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इंदौर। देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में मानसून की लम्बी खेंच के बाद पिछले एक हफ्ते से जारी बारिश के चलते किसानों के चेहरे खिल गए हैं और इसने तिलहन फसल में नयी जान फूंक दी है। इंदौर जिले के सोयाबीन उत्पादक किसान अरुण पटेल ने कहा कि उन्होंने 70 एकड़ में पिछले महीने सोयाबीन बोई थी। बुआई के बाद लगभग एक महीने तक कम बारिश होने से फसल को थोड़ा नुकसान पहुंचा। लेकिन पिछले एक हफ्ते से जारी बारिश ने इस नुकसान की काफी हद तक भरपाई कर दी है।’’ कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में सोयाबीन की बुआई अंतिम दौर में है और अगस्त के पहले हफ्ते तक इसकी बुआई पूरी हो जाएगी।
सोयाबीन के रकबे में दर्ज की जा सकती है गिरावट
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सोयाबीन का सामान्य रकबा 112.88 लाख हेक्टेयर है और आमतौर पर मध्य प्रदेश में 55.86 लाख हेक्टेयर में इस तिलहन फसल की खेती होती है। बहरहाल, खेती-किसानी के जानकारों का कहना है कि सोयाबीन के मानक बीजों की कमी और इनकी महंगाई के साथ ही कई किसानों का रुझान अन्य खरीफ फसलों की ओर होने से इस बार मध्य प्रदेश में सोयाबीन के रकबे में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की जा सकती है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन खरीफ सत्रों के दौरान राज्य में सोयाबीन की फसल को भारी बारिश और कीटों के प्रकोप से काफी नुकसान हुआ था। इस कारण मौजूदा खरीफ सत्र में सोयाबीन के बीजों की कमी उत्पन्न हो गई। केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के खरीफ विपणन सत्र के लिये सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। एमएसपी की यह दर पिछले सत्र के मुकाबले 70 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।
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