैसे कि डिप्टी कलेक्टर) के लिए चयन सूची योग्यता (Merit) और वरिष्ठता (Seniority) दोनों के आधार पर तैयार की जाएगी।
लिस्ट बनाने का आधार (श्रेणी 2): क्लास-2 तथा उससे निचले स्तर के पदों के लिए वरिष्ठता (Seniority) को ही एकमात्र आधार बनाकर चयन सूची बनाई जाएगी।
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MP Promotion Policy: नई प्रमोशन नीति 2016 के बाद की पदोन्नति पर होगी लागू, इससे पहले मान्य नहीं, HC- अब होगा अंतिम फैसला
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