MP News: प्रदेश के करीब दो दर्जन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार सिर्फ राज्यपाल को है। अब राज्यपाल अपने द्वारा नियुक्त कुलपतियों का प्रोटोकॉल बढ़ाने जा रहे हैं। जिसेक तहत कुलपतियों को अब राज्यमंत्री का दर्जा मिल सकेगा। आठ दिसंबर को होने वाली समन्वय समिति की बैठक में राज्यपाल मंगुभाई पटेल अंतिम स्वीकृति लगाएंगे।
बता दें कि पूरे प्रदेश में करीब दो दर्जन पारंपरिक सहित कृषि, मेडिकल, इंजीनियरिंग, अन्य स्पेशल एक्ट से संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के प्रोटोकाल में बढ़ोतरी होने जा रही है। आठ दिसंबर को राजभवन में होने वाली समन्वय समिति की बैठक में कुलपतियों के प्रोटोकाल को राज्यमंत्री के बराबर कर दिया जाएगा। इसकी स्वीकृति स्थायी समिति की बैठक में दी जा चुकी है। अब समन्वय समिति की बैठक में राज्यपाल मंगुभाई पटेल की मुहर लगना शेष है।
राज्यपालों से प्रोटोकाल को बढ़ाने की मांग पहले भी होती रही है
हालांकि आपको बताते चले कि कुलपति करीब एक दशक से अपने प्रोटोकाल को बढ़ाने की मांग लगातार राज्यपालों से करते आए हैं। इस संबंध में मध्यप्रदेश की राज्यपाल रही आनंदी बेन पटेल तक कुलपतियों से चर्चा कर चुकी हैं। उनके कार्यकाल के दौरान मामला समन्वय समिति तक नहीं पहुंच सका था। वहीं अब मंगू भाई पटेल के नेतृत्व मे ये बड़ा फैसला आने की उम्मीद है।
निजी विवि पर निर्णय नहीं
प्रदेश में करीब तीन दर्जन निजी विवि संचालित होते हैं। जिसमें कुलपति की नियुक्तियां उनके चांसलर द्वारा ही होती है। यहां नियुक्ति कुलपतियों के प्रोटोकाल पर कोई चर्चा नहीं होगी। उन्हें राज्यमंत्री के बराबर का प्रोटोकाल नहीं मिल सकेगा।
21वे नंबर पर है वर्तमान प्रोटोकाल
वर्तमान में राज्य सरकार में कुलपतियों का प्रोटोकाल 21 वें नंबर पर दर्ज है। आठ दिसंबर को राज्यपाल पटेल की स्वीकृति लगने के बाद कुलपतियों का प्रोटोकाल सीधे 14 नंबर की छलांग लगाकर सातवें नंबर पर पहुंच जाएगा। इससे कुलपतियों को खासी सुविधाओं की लाभ मिल सकेगा। यहां तक वे विश्वविद्यालय के विस्तार के अलावा विद्यार्थियों के भविष्य के लिये काफी व्यवस्थाएं कर पाएंगे।