MP Bhopal Railway Station Development News: भोपाल के यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। भोपाल रेलवे स्टेशन के सभी छह प्लेटफॉर्म मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाले कोच डिस्प्ले सिस्टम से लैस होने वाले हैं।
इसका सीधे तौर पर फायदा यात्रियों को होगा और उन्हें ट्रेनों की अपडेटेड व सटीक जानकारियां तत्काल मिल सकेंगी।
बता दें कि इस सुविधा में करीब 2.25 करोड़ रुपए की लागत लगेगी। सभी प्लेटफार्म पर 24 कोच वाले ट्रेन के हिसाब से डिस्प्ले लगाया जाएगा। जिसकी मदद से यात्री और भी आसानी से सारी जानकारियां को पढ़ सकेंगे।
इतने महीनों का लगेगा समय
इस सिस्टम को लगाने का कार्य शुरू हो गया है। जिससे पूरी तरह तैयार होने इंस्टॉल होने। इसे ट्रेल होने में करीब 6 महीने का समय लग सकता है। रेल मंडल के सिग्नल एवं टेलीकॉम डिपार्टमेंट द्वारा प्रस्ताव मंगवाए गए हैं। सटीक प्रस्ताव के मिलते ही काम शुरू कर दिया जायेगा।
ये सुविधा से लैस होगा भोपाल जंक्शन
सीसीटीवी कैमरों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी
मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाले कोच डिस्प्ले सिस्टम
स्टेशन पर साफ सफाई का भी पूरा ध्यान
यात्रियों के इन समस्याओं का होगा सावधान
वर्तमान में जो कोच डिस्प्ले भोपाल स्टेशन पर लगे हैं, उन पर कई बार संबंधित प्लेटफॉर्म से ट्रेन रवाना होने के बाद भी उसके आने की सूचना दिखाई देती रहती है। नए डिस्प्ले लगने के बाद यात्रियों की इस समस्या का समाधान हो सकेगा। वर्तमान में लगे डिस्प्ले वर्ष-2015 में लगाए गए थे, जो पुराने होने के कारण कई बार फैल हो जाते हैं।
वर्तमान में लगे कोच डिस्प्ले आउटडेटेड हो गए हैं। इस वजह से वे हैंग हो जाते हैं और जानकारी समय रहते अपडेट नहीं हो पाती। इस समस्या से निपटने के लिए नए डिस्प्ले लगाए जा रहे हैं।
डीआरएम कमर्शियल सौरभ कटारिया
परिसर में सीसीटीवी भी 92 से बढ़ाकर 145 किए जाएंगे
री-डेवलपमेंट वर्क के दौरान सीसीटीवी की संख्या 92 से बढ़ाकर 145 तक करने की प्लानिंग है। इस वजह से फिलहाल पहले चरण में कोच डिस्प्ले सिस्टम अपडेट किया जा रहा है।
यह होगा फायदा
ट्रेनों के कोच की जानकारी मिलने से यात्री ट्रेनों के आने के पूर्व ही संबंधित स्थानों पर जाकर खड़े हो सकते हैं। जब जानकारी नहीं मिलती है, तब ट्रेन प्लेटफॉमर् पर आने के बाद यात्रियों में भागादौड़ी मचती है। खासकर जिन यात्रियों के साथे बच्चे व सामान होता है, उन्हें बहुत परेशान होना पड़ता है।
ये डिस्प्ले दूर से दिखाई देते हैं, इसलिए ज्यादा भटकने की जरूरत नही होती है। पूर्व में लाल रंग से कोच संख्या व ट्रेन नंबर दिखाने वाले डिस्प्ले की दृश्यता क्षमता कम थी।