MP News: मध्य प्रदेश के गोदामों में रखा लाखों क्विंटल गेहूं, ज्वार और बाजरा सड़ कर बर्बाद हो गया है। स्थिति ये है कि इंसानों की तो दूर की बात है जानवर के खाने की भी क्वालिटी नहीं बची है। अब इस खराब अनाज को मुर्गे-मुर्गियों (पोल्ट्री उपयोग) को खिलाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
FCI ने लेने से किया इंकार
खाद्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020-21 से लेकर 2023-24 के बीच 4 साल में 16.34 लाख टन अनाज खराब होने की वजह से भारतीय खाद्य निगम (FCI) लेने से मना कर चुका है। बीते साल 4 मई 2023 को 6628.93 टन अनाज को खराब होने की वजह से बेचा गया था। इसके बाद 3 अगस्त 2023 को जारी टेंडर से भी 10986 टन अनाज बेचा गया था।
30 रुपए खर्च किए गेहूं को बेचेंगे 2 रुपए किलो
वहीं पोषण ट्रैकर के जून 2024 के आंकड़ों की मानें तो मध्य प्रदेश में 27% बच्चे कम वजन के मिले हैं, जो कि देश में सबसे ज्यादा है। इसके बावजूद यहां अनाज सड़ रहा है।
हाल ही में खाद्य विभाग ने खराब अनाज बेचने के लिए टेंडर जारी किया है। जिस अनाज पर समर्थन मूल्य पर खरीदी, परिवहन, भंडारण आदि मिलाकर 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खर्च हुए हैं, अब उसे 2 से 16 रुपए में बेचा जाएगा।
अनाज बर्बादी के मामले में ये जिला सबसे आगे
बीते चार में सबसे ज्यादा 9 लाख 84 हजार टन अनाज की बर्बादी भोपाल के साथ पूरे संभाग में हुई है। वहीं दूसरे नंबर पर जबलपुर है, जहां 3.74 लाख टन की बर्बादी हुई है। इसके अलावा उज्जैन में 1.21 लाख टन, इंदौर में 19,913 टन, सतना में 92,276 टन, सागर में 11,547 टन और ग्वालियर में 30,764 टन अनाज खराब हुआ है।
मामले में कोई अफसर दोषी नहीं, सिर्फ सहायक हुए सस्पेंड
मध्य प्रदेश (MP News) में बीते कुछ सालों में बड़ी मात्रा में अनाज खराब हुआ है। इसके बावजूद पिछले 2 साल में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ 25 गोदाम के सहायकों सस्पेंड किया गया है। इसके अलावा एक-दो क्वालिटी कंट्रोलरों से जवाब-तलब हुआ, लेकिन लेकिन जिम्मेदार अफसरों पर बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
भोपाल संभाग की ही बात करें तो आष्टा, बुधनी, नसरुल्लागंज, रेहटी, दिवटिया के कुछ गोदामों में जो अनाज रखा है, वह अब जानवरों के खाने लायक भी नहीं बचा। चावल भी बुरी तरह खराब हो गए हैं।
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