MP News: एमपी सरकार में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट पत्रकारों के सवाल से डरकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में छोड़कर चले गए। दरअसल मंत्री सिलावट से जब माफिया संजय जैसवानी को लेकर सवाल किया गया तो वे जवाब दिए बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर चले गए। बाद में जिस पत्रकार ने उनसे सवाल किया था उसने मंत्री पर धमकी देने के भी आरोप लगाये हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ भागे मंत्री
सोमवार को इंदौर स्थित बीजेपी ऑफिस में मंत्री तुलसीराम सिलावट प्रेस को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान एक पत्रकार ने माफिया संजय जैसवानी को लेकर मंत्री से सीधा सवाल पूछ लिया। पत्रकार ने पूछा कि माफिया संजय जैसवानी को बचाने के आरोप आप पर क्यों लग रहे हैं? जिसपर मंत्री तुलसी सिलावट तिलमिलाए और दस सेकंड का जवाब देकर प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर उठ गए। दरअसल संजय जैसवानी को बचाने के आरोप वाले सवाल पर मंत्री सिलावट ने कहा कि “न्याय से बड़ा कोई नहीं है, जो दोषी है उसे सजा जरूर मिलेगी” लेकिन जब सवाल पत्रकार ने क्रॉस किया और कहा संजय जैसवानी आपके नाम का दुरुपयोग कर रहा है और क्या आप इस मामले की शिकायत पुलिस से करेंगे, तो मंत्री चुप हो गए और प्रेस कॉन्फ्रेंस बीच में छोड़कर चले गए।
कैबिन में पत्रकार को धमकाया
प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर मंत्री तुलसी सिलावट नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के केबिन में औपचारिक चर्चा के लिए बैठ गए। जहां सवाल पूछने वाले पत्रकार हेमंत शर्मा से मंत्री सिलावट ने कहा तुम अभी मुझे अच्छे से जानते नहीं हो। जब रिपोर्टर ने कहा मैं आपको अच्छे से जानता हूं तो मंत्री ने कहा मैं बोल रहा हूं तुम मुझे बिल्कुल नहीं जानते हो। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जब जैसवानी के साथ कैबिनेट मंत्री के संबंधों को उजागर करने वाला सवाल दागा गया तो मंत्रीजी बौखला गए। घटना के बाद वहां अन्य पत्रकारों में भी आक्रोश में हैं।
माफिया से कनेक्शन के क्यों लग रहे आरोप
सूत्रों के मुताबिक कन्फेक्शनरी माफिया संजय जैसवानी को कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट का संरक्षण प्राप्त है। यह आरोप लगाया गया है कि मंत्री के करीबी समर्थक राजेश पांडे और पप्पू शर्मा पुलिस थानों में जैसवानी के मामलों की “सेटिंग” कर रहे हैं। इसके अलावा, इन दोनों समर्थकों पर एक विदेशी नागरिक को बंधक बनाने में भी भूमिका निभाने का आरोप है। राजेश पांडे पर पहले भी हत्या के प्रयास और अन्य गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हो चुके हैं। हालांकि, पुलिस ने आवेदन लेने के बावजूद मामला दर्ज नहीं किया। इन आरोपों के कारण मंत्री तुलसी सिलावट विवादों में घिर गए हैं।