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लौटी बेगमों के दौर की व्यवस्था: 94 साल बाद मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करेंगी महिलाएं, जानें कहां से हुई शुरुआत

MP News: लौटी बेगमों के दौर की व्यवस्था, 94 साल बाद मस्जिद में जुमें की नमाज अदा करेंगी महिलाएं, जानें कहां से हुई शुरुआत

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Preetam Manjhi
MP-News

MP News: भोपाल की मस्जिदों में करीब 94 साल बाद अब महिलाएं जुमे की नमाज अदा कर सकेंगी। यानी कि अब मस्जिद में महिलाएं भी सजदा कर करेंगी। इसकी शुरुआत ईदगाह स्थित नजमुल मस्जिद से हुई है। यहां रमजान में महिलाओं के लिए विशेष नमाज की तैयारी भी की है। इसे लेकर ऑल इंडिया वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाहिस्ता अंबर ने कहा कि राजधानी ने पूरे हिंदुस्तान को एक पैगाम दे दिया है।

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https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1830192878372442467

यहां से हुई शुरुआत

आपको बता दें कि नजमुल मस्जिद से इसकी शुरुआत हुई है। 30 अगस्त को करीब 3 दर्जन महिलाओं ने नमाज अदा करके इसकी शुरुआत की है। यहां महिलाओं की नमाज के लिए खास इंतजाम किए गए थे। वुजू का भी प्रबंध किया गया। इस जुमे की नमाज को ध्यान में रखते हुए मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष शादाब अख्तर ने कहा कि नामज में जमात के साथ महिलाएं भी शामिल हो सकेंगी।

पहले इन 4 बेगमों को थी नमाज पढ़ने की रिवायत

भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं के नमाज पढ़ाने की रिवायत 1819 से 1930 के शासनकाल में 4 बेगमों को थी। राजधानी की पहली नवाब बेगम कुदसिया जहां ने इसकी जामा मस्जिद से शुरुआत की थी। इस रिवायत के सूत्रधार के रूप में नवाब शाहजहां बेगम का नाम लिया जाता है।

पहले से चली आ रही परंपरा

मुस्लिम महासभा के अध्यक्ष मुनव्वर अली खान की मानें तो भोपाल रियासत में महिला शासकों के दौरान ईदगाह के अलावा मोती मस्जिद, जामा मस्जिद, कुलसुम बी समेत अन्य मस्जिदों में महिलाओं के नमाज अदा करने का इंतजाम रहा है। नवाब बेगम सुल्तान जहां का दौर खत्म होने के साथ-साथ ये व्यवस्था खत्म हो गई थी, जिसे फिर से शुरू (MP News) किया गया है।

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खरीद-फरोख्त के लिए यहां इंतजाम

वैसे अभी खरीद-फरोख्त के लिए चौक में आने वाली महिलाओं के लिए जामा मस्जिद और MP नगर जोन वन, प्रेस कॉम्प्लेक्स स्थित मस्जिद रब्बानी में भी महिलाओं की नमाज के लिए इंतजाम किए गए हैं।

ऐसे हुआ महिलाओं का नमाज अदा करना बंद

बता दें कि महिला हुक्मरां का दौर खत्म होने के असर के साथ ही साल 1930 में नवाब सुल्तान जहां बेगम का इंतकाल हो गया। इसके बाद सामाजिक स्थितियों में बदलाव आना शुरू हो गया। साल 1950 तक महिलाओं का मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद हो गया था। हालांकि इसके बाद न तो कोई फतवा या मुहिम चली और न ही महिलाओं ने इसके लिए कोई ठोस कदम उठाया। महिलाओं ने अपने बढ़ते कदमों को समेट लिया।

इसलिए लिया ये फैसला

दरअसल, नजमुल मस्जिद के पास ही कैंसर और टीबी हॉस्पिटल है। इनकी वजह से बड़ी संख्या में मरीजों के तीमारदारों में शामिल महिलाएं नमाज को लेकर परेशान हो रही थीं। जब ये मामला संज्ञान में आया तो कमेटी ने इस पर व्यवस्था की। ऑल इंडिया वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाहिस्ता अंबर ने कहा कि हमारा बोर्ड साल 1997 से ही इसके लिए प्रयासरत है। महिला सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए ये व्यवस्था सभी शहरों में होनी चाहिए।

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