Private University franchise courses: प्राइवेट यूनिवर्सिटी के फ्रेंचाइजी से संचालित ऑफ-कैंपस कोर्स से डिग्री डिप्लोमा कर रहे बच्चों और युवाओं के लिए ये बेहद जरुरी खबर है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए निजी विश्वविद्यालयों द्वारा फ्रेंचाइजी के माध्यम से संचालित ऑफ-कैंपस कोर्स के डिप्लोमा को कानूनी रूप से अवैध माना है।
एमपी हाईकोर्ट ने एकाउंटेंट के पद के लिए भर्ती से संबंधित एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक निजी विश्वविद्यालय द्वारा अपने फ्रेंचाइजी द्वारा संचालित ऑफ-कैंपस कोर्स के आधार पर जारी किए गए किसी भी प्रमाण पत्र को कानूनी रूप से वैध नहीं कहा जा सकता है।
बेंच ने अपने फैसले में ये कहा
जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की सिंगल जज बेंच ने कहा, “चूंकि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश फ्रेंचाइजी के माध्यम से ऑफ-कैम्पस पाठ्यक्रम चलाने का हकदार नहीं था।
अतः महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश द्वारा अपने फ्रेंचाइजी द्वारा संचालित ऑफ-कैम्पस पाठ्यक्रम के आधार पर जारी किसी भी प्रमाण पत्र की कोई विधिक मान्यता नहीं हो सकती।
इन परिस्थितियों में, इस कोर्ट की राय है कि राज्य शिक्षा केंद्र ने याचिकाकर्ता नंबर 1 से 3 को लेखाकार के पद के लिए अयोग्य घोषित करके कोई गलती नहीं की है।
भर्ती परीक्षा के लिए ये थी योग्यता
(i) न्यूनतम 50% अंकों के साथ वाणिज्य में स्नातक की डिग्री।
(ii) यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय/मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए गए कंप्यूटर में डिप्लोमा या सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज द्वारा जारी आधुनिक कार्यालय प्रबंधन के संबंध में डिप्लोमा या प्रमाण पत्र का डीईओएसीए स्तर।
याचिकाकर्ताओं ने ये दिया तर्क
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि उन्होंने महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश से PGDCA कोर्स किया है और इस तरह वे अकाउंटेंट के पद के लिए योग्य हैं।
उन्हें चयनित घोषित कर जिला मुरैना ब्लॉक सबलगढ़, पोरसा और अंबाह में तैनात किया गया। चूंकि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है, जिसका क्षेत्राधिकार पूरे मध्य प्रदेश राज्य पर है।
इसलिए महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश के फ्रेंचाइजी से प्राप्त पीजीडीसीए डिप्लोमा कोर्स को अस्वीकार करना कानून में गलत है।
ये है नियम
वहीं सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जारी 9 अगस्त 2014 के एक पत्र का उल्लेख करते हुए प्रस्तुत किया कि कोई भी विश्वविद्यालय चाहे केंद्रीय, राज्य, निजी या डीम्ड हो, दूरस्थ मोड के माध्यम से पाठ्यक्रम संचालित करने के उद्देश्य से भी निजी कोचिंग संस्थानों के साथ फ्रेंचाइजी व्यवस्था के माध्यम से अपने कार्यक्रम प्रदान नहीं कर सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने एमवाई-0109: II टेक इंस्टीट्यूट, ग्वालियर में अपनी पढ़ाई करके पीजीडीसीए/डीसीए पाठ्यक्रम प्राप्त किया है, जो महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश के फ्रेंचाइजी द्वारा संचालित एक ऑफ कैंपस कोर्स है, इसलिए, यह मान्यता प्राप्त नहीं है।
इसलिए याचिका खारिज
अदालत के समक्ष मुद्दा यह था कि क्या निजी विश्वविद्यालय फ्रेंचाइजी के माध्यम से कैंपस पाठ्यक्रम चला सकते हैं या नहीं? अदालत ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि यूजीसी द्वारा उन सभी व्यक्तियों को पर्याप्त समय दिया गया था, जो अपने पीजीडीसीए/डीसीए पाठ्यक्रमों को चलाना चाहते थे, उन्हें पहले से ही सूचित किया गया था कि फ्रेंचाइजी से किया गया कोई ऑफ-कैंपस कोर्स मान्यता प्राप्त नहीं है।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश फ्रेंचाइजी के माध्यम से ऑफ-कैंपस कोर्स चलाने का हकदार नहीं था, इसलिए, उपरोक्त कॉलेज द्वारा अपने फ्रेंचाइजी द्वारा संचालित ऑफ-कैंपस कोर्स के आधार पर जारी किसी भी प्रमाण पत्र को वैध नहीं कहा जा सकता है। इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।
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