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MP Private School Fees Rules: मध्यप्रदेश के 16 हजार प्राइवेट स्कूलों को फीस नियमों में छूट, जानकारी देना जरूरी नहीं

MP Private School Fees Rules: मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने 16 हजार प्राइवेट स्कूलों को राहत दी है। 25 हजार से कम फीस वालों को पोर्टल पर जानकारी देना जरूरी नहीं होगा।

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Rahul Garhwal
MP Private School Fees Rules School Education Department

हाइलाइट्स

  • मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश
  • 16 हजार प्राइवेट स्कूलों को छूट
  • फीस की जानकारी अपलोड करना जरूरी नहीं
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MP Private School Fees Rules: मध्यप्रदेश के 16 हजार प्राइवेट स्कूलों को स्कूल शिक्षा विभाग ने फीस नियमों में छूट दी है। जिन प्राइवेट स्कूलों की वार्षिक फीस 25 हजार रुपये से कम है उन्हें पोर्टल पर फीस संबंधी जानकारी अपलोड करना जरूरी नहीं है। स्कूल शिक्षा विभाग के इस आदेश से प्रदेश के 16 हजार प्राइवेट स्कूलों को राहत मिली है।

15 मई तक बढ़ाई तारीख

मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि जो प्राइवेट स्कूल 25 हजार रुपये से ज्यादा वार्षिक फीस वसूल कर रहे हैं, उन्हें पोर्टल पर फीस संबंधी जानकारी अपलोड करना अनिवार्य है। इसके लिए 15 मई तक तारीख बढ़ा दी है। ये भी कहा गया है कि बिना अनुमति और उचित कारण के स्कूल फीस में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।

MP में 16 हजार प्राइवेट स्कूलों की फीस 25 हजार से कम

mp School fees

मध्यप्रदेश में 34 हजार 652 प्राइवेट स्कूल हैं। इसमें से 16 हजार प्राइवेट स्कूल ऐसे हैं जिनकी फीस 25 हजार रुपये या उससे कम है। मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2020 के तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए निर्धारित फीस संरचना (कक्षा एवं संवर्गवार) की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। ये अधिनियम 31 जनवरी 2025 से प्रभावी है। शुरू में इसकी आखिरी तारीख 31 मार्च थी जिसे बढ़ाकर 15 मई कर दिया गया है।

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पोर्टल में तकनीकी समस्या

लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश में बताया गया है कि कई स्कूलों ने पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने में तकनीकी समस्याओं की जानकारी दी है। इसे देखते हुए डेटा अपलोड करने की समय सीमा 15 मई तक बढ़ा दी गई है।

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अनुमति के बिना 10 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है फीस

निजी स्कूल अधिनियम में ये प्रावधान है कि स्कूल 10 प्रतिशत तक सालाना फीस बढ़ोतरी बिना अनुमति के कर सकते हैं। इससे ज्यादा फीस बढ़ाने के लिए संबंधित जिला समिति की अनुमति लेना जरूरी होगा। ये प्रावधान इसलिए किया गया है कि पेरेंट्स पर अनावश्यक वित्तीय बोझ न पड़े।

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ये स्कूल अधिनियम के दायरे से बाहर

जिन स्कूलों की वार्षिक फीस 25 हजार या इससे कम है वो इस अधिनियम के दायरे से बाहर रहेंगे। इसके अलावा फीस नियमन और संबंधित विषयों के लिए जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर समिति बनाई गई है जो ऐसे मामलों पर नजर रखेगी।

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