MP Nursing Scam: मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने सरकार को नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार अनीता चांद पर लगे आरोपों की जांच करके कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई प्रिंसिपल बेंच में जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष पीठ ने की।
रजिस्ट्रार पर आरोपों की जांच कर, लो एक्शन
याचिकाकर्ता की ओर से पेश किए गए आवेदन जिसमें नर्सिंग काउंसिल की वर्तमान रजिस्ट्रार अनीता चांद के विरुद्ध आरोप लगाए गए थे कि उनके द्वारा अनसूटेबल नर्सिंग कॉलेज का निरीक्षण कर सूटेबल दर्शाकर मान्यता प्रदान की गई थी। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हुए उन्हें रजिस्ट्रार बना दिया गया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच कर तत्काल कार्रवाई की जाए।
ऐसे पुराने कॉलेज जिनके पास नहीं हैं खुद के अस्पताल, उन्हें राहत
कई नर्सिंग कॉलेजों की ओर से याचिका पेश कर आग्रह किया गया था कि वे 2013 के पहले से संचालित कॉलेज हैं जिन्हें सरकारी अस्पताल में मिली संबद्धता के आधार पर सदैव मान्यता प्रदान की जाती थी किंतु इस वर्ष अचानक नर्सिंग काउंसिल द्वारा उन्हें मान्यता हेतु आवेदन करने से रोक दिया गया। स्वयं के 100 बिस्तर का अस्पताल न होने के कारण उन्हें मान्यता से वंचित होना पड़ रहा है।
इस पर हाईकोर्ट में सरकार ने जवाब पेश करके कहा कि नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम 2018 के प्रावधानों के अनुसार 100 बिस्तर के स्वयं के अस्पताल और संबद्ध अस्पताल के बगैर किसी संस्थान को मान्यता नहीं दी जा सकती। संस्थाओं के इतने सालों के संचालन को देखते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें इस सत्र में पूर्ववत व्यवस्था के आधार पर सरकारी अस्पताल की संबद्धता के आधार पर मान्यता प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिए हैं।
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मामला लंबित रहने तक ना किया जाए कोई बदलाव
सुनवाई में हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से महाधिवक्ता को कहा है कि PIL लंबित रहने तक सरकार के द्वारा नियमों में व्यवस्था में किए गए किसी भी प्रकार के बदलाव नहीं किए जाएं। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया है कि नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता का नियंत्रण जो कि सरकार ने अधिनियम में संशोधन करते हुए क्षेत्रीय विश्वविद्यालय को सौंप दी थी, वो सत्र 2024-25 में लागू नहीं हो सकेगा।
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