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MP Police Officer Vivek Singh: कानूनी लड़ाई जीते पुलिस अधिकारी विवेक सिंह, अब मिलेगा राष्ट्रपति पदक, जानें पूरा मामला

MP Police Officer Vivek Singh President Medal: 2003 में दो डकैतों का एनकाउंटर करने वाले एमपी के पुलिस अफसर विवेक सिंह चौहान को 22 साल बाद राष्ट्रपति पुलिस पदक मिलने का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।

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BP Shrivastava
MP Police Officer Vivek Singh

MP Police Officer Vivek Singh

MP Police Officer Vivek Singh President Medal: राष्ट्रपति का वीरता पुरस्कार पाने के लिए मध्यप्रदेश के पुलिस अधिकारी विवेक सिंह चौहान आखिरकार लम्बी कानूनी लड़ाई जीत ली है। अब उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक मिलने की बाधाएं दूर हो गई हैं। शुक्रवार, 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मेरिट के आधार पर विवेक सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया।

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विवेक सिंह ने साल 2003 में दो खूंखार डकैतों का एनकाउंटर किया था। अब विवेक सिंह चौहान को 22 साल बाद राष्ट्रपति पुलिस पदक मिलने का रास्ता साफ हुआ। शुक्रवार, 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय किया।

हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी जीते केस

विवेक सिंह वर्तमान में इंदौर में एसीपी हैं। उनके केस सुप्रीम कोर्ट में पैरवी वरिष्ठ वकील मृगेंद्र सिंह, जयदीप कौरव और शांभवी श्रीवास्तव ने की। इससे पहले विवेक सिंह हाईकोर्ट की डबल बेंच में भी केस जीत चुके थे।

ग्वालियर में किया था दो डकैतों का एनकाउंटर

मामला 24 जून 2003 का है। ग्वालियर जिले के घाटीगांव थाना क्षेत्र के डांडाखिड़क जंगल में डकैतों से मुठभेड़ हुई थी। तब विवेक सिंह वहां एसआई थे। उन्होंने अदम्य साहस दिखाते हुए डकैतों को घेरकर मुठभेड़ की और अपने साथी होमगार्ड जवान सीताराम साहू के साथ दो डकैतों (रामेश्वर और शिवनारायण पाठक) को मार गिराया था। इस एनकाउंटर में विवेक सिंह खुद भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस बहादुरी पर राज्य सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति पुलिस वीरता पदक दिए जाने की अनुशंसा की थी।

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इसलिए नहीं मान रही थी केंद्र सरकार

राज्य सरकार की सिफारिश के बावजूद केंद्र ने फैसला नहीं लिया। वजह बताई गई कि प्रस्ताव समयसीमा में नहीं मिला। इसको लेकर विवेक सिंह ने मप्र हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को विवेक सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसे केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एवी अंजरिया की बेंच ने केंद्र की अपील खारिज करते हुए विवेक सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया।

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