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MP News: पहाड़ों के बीच गिरता प्राचीन कुंड झरना, यहीं बना है केदारेश्वर महादेव मंदिर, जानिए इसके बारे में

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Agnesh Parashar
MP News: पहाड़ों के बीच गिरता प्राचीन कुंड झरना, यहीं बना है केदारेश्वर महादेव मंदिर, जानिए इसके बारे में

रतलाम। जिले से 27 किलोमीटर दूर केदारेश्वर नाम से भगवान शिव का सुंदर स्थान है। भगवान शिव का यह मंदिर अद्भुत और चमत्कारी माना जाता है। सावन माह में यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है। केदारेश्वर भगवान मंदिर में पहाड़ो के बीच प्राचीन कुंड में गिरता झरना भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

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इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में शिवलिंग के सामने मां पार्वती की प्रतिमा भी है। इसके अलावा दायें बायें गणेश और हनुमान जी की प्रतिमा भी पहाड़ों के बीच तराशी गयी है।

पहाड़ो के बीच स्थित है केदारेश्वर मंदिर

केदारेश्वर भगवान का मंदिर रतलाम पहाड़ो के बीच प्राचीन कुंड में गिरते झरने के पास विराजित है। इस मंदिर में भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग पहाड़ों के बीच कई फीट नीचे गहराई में एक प्राचीन कुंड के पास है। पहले यहां नीचे जाने का रास्ता कच्चा था। लेकिन अब श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के बाद अब यहां पहाड़ो के बीच नीचे वाहनों के आने जाने के लिए पक्का रास्ता बनाया गया है।

मंदिर के पास से गिरता है झरना

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लेकिन नीचे जाने के बाद आगे सीढ़ियों के रास्ते पैदल नीचे कुंड और भगवान शिव के दर्शन के लिए जाना पड़ता है। नीचे जाते ही चारो और ऊंचे पहाड़ों पर हरियाली के बीच घिरा यह स्थान श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है और इस हरियाली के बीच ऊपर पहाड़ से पूरे सावन माह में प्राचीन कुंड में झरना गिरता रहता है, जो श्रद्धालुओ को आकर्षित भी करता है।

सावन के माह में बड़ी संख्या में आते है भक्त

प्राचीन कुंड के पास पहाड़ों के अंदर बने मंदिर में विराजित है भगवान केदारेश्वर शिवलिंग। श्रद्धालु इस प्राचीन कुंड के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते है और भगवान शिव का आशीर्वाद लेते है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में शिवलिंग के सामने मां पार्वती की प्रतिमा भी है। इसके अलावा दायें बायें गणेश व हनुमान जी की प्रतिमा भी पहाड़ों के बीच तराशी गयी है। शिवलिंग के सामने मां पार्वती की प्रतिमा के साथ गणेश व हनुमान के एक साथ दर्शन भी बड़े दुर्लभ है।

मंदिर का इतिहास

इस स्थान की कहानी भी रोचक है। यह स्थान कितना पुराना है इसका कोई इतिहास तो मौजूद नही है, क्योंकि यहां के पीढ़ियों से पूजा करते आ रहे पुजारी परिवार बताते हैं कि 350 वर्ष पूर्व सैलाना के राजा दुले सिंह घूमते हुए यहां पहुंचे थे और यह शिवलिंग उन्हें दिखा, जिसके बाद इस पहाड़ के अंदर साफ-सफाई और खुदाई करवाकर अन्य प्राचीन प्रतिमाओं को देख यहां मंदिर भवन बनवाया, ताकि अन्य श्रद्धालु भी यहां आ सके और भगवान शिव पूजा की जाए।

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इतना ही नहीं इस जलाधारी शिवलिंग के अंतिम छोर पर दुले सिंह महाराज ने अपनी प्रतिमा बनवाई, जिससे भगवान शिव पर चढ़ा हुआ जल जलाधारी से होता हुआ उनके ऊपर गिरे और हमेशा उनको भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। आज भी इस जलाधारी के अंतिम छोर पर एक हाथ जोड़कर प्रतिमा है, जिसे यहां के पुश्तैनी पुजारी परिवार सैलाना के महाराज दुले सिंह की प्रतिमा बताते हैं।

आस-पास के जिलों से भी आते हैं लोग

यहां वैसे तो अब पूरे वर्ष श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन माह में यहां श्रधालुओ का तांता लगता हैं। यहां न सिर्फ रतलाम जिले से बल्कि झाबुआ, मंदसौर, नीमच, उज्जैन सहित आस पास के कई जिलों के शिवभक्तों को जैसे-जैसे जानकारी लगती है। वह यहां एक बार आकर दर्शन जरूर करते हैं और भगवान शिव के इस पहाड़ों के बीच पवित्र स्थान को देख भाव विभोर होते हैं।

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