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MP pension eKYC: मध्यप्रदेश के पेंशनर्स ध्यान दें... इस डेट तक ये जरूरी काम नहीं किया तो बंद हो सकती है पेंशन

MP pension eKYC Mandatory: एमपी में 31 अगस्त तक eKYC नहीं कराने पर 3.5 लाख पेंशनधारियों की पेंशन रोक दी जाएगी। फेस, फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन से सत्यापन होगा।

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Vikram Jain
MP pension eKYC: मध्यप्रदेश के पेंशनर्स ध्यान दें... इस डेट तक ये जरूरी काम नहीं किया तो बंद हो सकती है पेंशन

MP pension eKYC Mandatory: मध्य प्रदेश के पेंशनर्स के लिए बेहद जरूरी खबर है... मध्यप्रदेश सरकार ने पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों के लिए ईकेवाईसी (eKYC) प्रक्रिया अनिवार्य कर दी है। योजना के पेंशनधारियों की पहचान और पात्रता सत्यापन के लिए ईकेवाईसी करना जरूरी किया गया है। यदि कोई पेंशनधारी 31 अगस्त 2025 तक यह सत्यापन पूरा नहीं करता, तो उसकी पेंशन रोक दी जाएगी।

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ईकेवाईसी का यह फैसला सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने लिया है, जिसका उद्देश्य केवल योग्य और जीवित लाभार्थियों को ही पेंशन का लाभ देना है। विभाग ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों, पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और नगर निगम आयुक्तों को निर्देश जारी कर दिए हैं, ताकि eKYC प्रक्रिया समय पर और तरीके से पूरी कराई जा सके। इस कदम के जरिए सरकार अपात्र और फर्जी लाभार्थियों की पहचान कर सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकना चाहती है।

3.5 लाख पेंशनधारियों का eKYC नहीं!

सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि पूर्व में कई बार ईकेवाईसी अभियान चलाए जाने के बावजूद लगभग 3.5 लाख पेंशनधारियों ने अब तक ईकेवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं की है। सरकार का उद्देश्य है कि पेंशन योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक और पात्र लाभार्थियों को ही मिले, जबकि अपात्र या फर्जी नाम सूची से बाहर किए जा सकें।

ईकेवाईसी के माध्यम से पेंशनधारकों का डिजिटल सत्यापन आधारित डाटा तैयार किया जाएगा। 31 अगस्त 2025 की निर्धारित समयसीमा के बाद सिर्फ उन्हीं पेंशनधारकों को भुगतान किया जाएगा, जिन्होंने eKYC पूरा कर लिया होगा। यह कदम पेंशन वितरण को पारदर्शी, त्रुटिरहित और डिजिटल रूप से सुदृढ़ बनाने की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।

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eKYC क्या है और क्यों जरूरी है?

ईकेवाईसी (Electronic Know Your Customer) एक डिजिटल पहचान सत्यापन प्रक्रिया है, जिसके जरिए पेंशनधारियों की पहचान को सटीक और सुरक्षित तरीके से प्रमाणित किया जाता है। यह प्रक्रिया तीन प्रमुख बायोमेट्रिक तरीकों से पूरी की जाती है...

  • फेस ऑथेंटिकेशन (चेहरे की पहचान) (Face Authentication)
  • फिंगरप्रिंट स्कैन (अंगुलियों के निशान) (Fingerprint Scan)
  • आईरिस स्कैन (आंख की पुतली का स्कैन) (Iris Scan)

इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल जीवित, पात्र और वास्तविक लाभार्थियों को ही पेंशन का लाभ मिले। इससे मृत, पलायन कर चुके या अपात्र लोगों को पेंशन मिलने की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। eKYC न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाता है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता और दक्षता में भी सुधार करता है।

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किन-किन पेंशन योजनाओं पर पड़ेगा असर?

eKYC अनिवार्यता का सीधा असर सरकार की कई प्रमुख पेंशन योजनाओं पर पड़ेगा। इनमें शामिल हैं...

  • समग्र सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना
  • मुख्यमंत्री कन्या अभिभावक पेंशन योजना

इन सभी योजनाओं के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को प्रति माह 600 रुपए की राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। यदि निर्धारित समयसीमा तक ईकेवाईसी नहीं कराया गया, तो इन योजनाओं का भुगतान अस्थायी रूप से रोका जा सकता है।

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eKYC कैसे कराएं? – जानिए प्रक्रिया

अगर आप पेंशनधारी हैं, तो समय पर eKYC करवाना बेहद जरूरी है। नीचे दिए गए सरल स्टेप्स को फॉलो करें:

  • निकटतम पंचायत भवन, नगर परिषद या नगर निगम कार्यालय जाएं।
  • अपने साथ आधार कार्ड और समग्र आईडी अवश्य लेकर जाएं।
  • बायोमेट्रिक पहचान प्रक्रिया कराएं: फेस ऑथेंटिकेशन, फिंगरप्रिंट स्कैन, आईरिस स्कैन
  • सभी जानकारी अपडेट होने के बाद पोर्टल पर डाटा वेरीफाई कराएं और प्रक्रिया की पुष्टि लें।

महत्वपूर्ण: यह प्रक्रिया 31 अगस्त 2025 तक पूरी कर लें, अन्यथा आपकी पेंशन रोकी जा सकती है।

सरकार को कितने पैसों की बचत होगी ?

मध्यप्रदेश सरकार के अनुसार, जो पेंशनधारी समयसीमा तक eKYC नहीं कराएंगे, उनकी पेंशन रोकने से 20 से 25 करोड़ रुपये तक की वार्षिक बचत संभव है। यह राशि राज्य की अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं में उपयोग की जा सकेगी। बचाई गई राशि को अन्य सामाजिक विकास योजनाओं में उपयोग में लाया जा सकता है।

पिछले वर्षों में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण कुछ पेंशन गलती से बंद हो गई थीं। इसका मुख्य कारण NIC द्वारा बनाए गए पोर्टल में आई खामियाँ थीं। अब इन त्रुटियों को दूर किया जा चुका है, और जिम्मेदारी सीधे स्थानीय निकायों को सौंपी गई है ताकि ईकेवाईसी प्रक्रिया सही समय पर और सही तरीके से पूरी हो सके।

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