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MP Pensioners Case
Madhy Pradesh Pensioners Case: मध्यप्रदेश के 3 लाख से अधिक पेंशनर्स का 4 हजार करोड़ रुपए का एरियर अटका हुआ है। इस बीच राज्य सरकार की चुनौती वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने लार्जर बेंच को ट्रांसफर कर दिया है। दरअसल, राज्य सरकार आर्थिक भार घटाने के फिराक में है। ऐसे में एरियर भुगतान फिर एक बार अटक गया है। अब पेंशनर्स को लार्जर बेंच के फैसले का इंतजार है।
दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 1 जनवरी 2006 से पहले रिटायर हुए लगभग 3 लाख पेंशनर्स के 32 महीने के एरियर के भुगतान के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसे डबल बेंच ने भी बरकरार रखा। हालांकि, राज्य सरकार ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया। इस मामले में सरकार पर करीब 4000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तिय भार पड़ रहा है। जिसे कम करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट से अब यह केस लार्जर बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ और मणिपुर से जुड़ा मामला
छत्तीसगढ़ की स्थिति: छत्तीसगढ़ में भी पेंशनर्स के एरियर भुगतान को लेकर ऐसी ही स्थिति है। वहां भी हाईकोर्ट के फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
मणिपुर का बेंचमार्क फैसला: दरअसल, मणिपुर सरकार के खिलाफ पेंशनर्स के हक में सुप्रीम कोर्ट ने एक बेंचमार्क फैसला दिया था। इस फैसले में कहा गया था कि 1 जनवरी 2006 से पहले और बाद में रिटायर हुए पेंशनर्स के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता। इस फैसले के कारण सभी पेंशनर्स को 32 महीने का एरियर देना पड़ा था।
मामले का ट्रांसफर: वर्तमान में मणिपुर सरकार भी इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में है। इसी वजह से मध्यप्रदेश के मामले को भी मणिपुर के मसले के साथ सुनवाई के लिए लार्जर बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया है। जब तक लार्जर बेंच का फैसला नहीं आ जाता, पेंशनर्स के एरियर भुगतान का मामला अटका रहेगा।
80 वर्ष पर अतिरिक्त पेंशन का मामला
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने 79 साल की उम्र पूरी कर 80वें साल में प्रवेश करते ही पेंशनर्स को 20 प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन देने का फैसला दिया है।
सरकार का रुख: सरकार ने जिस विशेष प्रकरण में यह फैसला आया था, उसमें तो भुगतान कर दिया है।
नए आदेश: हालांकि, सरकार ने अब यह आदेश जारी किए हैं कि इस एक फैसले को आधार न माना जाए। अतिरिक्त पेंशन का लाभ तभी दिया जाए जब पेंशनर की आयु 80 वर्ष पूरी हो जाए, न कि 79 वर्ष पूरे होने पर 80वें साल में प्रवेश करने पर।
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