MP News: मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के बाद 3 दिसंबर को नतीजे आने हैं। सरकार किसी भी पार्टी की आए उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती 13 हजार करोड़ के कर्ज की होगी। हालांकि इस पर फैसला कैबिनेट में लेने के लिए सरकार पर निर्भर करेगा।
जानते हैं कि इस 13 हजार करोड़ के लोन की जिम्मेदारी के पीछे का कारण आखिर क्या है।
वित्त विभाग ने रखा विकल्प
आपको बता दें दरअसल एमपी में नई सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट के लिए ये शर्त होगी कि उसे 13 हजार करोड़ का कर्ज लेना होगा। अकाउंटेंट जनरल केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद वित्त विभाग ने ऊर्जा विभाग को ये विकल्प बताए हैं।
लेकिन इस पर फैसला नई सरकार का होगा। आपको बता दें केंद्र ने इस मामले में ऊर्जा विभाग के सामने ये विकल्प इसलिए रखा है क्योंकि ये लोन सरकार के ऊर्जा विभाग से जुड़ी कंपनियों पर हैं। जो ऊर्जा से जुड़ी उदय योजना के लिए लिया गया है। हालांकि इस विकल्प ने आने वाली नई सरकार के सामने टेंशन बढ़ा दी है।
2022 से पहले करना था टेकओवर
आपको बात दें एमपी सरकार का ये लोन ऊर्जा से जुड़ी उदय योजना का है। इसे 2022 से पहले ही टेकओवर करना था। पर प्रदेश सरकार और ऊर्जा विभाग इतना समय बीतने के बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाए।
अब केंद्र सरकार ने ली आपत्ति
आपको बता दें जब प्रदेश सरकार और ऊर्जा विभाग इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाए तो अकाउंटेंट जनरल (एजी) के बाद केंद्र सरकार को इस पर बीच में आना पड़ा। जिसके बाद वित्त विभाग ने ऊर्जा विभाग के सामने ये विकल्प रखा है।
आखिर क्या है उदय योजना
दरअसल केंद्र सरकार द्वारा 6 साल पहले 5 नवंबर 2015 को कैबिनेट से इस स्कीम को मंजूरी दी थी।
इस योजना में बिजली वितरण में सुधार, उर्जा उत्पादन की लागत को कम करने, एनर्जी एफिशिएंसी व प्रोटेक्शन, सोलर के साथ नवीकरणीय ऊर्जा का विकास और वित्तीय स्थिति को ठीक करने जैसे प्रयास इस उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) स्कीम में होने थे।
इस योजना के तहत मध्यप्रदेश में काम शुरू भी हो गया है। बस इस मामले में लोन का सेटलमेंट होना था, जो नहीं अभी तक नहीं हो पाया है। इतने लंबे समय के बाद अब जाकर इस पर वित्त विभाग की आंखें खुली हैं। लेकिन अब इसे पूरी तरह से कैबिनेट के जरिए ऊर्जा विभाग पर छोड़ दिया गया है।
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