उज्जैन। MP News एचआईवी एड्स से पीड़ित चार महिलाओं का पूरी सुरक्षा और पुख्ता इंतजाम, सतर्कता के बीच सफल ऑपरेशन किया गया।
यह डॉक्टरों की बड़ी सफलता मानी जा रही है। बता दें ये सबसे ज्यादा रिस्की नसबंदी ऑपरेशन (MP News) एमपी के उज्जैन के जिला अस्पताल के अंतर्गत संचालित चरक अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में किए गए हैं।
बता दें कि चरक अस्पताल में पांच में से चार ऐसी महिलाओं की नसबंदी की गई है जो महिलाएं एचआईवी एड्स से पीड़ित हैं।
चरक हॉस्पिटल के डॉक्टर्स और स्टाफ ने अस्पताल की ओटी ऑपरेशन थियेटर में एक दिन में दो और दूसरे दिन दो, इस तरह से कुल चार महिलाओं की नसबंदी की है।
इस दौरान नसबंदी करने वाला स्टाफ संक्रमित न हो और सुरक्षित रहें, इसके लिए सुरक्षा के सभी आवश्यक उपाय व इंतजाम किए गए।
एक महिला गर्भवती होने से नहीं की नसबंदी
(MP News) एमपी के उज्जैन के स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में एचआईवी एड्स से पीड़ित पांच महिलाएं चिन्हित हैं। जिनमें से एक महिला गर्भवती हैं।
इसके चलते उसकी नसबंदी नहीं की जा सकी है। एचआईवी संक्रमित महिलाओं की नसबंदी करने से मना करने की बजाय (MP News) एमपी के उज्जैन के अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ ने इसे चुनौती के रूप में लिया और साहस व तकनीक का उपयोग करके नसबंदी ऑपरेशन करके दिखाया। जिसकी सराहना भी स्वास्थ्य विभाग में की जा रही है।
दो दिन में चार नसबंदी
बता दें कि (MP News) एमपी के उज्जैन स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में एचआईवी संक्रमित पांच महिलाएं रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से चार महिलाओं की नसबंदी की गई।
जिसमें दूरबीन पद्धति का उपयोग किया गया। पहले दिन दो महिलाओं की तथा दूसरे दिन दूसरी दो महिलाओं की नसबंदी की गई।
बता दें स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मप्र शासन के मार्गदर्शन में जनसंख्या नियंत्रण और एचआईवी एड्स के संक्रमण से जन्म लेने वाले बच्चे को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
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अलग ओटी तैयार की
चरक अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार ओटी की पूरी टीम ने पूर्ण रूप से सावधानी बरती है। इसके बाद एक-एक करके चार महिलाओं की नसबंदी की गई।
ऑपरेशन से पूर्व ओटी का फ्यूमीगेशन किया और उपकरणों का स्टेरिलाइज किया गया। इसके लिए चरक हॉस्पिटल में अलग से ओटी तैयार की गई है। ओटी के डॉक्टरों ने बताया कि यह बहुत रिस्की तो था लेकिन मां से बच्चों में एड्स का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए नसबंदी ऑपरेशन जरूरी था। जिसमें सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया।
संक्रमण से बचने ऐसे की तैयारी
एड्स से पीड़ित महिलाओं का नसंबदी ऑपरेशन किसी बड़ी रिस्क से कम नहीं है। डॉक्टरों की टीम ने भी इसे एक चैलेंज के रूप में स्वीकार किया।
एड्स से पीड़ित महिलाओं के ऑपरेशन से पहले डॉक्टर और स्टाफ नर्स आदि ने पीपी किट, डबल हैंड ग्लोब्ज समेत डिस्पोजल सामग्री का उपयोग किया।
ऑपरेशन के ओटी में उपयोग की गई डिस्पोजल सामग्री को पूरी तरह से नष्ट करवा दिया गया ताकि संक्रमण का खतरा नहीं रहे। उपकरण आदि का भी एक ही बार उपयोग किया, जिन्हें स्टेरिलाइज करने के लिए रखा गया तथा ऑपरेशन थियेटर को सोडियम हाइपो क्लोराइड से डिस इन्फेक्टिव किया गया।
(MP News) एमपी के उज्जैन के सिविल सर्जन जिला अस्पताल के अनुसार ऑपरेशन के बाद डिस्पोजल सामग्री को नष्ट करवा दिया गया ताकि संक्रमण का खतरा नहीं रहे।
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