जबलपुर से अमित सोनी की रिपोर्ट।
जबलपुर। Jabalpur News: आपने यह कहावत सुनी होगी कि भूखे पेट न होय भजन गोपाला, ये ले तेरी कंठी, ये ले तेरी माला। यह कहावत उन लोगों ने बनाई है, जिन्हें भक्ति की शक्ति का जरा भी अंदाजा नहीं है। लेकिन इस कहावत को झूठा साबित कर रहे हैं, जबलपुर के संत दादा गुरु महाराज (Dada Guru Maharaj)।
जबलपुर के दादा गुरु महाराज
समर्थ भैया जी सरकार, जो दादा गुरु महाराज के नाम से विख्यात हैं, जबलपुर के एक ऐसे संत हैं जो पिछले 1021 दिनों से ऐसा उपवास कर रहे हैं, जिस पर यकीन करना मुश्किल है। यह उपवास न ही किसी फलाहार पर है और न ही किसी अन्य खाद्य-सामग्री पर, बल्कि सिर्फ जल यानी पानी पर है।
दादा गुरु महाराज पिछले 1021 दिनों से सिर्फ मां नर्मदा के जल पर जीवित हैं। उनकी इस तपस्या से डॉक्टरों के साथ आधुनिक विज्ञान भी हैरान है कि यह असंभव कार्य संभव कैसे हो सकता है। लेकिन यह सोलह आने सच है।
17 अक्टूबर, 2020 को त्याग दिया था अन्न
मां नर्मदा के साथ दादा गुरु महाराज का रिश्ता एक इंसान और पवित्र नदी के बीच का आध्यात्मिक और पावन रिश्ता है। कहते हैं, जब रिश्ता अटूट बन जाए तो चमत्कार होता है। कुछ ऐसा ही चमत्कार जबलपुर में हो रहा है।
दादा गुरु ने 17 अक्टूबर, 2020 से अन्न का त्याग कर जीवनदायिनी मां नर्मदा के बचाव और उत्थान का संकल्प उठाया था। और, तब से लेकर आज तक अनवरत महाव्रती दादा गुरु सिर्फ मां नर्मदा के जल का सेवन कर रहे हैं।
केवल नर्मदा का जल पीकर है जीवित
बता दें, पिछले 1021 दिन से अन्न का त्याग करने के बावजूद दादा गुरु की ऊर्जा किसी नव युवक से कम नहीं है। वे लगातार मां नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर रहे हैं। गांव-गांव शहर-शहर घूम कर मां नर्मदा की भक्ति के प्रति लोगों को जागृत कर रहे हैं।
दिन-ब-दिन दादा गुरु के साथ मां नर्मदा के भक्तों का जत्था बढ़ता ही जा रहा है। जल व्रत धारण करने के बाद भी दादा गुरु की ऊर्जा में कोई कमी नहीं आई है। वे आज भी दौड़ लगाते हैं।
विज्ञान भी हैरान और नतमस्तक
दादा गुरु की इस ऊर्जा के सामने विज्ञान भी नतमस्तक है। डॉक्टर लगातार दादा गुरु के सिर्फ पानी पीकर जिंदा रहने और उनकी ऊर्जा के राज को जानने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉ. आरएस शर्मा, जबलपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन एवं विशेषज्ञ, बताते हैं कि अमूमन जब कोई व्यक्ति एक दिन से ज्यादा का उपवास और व्रत रखता है तो उसके शरीर की एनर्जी कम होने लगती है लेकिन दादा गुरु के साथ ऐसा नहीं है।
महाव्रती योगी संत दादा गुरु महाराज
जहां विज्ञान अपने हाथ जोड़ लेता है। वहां से ध्यान और योग की शुरुआत होती है। इसी बात को साबित कर रहे हैं महाव्रती योगी संत दादा गुरु।
दादा गुरु को जब कहीं किसी शहर या गांव जाना होता है, वे ज्यादातर पैदल ही चलते नजर आते हैं। केवल जल पीकर जीने वाले दादा गुरु बाकायदा नर्मदा परकम्मा (परिक्रमा) भी कर चुके हैं।
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