आदित्य शर्मा की रिपोर्ट।
शाजापुर। मुमताज की याद में शाहजहां MP News ने ताजमहल बनवाया ये तो सभी को पता है। लेकिन एमपी में भी एक शख्स ऐसा है जिसने पत्नी के देहांत के बाद बेटों के साथ मिलकर अपनी पत्नी का मंदिर बनवाया है। हम बात कर रहे हैं शाजापुर जिले की। जहां पर यह मंदिर बनवाया गया है।
मृत्यु के बाद तीसरे पर दिया था प्रतिमा का ऑर्डर
बेटे लक्की के अनुसार मां के चले जाने से पूरा परिवार टूट गया था। सभी ने तय करके मां की प्रतिमा बनवाना तय किया गया। मां के निधन के बाद तीसरे के कार्यक्रम के दिन ही 29 अप्रैल को उनकी प्रतिमा बनने दे दी गई। राजस्थान के कलाकारों को प्रतिमा बनवाने का ऑर्डर दिया गया। करीब डेढ़ महीने बाद प्रतिमा तैयार प्रतिमा को घर लाया गया। घर के बाहर मुख्य दरवाजे के समीप प्रतिमा को स्थापित कर दूसरे दिन विधिवत उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की गई।
रोज बदली जाती है साड़ी
एमपी के शाजापुर जिले से अनूठा मामला MP News सामने आया है जहां एक पति ने पत्नी की मौत के बाद घर के बाहर ही उसका मंदिर बनवा दिया जहां तीन फीट की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित की उस प्रतिमा को रोज साड़ी पहनाई जाती है। ग्राम सांपखेड़ा निवासी बंजारा समाज के नारायणसिंह राठौड़ अपनी पत्नी और बेटों के रहते थे। सब कुछ सामान्य चल रहा था। उनकी पत्नी गीताबाई धार्मिक कार्यक्रमों में ज्यादा सम्मिलित रहती थी। धार्मिक कार्यों में उनका अधिक मन लगता था।
बेटे अपनी मां को देवी तुल्य समझते थे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। पैसे खर्च होने के बाद भी स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो पा रहा था। कोरोना के कारण ब्लड प्रेशर कंट्रोल न हो पाने से उनकी 27 अप्रैल 2021 को उनका निधन हो गया। हमेशा मां के आंचल में पले—बढ़े बेटे को उनकी याद सताती रहती थी। तब पिता नारायणसिंह के साथ बातचीत कर दोनों ने मिलकर गीताबाई की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया।
रोज होते हैं मां के दर्शन
लक्की के अनुसार प्रतिदिन सुबह उठते ही मां की प्रतिमा के दर्शन करते हैं। उनका कहना है कि अब मां सिर्फ बोलती नहीं है परंतु हर समय परिवार के साथ उनके होने का अहसास होता है। बेरछा रोड स्थित ग्राम सांपखेड़ा में मुख्य मार्ग से ही गीताबाई की प्रतिमा को देखा जा सकता है। प्रतिमा को परिजन प्रतिदिन साड़ी बदलते हैं।