Private Schools Recognition Rules Protest: मान्यता नियमों में बदलाव के विरोध में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन 30 जनवरी को हड़ताल पर चली गई। हालांकि, भोपाल में इसका ज्यादा असर नहीं दिखा, लेकिन प्रदेश के कई जिलों में स्कूल बंद रहे। आज स्कूलों के लिए मान्यता के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि है, लेकिन 34 हजार निजी स्कूलों में से केवल 7,351 ने ही आवेदन किया है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह के अनुसार, प्रदेश भर में कुल 34 हजार निजी स्कूल हैं, जिनमें से 8 हजार से अधिक स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन किया है। शेष स्कूल अभी तक आवेदन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सभी स्कूल प्रशासकों से यथाशीघ्र आवेदन करने का आग्रह किया है। इस बीच, राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) के निदेशक हरजिंदर सिंह इस मुद्दे (Private Schools Recognition Rules) पर चुप्पी साधे हुए हैं।
18 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर
अजीत सिंह ने कहा कि राज्य शिक्षा केंद्र ने कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों की मान्यता के नवीनीकरण में ‘तानाशाही रवैया’ अपनाया है। उन्होंने इसे मध्य प्रदेश के स्कूल प्रशासकों, शिक्षकों और कर्मचारियों को दबाने का एक तरीका बताया। उनके अनुसार राज्य में 18 हजार से अधिक स्कूल बंद होने के कगार पर हैं।
ये स्कूल पिछले कई वर्षों से विभागीय मान्यता से चल रहे हैं। एक तरफ तो निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 कहता है कि शिक्षा निशुल्क होनी चाहिए, वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने 30 से 40 हजार रुपए की फिक्स डिपोजिट और रजिस्टर्ड लीज एग्रीमेंट जैसी शर्तें लगाकर इसे व्यवसाय बना दिया है।
ग्रामीण क्षेत्र और स्लम बस्तियों के स्कूल सबसे ज्यादा प्रभावित
बता दें, मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्कूलों की संख्या, आदेशों से कहीं अधिक है। विभागीय मान्यता प्राप्त स्कूल स्लम बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में चल रहे हैं। लेकिन नए ‘तुगलकी नियमों’ के कारण ये स्कूल मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं कर सकते। इसके चलते 30 जनवरी को इन स्कूलों के समर्थन में राज्य के 80% से अधिक स्कूल बंद रहे। स्कूल संचालकों ने अपने स्कूल बंद रखे तथा सरकार व विभाग के प्रति अपना विरोध जताया।
सवा लाख से अधिक कर्मचारी बेरोजगारी की कगार पर
अजीत सिंह ने कहा कि सरकार ने मान्यता नियमों को इतना जटिल बना दिया है कि सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण जिलों के स्कूल संचालकों को हो रही है। उन्होंने कहा कि सत्र 2025-26 तक कई स्कूल बंद हो सकते हैं। इससे स्कूलों में कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। साथ ही इससे जुड़ी संस्थाएं भी प्रभावित होंगी और बच्चों की शिक्षा पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
उन्होंने आगे कहा कि पहले शिक्षा के महत्व को समझते हुए मान्यता नियमों को सरल रखा गया था, लेकिन अब निजी स्कूलों से राजस्व बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके चलते सवा लाख से अधिक शिक्षकों व कर्मचारियों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है।
ये भी पढ़ें: Froud With Retired Engineer :रिटायर्ड इंजीनियर के बैंक खातों से 55.83 लाख की ठगी,पड़ोसी ही निकले चोर
सरकार की चुप्पी बढ़ा रही है समस्या
इस पूरे मामले (Private Schools Recognition Rules) पर राज्य शिक्षा केंद्र के निदेशक हरजिंदर सिंह की चुप्पी से समस्या और बढ़ गई है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मांग की है कि सरकार मान्यता नियमों को सरल बनाए तथा स्कूल प्रशासकों की समस्याओं को सुने।
नए मान्यता नियमों के कारण मध्य प्रदेश में हजारों स्कूल बंद होने के कगार पर हैं। इससे न केवल सवा लाख से अधिक शिक्षक व कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे, बल्कि लाखों बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होगी। सरकार को इस गंभीर समस्या का तुरंत समाधान करना चाहिए ताकि सभी को शिक्षा का अधिकार मिल सके।
ये भी पढ़ें: New Rules For Domestic Workers: घर के नौकरों के लिए कानून बनाएगी सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश